वाराणसी : मां अन्नपूर्णा के दर्शन पाकर भक्त हुए निहाल

कार्तिक माह के कृष्णपक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन समुद्र-मंन्थन के समय भगवान धन्वन्तरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। इसलिए इस तिथि को धनतेरस या धनत्रयोदशी के नाम से जाना जाता है।

कार्तिक माह के कृष्णपक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन समुद्र-मंन्थन के समय भगवान धन्वन्तरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। इसलिए इस तिथि को धनतेरस या धनत्रयोदशी के नाम से जाना जाता है। धनतेरस के ही दिन भगवान भोलेनाथ की नगरी काशी में माता अन्नपूर्णा का द्वार आम भक्तों के लिए खोल दिया जाता है।

ख़जाने को घर रखने से धन-धान्य से परिपूर्ण रहते है

माँ अन्नपूर्णा मंदिर में आम भक्तों को धान का लावा और सिक्के बाटे जाते है। मान्यता है कि आज के दिन दर्शन-पूजन कर मंदिर से मिले ख़जाने को घर रखने से धन-धान्य से परिपूर्ण रहते है। कहा जाता हैं कि किसी कारणवश धरती बंजर हो गई।

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जिससे पृथ्वीवासियों की चिंता बढ़ गई। इसके बाद पृथ्वीवासियों की चिंता दूर करने के लिए भगवान शिव ने एक भिखारी का रूप धारण किया और माता अन्नपूर्णा का रूप धारण किया।

माता अन्नपूर्णा से भिक्षा मांगकर भगवान शिव ने धरती पर रहने वाले सभी लोगों में ये अन्न बांट दिया। आपको ये भी बताते चले कि आज से शुरू हुई माता अन्नपूर्णा का दर्शन अगले चार दिन यानी कि अन्नकूट के दिन तक छप्पन भोग के साथ पूरे श्रृंगार के साथ पूजा पाठ कर मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते है।

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