ऐसा मंदिर जहां पर भक्तों को मिलता है लंबी उम्र का आशीर्वाद, अश्वत्थामा भी…
हजारों साल पहले धरती पर रहने वाले ऋषि-मुनि सैकड़ों साल तक बिना किसी बीमारी और शारीरिक पीड़ा के रहते जीवन जीते थे. उनकी आयू इतनी लंबी होती थी जिसकी हम आज कल्पना भी नहीं कर सकते हैं.
हजारों साल पहले धरती पर रहने वाले ऋषि-मुनि सैकड़ों साल तक बिना किसी बीमारी और शारीरिक पीड़ा के रहते जीवन जीते थे. उनकी आयू इतनी लंबी होती थी जिसकी हम आज कल्पना भी नहीं कर सकते हैं. सदियों तक भगवान की तपस्या में मग्न रहते थे. उसके पीछे उनकी आंतरिक शक्ति और ईश्वर से आत्मा का जुड़ाव मुख्य कारण होता था. लेकिन आज के समय में हम इतनी लंबी उम्र की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं और अगर कोई इंसान 100 साल से ज्यादा जी भी जाता है तो उसको तमाम बीमारियां घेरे रहती हैं.
आजकल हमारा खानपान ऐसा हो गया है कि, बीमारियों का पैदा होना कोई बड़ी बात नहीं है. यही वजह है कि, लोगों का शरीर जब स्वस्थ नहीं रहता है तो उनकी मौत जल्दी हो जाती है. हर कोई चाहता है कि, उसकी लाइफ एकदम शानदार और अधिक आयु की हो. लेकिन ऐसी किस्मत बहुत ही कम लोगों को नसीब होती है. लेकिन आज हम आपको बताते हैं कि, भारत में एक ऐसा शिव जी का मंदिर है जहां पर दर्शन करने से आपकी उम्र लंबी हो जाती है और खुशियों का आना शुरू हो जाता है.
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दीर्घेश्वरनाथ मंदिर
दरअसल, उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में सलेमपुर मझौली राज स्थित दीर्घेश्वरनाथ(deergheshwarnath) मंदिर है. जहां पर शिवजी विराजमान हैं और यहां पर आने वाले भक्त सच्चे मन से अगर भगवान की पूजा करते हैं तो उनकी उम्र लंबी हो जाती है. इस मंदिर(deergheshwarnath) के बारे में कहा जाता है कि, हजारों साल पहले यहां पर शिवलिंग धरती से उत्पन्न हुई थी. लेकिन पहले इस घने जंगल में जाने से लोग डरते थे. धीरे-धीरे जंगल कंम होता गया और जानवरों का डर भी खत्म हो गया तो लोग जाना शुरू कर दिए. अब भक्तों का कहना है कि, वहां पर जो भी सच्चे मन और सच्ची श्रद्धा के साथ भगवान शिव की पूजा करता है उसपर महादेव की कृपा बरसती है और लोग लंबी उम्र का आशीर्वाद पाते हैं.
अश्वत्थामा आज भी यहां पर पूजा करने आते हैं
मंदिर(deergheshwarnath) को लेकर एक और रहस्य लोगों के बीच बना हुआ है जिसके बारे में आजतक कोई नहीं जान पाया है. ऐसा कहा जाता है कि, भगवान शिव के भक्त अश्वत्थामा आज भी यहां पर पूजा करने आते हैं. अश्वत्थामा हर साल शिवरात्रि से एक दिन पहले रात के तीसरे पहर में मंदिर(deergheshwarnath) में आकर शिवजी जी पूजा करते हैं. जब सुबह मंदिर का दरवाजा खुलता है तो वहां के संत शिवलिंग पर श्वेत कमल के फूल और पूजा सामग्री मिलती है.
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