अमेरिका की ‘शत्रुतापूर्ण’ नीति की आलोचना करते हुए उत्तर कोरिया ने किया कुछ ऐसा काम

दोनों परस्पर शत्रु देशों के बीच अत्याधुनिक परमाणु हथियार विकसित करने की लगी हुई यह होड़ विश्व के लिए बन सकती है चिंता का सबब

उत्तर कोरिया ने मंगलवार को अपने पूर्वी तट से समुद्र की ओर एक मिसाइल दागी। दक्षिण कोरिया के ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ ने कहा कि, प्योंगयांग ने संयुक्त राज्य अमेरिका और दक्षिण कोरिया से बातचीत को फिर से शुरू करने की पहल की है। इसके लिए उन्होंने आयुक्त राज्य को दक्षिण कोरिया से अपनी “शत्रुतापूर्ण नीति” को समाप्त करने का आह्वान किया।’ दक्षिण कोरिया के आर्मी चीफ ने कहा कि मिसाइल को मध्य उत्तर प्रांत जगंग से सुबह करीब 6:40 बजे (2140 GMT) लॉन्च किया गया था।

उत्तर कोरिया के राजदूत ने कही ये बात

जापान के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि यह एक बिना विस्तार वाला बैलिस्टिक मिसाइल प्रतीत होता है। नवीनतम परीक्षण ने उत्तर कोरिया के हथियार प्रणालियों के निरंतर विकास को दर्शाया है। अमेरिकी प्रतिबंधों से राहत के बदले में अपने परमाणु और बैलिस्टिक मिसाइल शस्त्रागार को खत्म करने के उद्देश्य से रुकी हुई वार्ता के लिए नार्थ कोरिया ने यह दांव लगाया। यह प्रक्षेपण संयुक्त राष्ट्र में उत्तर कोरिया के राजदूत द्वारा संयुक्त राज्य अमेरिका से प्योंगयांग के प्रति अपनी शत्रुतापूर्ण नीति को छोड़ने का आग्रह करने से ठीक पहले हुआ। उत्तर कोरियाई राजदूत ने कहा कि कोई भी देश अपनी आत्मरक्षा के लिए और हथियारों का परीक्षण करने के की निति से कोई समझौता नहीं कर सकता।

कोरिया प्रायद्वीप अधिक अस्थिर

दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे-इन ने अपनी सहयोगियों को उत्तर की हालिया चालों का विस्तृत विश्लेषण करने और प्रतिक्रिया स्वरुप जवाब तैयार करने का आदेश दिया। रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता बू सेउंग-चान ने एक ब्रीफिंग में कहा, “हमें खेद है कि मिसाइल को ऐसे समय में दागा गया जब कोरियाई प्रायद्वीप की स्थिति को स्थिर करना बहुत महत्वपूर्ण था।”

यूएस इंडो-पैसिफिक कमांड ने कहा कि प्रक्षेपण ने संयुक्त राज्य या उसके सहयोगियों के लिए कोई तत्काल खतरा पैदा नहीं किया। लेकिन उत्तर के अवैध हथियार कार्यक्रमों के “अस्थिर प्रभाव” को और बड़े पैमाने पर उजागर कर दिया। उत्तर कोरिया ने सियोल और वाशिंगटन पर “दोहरे मानकों” का आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने अपनी सैन्य गतिविधियों को जारी रखते हुए अपने हथियारों के विकास की निंदा की।

उत्तर और दक्षिण कोरिया दोनों के बीच परमाणु हथियार निर्मित करने की लगी होड़

15 सितंबर को, उत्तर और दक्षिण कोरिया दोनों ने बैलिस्टिक मिसाइलों का परीक्षण किया। सबसे चिंताजनक बात यह है कि दोनों परस्पर शत्रु देश अत्याधुनिक परमाणु हथियार विकसित करने की होड़ में लगे हुए हैं। मिसाइल के इस परिक्षण को अमेरिकी रक्षा विषेशज्ञों ने उत्तर कोरिया की पहली क्रूज मिसाइल बताया जो परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है। हालांकि, इन्होने सियोल द्वारा पनडुब्बी से प्रक्षेपित बैलिस्टिक मिसाइल (एसएलबीएम) के परीक्षण का उल्लेख नहीं किया। उत्तर कोरिया ने तब से बयानों की एक श्रृंखला जारी की है। इसमें कहा गया है कि वह रुकी हुई आंतरिक कोरियाई वार्ता को फिर से शुरू करना चाहता है। वह एक और शिखर सम्मेलन पर विचार करने के लिए तैयार है। यदि दक्षिण कोरिया उत्तर कोरिया के प्रति अपनी शत्रुतापूर्ण नीति अपने दोहरे मानकों को खत्म कर देता है तो दोनों देश एक मंच पर एक साथ आकर अपनी सभी समस्या सुलझा लेंगे।

अमेरिका ने रखा अपना पक्ष

अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने उत्तर कोरिया के नवीनतम मिसाइल परीक्षण की निंदा की। उसने उत्तर कोरिया के पड़ोसियों और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिए इस मिसाइल परीक्षण को खतरा बताया। संयुक्त राष्ट्र महासभा में, उत्तर कोरिया के संयुक्त राष्ट्र के दूत, किम सोंग ने कहा कि देश अपनी आत्मरक्षा को मजबूत कर रहा है और अगर संयुक्त राज्य अमेरिका ने अपनी शत्रुतापूर्ण नीति को छोड़ दिया, तो वह बातचीत के प्रस्तावों के लिए “किसी भी समय स्वेच्छा से” जवाब देगा।

किम ने कहा, “लेकिन यह हमारा फैसला है कि अमेरिका के लिए अपनी शत्रुतापूर्ण नीति को वास्तव में वापस लेने की वर्तमान स्थिति में कोई संभावना है या नहीं।” 1950-53 के कोरियाई युद्ध को औपचारिक रूप से समाप्त करने के लिए पिछले हफ्ते मून के आह्वान का जिक्र करते हुए किम ने कहा कि वाशिंगटन को दक्षिण कोरिया के साथ संयुक्त सैन्य अभ्यास और प्रायद्वीप पर और उसके आसपास रणनीतिक हथियारों की तैनाती को स्थायी रूप से रोकने की जरूरत है।

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