हाथरस मामलें में बोले सपा एमएलसी सुनील सिंह साजन ‘ यूपी में तो बलात्कार की घटनाओ की बाढ़ आ गयी है’

सुनील सिंह साजन ने कहा कि सरकार कह रही है घटना साजिश है तो इस तूल कब पकड़ा, जब उस बेटी की डेडबॉडी को जलाया गया और जलाया किसने ? योगी जी की पुलिस ने।

सपा एमएलसी सुनील सिंह साजन ने कहा कि सरकार कह रही है घटना साजिश है तो इस तूल कब पकड़ा, जब उस बेटी की डेडबॉडी को जलाया गया और जलाया किसने ? योगी जी की पुलिस ने।

अगर ये  साजिश है तो क्या साजिश में योगी जी की पुलिस और डीएम भी शामिल है ?अगर साजिश  है तो पुलिस  और सरकार कहा सो रही थी। जहाँ तक सवाल रेप का है तो यूपी में तो बलात्कार की घटनाओ की बाढ़ आ गयी है।

अगर ये बात सच है तो एजंसियां अब तक कहाँ  थी अगर फंडिंग किया जा रहा है तो जाँच करे। कहा कि अपनी नाकामियां छिपाने के लिए जनरल डायर बन रही है सरकार।

बात बस इतनी है कि पीड़ित बेटी को न्याय नहीं दिलाना चाहती सरकार, रही बात और जो विपक्ष न्याय  दिलाने की बात कर रहा है उस पर लाठीचार्ज  और मुकदमा  कर रही है सरकार।

समाजवादी पार्टी एमएलसी सुनील सिंह साजन (MLC Sunil Singh Sajan ) ने फंडिंग मामलें में अपनी प्रतिक्रियां दी है। उन्होंने कहा कि एंजेंसियां दावें कर रही हैं कि हाथरस मामलें में इस्लामिक देशो द्वारा फंडिंग की जा रही है।

आपको बता दें कि यूपी में जातीय दंगों की साजिश करा दुनिया मैं मोदी और योगी की छवि ख़राब करने के लिए जस्टिस फार हाथरस नाम से रातों रात तैयार हुई वेबसाइट, वेबसाइट में फ़र्ज़ी आईडी से जोड़ें गए हज़ारों लोग।

विरोध प्रदर्शन की आड़  में बेवसाइट पर बताया गया देश और प्रदेश में दंगे कराने और दंगों के बाद बचने का तरीका। मदद के बहाने दंगों के लिए फ़ंडिंग की जा रही थी। फ़ंडिंग की बदौलत अफ़वाहें फैलाने के लिए मीडिया और सोशल मीडिया के दुरूपयोग के सुराग भी मिले है। जांच एजेंसियों के वेबसाइट की डिटेल्स और पुख्ता जानकारी हाथ लगी है। 

विरोध प्रदर्शन की आड़ में निशाना बनाने की रणनीति

अमेरिका में हुए दंगों की तर्ज पर ही यूपी की घटना को लेकर देश भर में जातीय दंगे कराने की तैयारी थी। बहुसंख्यक समाज में फूट डालने के लिए मुस्लिम देशों और इस्लामिक कट्टरपंथी संगठनों से पैसा आया।

सीएए हिंसा में शामिल उपद्रवियों और राष्ट्रविरोधी तत्वों ने योगी से बदला लेने के लिए बनाई दंगे की वेबसाइट। वेबसाइट में बताई गई चेहरे पर मास्क लगाकर पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों को विरोध प्रदर्शन की आड़ में निशाना बनाने की रणनीति।

 

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