दिल्ली : घर की लक्ष्मी “बहू” को लेकर सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला
सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, सास-सुसर के मकान में भी बहू के आश्रय का अधिकार
नई दिल्ली-: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक बड़ा फैसला देते हुए कहा कि घरेलू हिंसा कानून के तहत बहू को ससुर की संपत्ति में रहने का अधिकार है। कोर्ट ने कहा कि फौजदारी अदालत द्वारा घरेलू हिंसा कानून में किसी विवाहित महिला को दिया गया आवास का अधिकार प्रासंगिक है और सुसराल के घर से उसे निष्कासित करने की दीवानी कार्यवाही में भी उस पर विचार किया जा सकता है।घरेलू हिंसा से महिलाओं के संरक्षण कानून, 2005 पर विस्तार से चर्चा करते हुए उच्चतम न्यायालय ने कहा, किसी भी समाज की प्रगति महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करने और उसे बढ़ावा देने की क्षमता पर निर्भर करती है। इसने कहा, संविधान द्वारा महिलाओं को समान अधिकार और विशेषाधिकार की गारंटी देना देश में महिलाओं की स्थिति में सुधार लाने की तरफ बढ़ाया गया कदम था।
इससे पहले तरुण बत्रा केस में दो जजों की बेंच ने कहा था कि कानूनन बहू, अपने पति के माता-पिता के स्वामित्व वाली संपत्ति में नहीं रह सकती है। गुरुवार को तीन सदस्यीय बेंच ने इस केस की सुनवाई करते हुए तरुण बत्रा के फैसले को पलट दिया है। कोर्ट ने कहा कि परिवार की साझा संपत्ति और रिहायशी घर में भी घरेलू हिंसा की शिकार पत्नी को हक मिलेगा। कोर्ट ने साफ किया कि पीड़ित पत्नी को अपने ससुराल की पैतृक और साझा घर में रहने का कानूनी अधिकार होगा। उसे अपने पति की अर्जित की हुई संपत्ति यानि अलग से बनाए हुए घर पर भी अधिकार होगा।
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