मथुरा : गोवर्धन पूजा में उमड़ा भक्तों का जनसैलाब पूजा के दिन लाखों की संख्या में पहुंचे श्रद्धालु

देश भर में दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा की जाती हैं देश भर में गोवर्धन पूजा का एक विशेष महत्व है गोवर्धन पूजा करने के लिये लाखों भक्त गिरिराज नगरी गोवर्धन आते है गिरिराज जी की सप्त कोसीय परिक्रमा करते है। 

देश भर में दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा की जाती हैं देश भर में गोवर्धन पूजा का एक विशेष महत्व है गोवर्धन पूजा करने के लिये लाखों भक्त गिरिराज नगरी गोवर्धन आते है गिरिराज जी की सप्त कोसीय परिक्रमा करते है। 

गोवर्धन की पूजा की ये है परंपरा: ऐसी मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण के अवतार के बाद द्वापर युग से अन्नकूट और गोवर्धन पूजा की शुरुआत हुई। जब इसकी जानकारी इंद्र को हुई तो इंद्र ने भगवान कृष्ण से क्षमायाचना किया। कहा जाता है कि उसके बाद भगवान कृष्ण ने गोकुल वासियों से कहा कि अप सब लोग गोवर्धन की ही पूजा किया करें।

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गिर्राज बाबा की परिक्रमा करने से सब संकट दूर हो जाते हैं

तो वही दूर-दूर से आएगी श्रद्धालुओं ने घाटी मंदिर मंदिर में दुग्ध अभिषेक किया गिरिराज जी की परिक्रमा की और भगवान से प्रार्थना की तो वहीं श्रद्धालुओं मैं काफी खुशी है श्रद्धालु कहना है कि गोवर्धन पूजा वाले दिन गिरिराज नगरी गोवर्धन मैं आ कर बहुत अच्छा लगता है।  तो वही गोवर्धन गिरिराज की परिक्रमा के लिए लाखों श्रद्धालु पहुंचे हैं जहां काफी संख्या में श्रद्धालुओं गिर्राज जी का दुग्ध अभिषेक कर रहे हैं श्रद्धालुओं का कहना है कि आज गिर्राज बाबा की परिक्रमा करने से सब संकट दूर हो जाते हैं।

श्रीकृष्‍ण को उनका भोग लगाया जाता है

गोबर से भगवान गोवर्धन बनाने के साथ ही महिलाएं गाय की पूजा करेंगी. इस दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा का भी विधान है. इस दिन मंदिरों में अन्नकूट महोत्सव मनाया जाता है, इस दिन 56 या 108 तरह के पकवान बनाकर श्रीकृष्‍ण को उनका भोग लगाया जाता है. इन पकवानों को ‘अन्‍नकूट’ कहा जाता है.

ऐसी मान्यता है कि ब्रजवासियों की रक्षा के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी दिव्य शक्ति से विशाल गोवर्धन पर्वत को छोटी अंगुली में उठाकर हजारों जीव-जतुंओं और इंसानी जिंदगियों को भगवान इंद्र के कोप से बचाया था। भगवान श्रीकृष्ण के प्रतिक रूप में गोवर्धनजी को 56 भोग के साथ ही नाना प्रकार के पकवानों का भोग लगाकर उसका वितरण किया जाता है।

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