कोरोना की तीसरी वेव से जूझ रहे ब्राज़ील ने वैक्सीन को लेकर लिया ये बड़ा फैसला ….
दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य संस्था WHO ने 'डेल्टा प्लस वेरिएंट' को अब तक का सबसे घातक और जानलेवा वायरस बताया है।
कोरोना की वैक्सीन आ जाने के बाद भी दुनिया को इस वायरस से छुटकारा नहीं मिल पाया है। थोड़े-थोड़े समय पे कोरोना वायरस अपने आपको एडवांस रूप में ढालकर दोबारा से अपना आतंक फैला रहा है। इस बार कोरोना का अब तक का सबसे एडवांस वर्शन जिसे ‘डेल्टा प्लस वेरिएंट’ कहा जा रहा है, ने एक बार फिर से दुनिया के कई बड़े देशों में अपना कोहराम मचा रखा है। इन देशों में अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस जैसे बड़े देश शामिल है।
दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य संस्था WHO ने ‘डेल्टा प्लस वेरिएंट’ को अब तक का सबसे घातक और जानलेवा वायरस बताया है। WHO ने दुनिया के उन देशों को सावधान और सतर्क रहने को कहा हैं। जहां पे फ़िलहाल अभी कोरोना की तीसरी लहर नहीं आई है उनके मुताबिक डेल्टा प्लस वेरिएंट तीसरी वेव के आने में बड़ी वजह साबित हो सकता है। जिनमे भारत भी शामिल है।
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जब दुनिया इतने कठिन समय से गुजर रही है तब भी कुछ ऐसे लोग है जो अपनी जेब को भरने में लगे हुए है। असल में हम ब्राज़ील की सत्तारून पार्टी की बात कर रहे है। ब्राज़ील की सरकार के एक बड़े फैसले ने सबको चौका दिया है। ब्राज़ील ने भारत में बन रही कोवैक्सीन टीके को लेने से मना कर दिया है। वहां के स्वास्थ्य मंत्रालय ने भारत बायोटेक के साथ हुए अनुबंध को सस्पेंड करने का फैसला किया है।
इस बारे में एक बयान जारी करते हुए उन्होंने कहा कि कम्पट्रोलर जनरल कार्यालय की सिफारिश पर कोवैक्सीन के अनुबंध को अस्थायी रूप से निलंबित करने का निर्णय लिया गया है। इसके साथ ही ब्राज़ील की स्वास्थ्य नियामक एजेंसी ANVISA का कोवैक्सीन को ग्रीन सिग्नल ना देना भी बड़ी वजह बताई जा रही है।
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भ्रष्टाचार का लग रहा है आरोप
ब्राज़ील द्वारा सस्पेंड किये गए कोवैक्सीन के अनुबंध के पीछे एक और बात सामने निकलकर आ रही है। ब्राज़ील सरकार में जन प्रतिनिधि लुई मिरांडा और उनके भाई लुई रिकार्डो मिरांडा ने बोलसेनारो सरकार पे ये आरोप लगाया है कि उन्होंने कोवैक्सीन टीके को जानभूझकर ऊंचे दाम पर खरीदने का ये सौदा भारत बायोटेक के साथ किया। इसकी शिकायत उन्होंने संसदीय पैनल के सामने दर्ज करवाई है।
लुई मिरांडा के इस आरोप को और बल इसीलिए भी मिल रहा है कि ब्राज़ील के स्वास्थ्य मंत्रालय के एक पूर्व कर्मचारी ने ये बात मानी है कि उनपे इस सौदे को ऊँचे दाम पर करने के दबाव डाला गया था।
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