धनतेरस : इस दिन क्यों खरीदते हैं झाड़ू? जानिए ये बातें…

धनतेरस का पर्व हिंदू धर्म में बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है यह त्‍योहार दिवाली से पहले मनाया जाता है। इस बार धनतेरस 13 नवंबर को है।

धनतेरस का पर्व हिंदू धर्म में बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है यह त्‍योहार दिवाली से पहले मनाया जाता है। इस बार धनतेरस 13 नवंबर को है। इसी के साथ दिवाली के महापर्व की शुरुआत हो जाएगी। धनतेरस के दिन खरीदारी करने को बेहद शुभ माना जाता है। कहते हैंं कि इस दिन खरीदारी करने से घर में हमेशा सुख-शांति और समृद्धि आती है और माता लक्ष्मी का आशीर्वाद भी बना रहता है। इस दिन खरीदारी करने से सालभर घर में खरीदी गईं चीजें शुभ फल देती हैं। इसलिए लगभग हर कोई इस दिन खरीदारी जरूर करता है। धनतेरस के दिन लोग सोने-चांदी के गहने और कुछ बर्तन खरीदते हैं। लेकिन इस दिन झाड़ू खरीदने की परंपरा भी काफी लंबे समय से चली आ रही है।

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धनतेरस पर क्यों खरीदते हैं झाड़ू?
धनतेरस या धन त्रयोदशी पर खरीदारी की परंपरा है। मान्यता है कि धनतेरस पर खरीदी गयी वस्तु का नाश नहीं होता और इसमें तेरह गुनी वृद्धि होती है। आम लोग इसलिए धनतेरस पर सोना, चांदी, भूमि, वाहन और घर में इस्तेमाल आने वाली चीजों की खरीदारी करते हैं। इन वस्तुओं के साथ झाड़ू खरीदने की भी अनोखी परंपरा है। लोग सोना-चांदी या उसके गहने खरीदें या नहीं पर झाड़ू जरूर खरीदते हैं। धनतेरस के दिन हर शख्स के हाथ में एक झाड़ू जरूर दिख जाता है। ज्योतिषाचार्य पीके युग ने मत्स्य पुराण के हवाले से बताया कि झाड़ू को मां लक्ष्मी का रूप माना गया है।

मां लक्ष्मी की विशेष कृपा
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष त्रयोदशी शुक्रवार को धन त्रयोदशी यानी धनतेरस मनाते हैं। मान्यता है कि जहां स्वच्छता होती है वहां मां लक्ष्मी का वास होता है। झाड़ू सफाई का काम करता है इसलिए शायद इसे मां लक्ष्मी से जोड़कर देखा जाता है। यही कारण है कि झाड़ू को पैर से नहीं छुआ जाता और इसकी पूजा होती है।

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