लखनऊ : छात्रों के हित के लिए निवर्तमान प्रदेश अध्यक्ष समाजवादी छात्र सभा दिग्विजय सिंह के नेतृत्व में योगी सरकार को घेरने उतरी समाजवादी छात्र सभा

लखनऊ : समाजवादी छात्र सभा का प्रदर्शन. पूर्व समाजवादी छात्र सभा अध्यक्ष दिग्विजय सिंह के नेतृत्व में लखनऊ विश्विद्यालय में होने वाली परीक्षाओं व हॉस्टल फीस माफी की मांग को लेकर समाजवादी छात्र सभा कर रही है प्रदर्शन. गांधी प्रतिमा पहुँचे छात्रसभा के कार्यकर्ता.

पूर्व समाजवादी छात्र सभा अध्यक्ष दिग्विजय सिंह के नेतृत्व में समाजवादी छात्र सभा ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को संबोधित करते हुए प्रदेश सरकार से छात्रों के हित के लिए कुछ माँगे की हैं जो कि निम्नलिखित हैं.  

सेवा में,
माननीय मुख्यमंत्री जी,
उत्तर प्रदेश, लखनऊ।

महोदय,
समाजवादी छात्र सभा उत्तर प्रदेश आपको सादर अवगत कराना चाहती है कि कोरोना महामारी के दौरान विभिन्न शिक्षण संस्थानों की संपूर्ण व्यवस्था बाधित रही है। लोगों का आर्थिक एवं सामाजिक जीवन अस्त-व्यस्त हुआ है। खासकर देश के मध्यम एवं निम्न वर्गों की आर्थिक व्यवस्था चौपट हुई है। कोरोना महामारी के कारण प्रारंभिक कक्षाओं से लेकर उच्चतर स्तर तक की कक्षाओं का संचालन पूर्णतयः बन्द है। करोड़ों छात्र-छात्राएं घरों के अंदर बंद है जिसका गंभीर दुष्प्रभाव उनके शैक्षणिक सत्र पर पड़ रहा है। ऑनलाइन शिक्षण कार्य भी तकनीकी कठिनाइयों के कारण उपयोगी नहीं साबित हो रहा है। अभी कोरोना महामारी का प्रकोप कम होने के बजाय लगातार बढ़ता जा रहा है। ऐसे में करोड़ों छात्र-छात्राएं अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं।कोरोनकाल में शिक्षण संस्थाओं के बंद होते हुए भी छात्र-छात्राओं से वर्तमान सत्र एवं छात्रावास की फीस का भुगतान संबंधी आदेश संवेदनहीन एवं अमानवीय है।

ऐसी विषम परिस्थितियों में समाजवादी छात्रसभा प्रदेश सरकार से निम्न मांग करती है।

1- समस्त शिक्षण संस्थानों में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं की सभी प्रकार की फीस माफ की जाए तथा छात्रावास में रहने वाले छात्र-छात्राओं के कमरों के किराए का भुगतान सरकार द्वारा किया जाए।

2- कोविड-19 से सुरक्षित रहने हेतु बिना परीक्षा के ही छात्र-छात्राओं को अगली कक्षा में प्रोन्नति दी जाए।

3- सत्र 2020-21 में प्रवेश लेने वाले छात्रों को शुल्क में विशेष छूट प्रदान की जाए।

भवदीय
(दिग्विजय सिंह देव)
निवर्तमान प्रदेश अध्यक्ष
समाजवादी छात्रसभा, उत्तर प्रदेश।

एक ओर देश के HRD मंत्री ने कहा कि देश मे कोरोनाकाल संकट के कारण कम से कम 15 अगस्त तक कोई भी शैक्षणिक गतिविधि को स्वीकृति देने का सवाल ही नही उठता। ऐसे में जब प्रदेश ही नही देश मे स्थिति बद से बदतर होती जा रही है ,ऐसे में ये गैर जिम्मेदाराना निर्णय ले लेना किसकी समझदारी कही जाएगी।

देश के साथ प्रदेश में “कम्युनिटी स्प्रेड” का खतरा मंडराता नजर आ रहा है। दिल्ली इसकी बानगी है, इस कंडीशन में क्या लखनऊ विश्वविद्यालय प्रशासन का ये निर्णय न्यायोचित है!

किसी भी छात्र या परिजन से पूछियेगा तो वो यही कहेंगे जीवन से बढ़कर कुछ नही है। देश काल मे परिस्थितियां ऐसी नही हैं कि हम लोगों के जीवन से खतरा मोल ले सकें। प्रधानमंत्री, केंद्र सरकार इस वक़्त सोशल डिस्टेंसिंग, यानी समुचित समाजिक सामुदायिक दूरी का लगातार प्रचार प्रसार कर रही है।

ऐसे में जब विद्यालय,स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय खुलेंगे तो क्या ये “दो ग़ज़ की सामाजिक दूरी” को हम अनुसरण कर पाएंगे! ये सोचने समझने वाला विषय है।

रोजाना उत्तर प्रदेश सरकार आंकड़े जारी करती है , लगातार बढ़ रहे मामलों में आज जब लखनऊ विश्वविद्यालय ने नया परीक्षा शेड्यूल जारी किया है, उसी समय नए आंकड़े भी जान लीजिए जो प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी किए गए हैं.

लखनऊ में ही पहले मुख्यमंत्री हेल्पलाइन के कर्मियों को संक्रमित पाया गया,फिर UP-112 सेंटर पर कर्मचारी संक्रमित हुए,फिर यूपी पुलिस मुख्यालय “सिग्नेचर बिल्डिंग” तक संक्रमण पहुँच गया।

इन हालातों में लखनऊ विश्वविद्यालय ने परीक्षा तिथियाँ घोषित कर दिया है। ऐसे में छात्रों की ज़िम्मेदारी कौन लेगा। दूसरी तरफ़ छात्रों का शैक्षणिक सत्र शून्य है और बहुत से छात्र जो दूसरे ज़िले से हैं उनको भी लखनऊ आने पर बाध्य होना पड़ेगा।लखनऊ विश्वविद्यालय के साथ साथ पूरे प्रदेश के छात्रों के लिए मनमानी चल रही है।

ताज़ा हालातों में अगर विश्वविद्यालय के कैम्पसों के नए शैक्षिक सत्र की तैयारियों को लेकर बात करें तो “पूरब के ऑक्सफोर्ड” “इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय” में 22 जून से नए शैक्षिक सत्र का आवाहन किया गया है, लेकिन इस सत्र के शुरू होने से पहले विश्वविद्यालय के ही एक प्रोफेसर और एक नॉन टीचिंग अधिकारी के कोरोना पाजिटिव की खबर से कर्मचारी,प्रोफेसर्स और छात्र सभी सकते में आ गए हैं।

अब जब दो दिन में लॉक डाउन के बाद नया सत्र शुरू होगा तो विश्वविद्यालय परिसर विशेषतः छात्रों के लिए कितना सुरक्षित होगा ,अंदाज़ा लगाया जा सकता है । इलाहाबाद विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के प्रो. रामसेवक दूबे के अनुसार ये दुर्भाग्यपूर्ण है और इससे सोशल डिस्टेंसिंग को कैसे पालन किया जाएगा इस पर भी आशंका है।

क्योंकि क्लासेज और विश्वविद्यालय परिसर में सोशल डिस्टेंसिंग बहुत ही ज्यादा संवेदनशील विषय है। वहीं संक्रमित नॉन टीचिंग अधिकारी के संक्रमण को देखते हुए एमएनएनआईटी के पास स्थित ऑफिसर्स कॉलोनी को सील करने का निर्णय लिया जा सकता है।

प्रदेश सरकार के ब्यूरोक्रेसी मुखिया यानी मुख्य सचिव का निर्देश है कि राज्य के विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों की वार्षिक/सेमेस्टर परीक्षाएं 30 जून के बाद से आयोजित की जाएं। मुख्य सचिव का निर्देश है कि परीक्षा केंद्रों पर सैनेटाइज़ेशन और सेनेटाइजर का प्रयोग पूर्ण रूप से सुनिश्चित करवाया जाए। लेकिन यही बात है कि कह देने और निर्देश दे देने भर से और क्रियान्वयन में बहुत अंतर है।
बड़ा सवाल यही है कि क्या सोशल डिस्टेंसिंग हो पायेगा? बड़ा और गूढ़ सवाल यही है। यही डर भी पैदा करता है।

छात्रों के इसी सबसे महत्वपूर्ण विषय पर जहां सरकार और प्रशासन उदासीन है और सिर्फ आदेशों का फरमान जारी करके मुख्य विषय से अपना मुंह मोड़ ले रहा है. वहीं प्रदेश में मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी के छात्र संगठन समाजवादी छात्रसभा द्वारा पिछले दो हफ़्तों से परीक्षा, शुल्क और किराया को लेकर सरकार को चेतावनी दिया जा चुका है।

अब इस मुद्दे पर समाजवादी छात्रसभा लामबंद हो गयी है. आज लखनऊ स्थित हजरतगंज के गांधी प्रतिमा पर निवर्तमान प्रदेश अध्यक्ष समाजवादी छात्र सभा दिग्विजय सिंह के नेतृत्व में समाजवादी छात्रसभा ने धरने का आह्वान कर दिया है। समाजवादी छात्रसभा के तेजतर्रार युवा आक्रामक निवर्तमान प्रदेश अध्यक्ष दिग्विजय सिंह देव ने कहा है कि छात्रहित के लिए हमेशा लड़े हैं और हमेशा लड़ते रहेंगे.

समाजवादी छात्रसभा ने छात्रों के इस गंभीर मुद्दे पर उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल को संबोधित करते हुए अपना ज्ञापन दिया था. इसके अलावा समाजवादी छात्रसभा ने पोस्ट कार्ड अभियान चलाकर प्रदेश की योगी सरकार से इसकी मांग की थी. मगर सरकार के कान में जूं तक नहीं रेंगी।   

हमेशा व्यवस्था के खिलाफ आवाज़ उठाई है, इस महत्वपूर्ण विषय पर हम मौजूदा सरकार से सवाल भी पूछ रहे हैं, क्या फरमानों से क्रियान्वयन हो जाएगा? हम शारीरिक दूरी रखने का प्रयास करेंगे, लेकिन छात्रों के हितों की अनदेखी बर्दाश्त नहीं की जायेगी. इसलिए छात्र मुद्दों की ये लड़ाई हम अंतिम छोर तक ले जाएंगे, आज गांधी प्रतिमा के सामने बैठकर मौजूदा सरकार के फरमान का पुरजोर विरोध कर रहे हैं। ये उदासीनता भरा रवैया छात्रों के जीवन से जुड़ा है।
समाजवादी छात्रसभा इसे एक आंदोलन का रूप देने जा रही है. इस आंदोलन से पूरे प्रदेश के छात्रों का हित जुड़ा है।

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