लखनऊ- टीएस मिश्रा अस्पताल में कोरोना संक्रमित वरिष्ठ पत्रकार से मारपीट और अभद्रता…

लखनऊ- टीएस मिश्रा अस्पताल में कोरोना संक्रमित वरिष्ठ पत्रकार से मारपीट और अभद्रता...

Corona infected senior journalist TS Mishra Hospital Lucknow:- प्रदेश की राजधानी लखनऊ मे सरोजनीनगर के टीएस मिश्रा मेडिकल कॉलेज को कोविड अस्पताल बनाया गया है, जहां लगभग 1200 मरीज भर्ती हैं। यहां मरीजों को देखने के लिए एक भी डॉक्टर नहीं है। इसके साथ मरीजों को कोई सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। अस्पताल प्रशासन खुलेआम आइसीएमआर की गाइडलाइन की धज्जियां उड़ा रहा है। मरीज के आवाज उठाने पर उसके साथ मारपीट की जाती है और उसे बिना बताये दूसरे अस्पताल में ट्रांसफर कर दिया जाता है, ये सब प्रशासन की मिलीभगत से हो रहा है।

Corona infected senior journalist TS Mishra Hospital Lucknow:-

लखनऊ

टीएस मिश्रा अस्पताल में कोरोना संक्रमित वरिष्ठ पत्रकार से मारपीट और अभद्रता।

सरोजनीनगर एसडीएम प्रफुल्ल त्रिपाठी ने मरीज को जेल भेजने की दी धमकी।

गुडम्बा कोतवाली क्षेत्र के आदिलनगर निवासी राधेश्याम दीक्षित वरिष्ठ पत्रकार है

जानकारी के मुताबिक, राजधानी लखनऊ के गुडम्बा कोतवाली क्षेत्र के आदिलनगर निवासी राधेश्याम दीक्षित वरिष्ठ पत्रकार है। उन्होंने राजधानी के राम मनोहर लोहिया चिकित्सालय में कोविड-19 की जांच कराई थी, जिसमें वह पॉजिटिव पाए गए थे। कोविड कंट्रोल रूम ने उन्हें होम आइसोलेशन के लिए कहा था। इसके साथ ही उनसे कहा गया था कि आपकी देखभाल के लिए स्वास्थ्य विभाग की टीम समय-समय पर परामर्श देगी और आपके परिवार के टेस्ट के लिए टीम स्वयं घर पर आएगी, लेकिन कोई भी टीम जांच के लिए नहीं आई।

इसके बाद राधेश्याम दीक्षित की तबियत अचानक खराब हो गई। उन्हें 20 अगस्त, 2020 की शाम को घबराहट, सीने में दर्द, खांसी और हृदयाघात जैसी शिकायत हुई तो उन्होंने इसकी जानकारी कोविड कंट्रोल रूम, सीएमओ लखनऊ सहित तमाम संबंधित अधिकारियों को दी। इसके बाद उन्हें भर्ती कराने के लिए एक एम्बुलेंस भेजी गई, जिसके जरिए उन्हें टीएस मिश्रा मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया, जहां काफी देर बीत जाने के बाद उन्हें देखने के लिए कोई डॉक्टर नहीं आया और न ही कोई दवाई दी गई।

अस्पताल प्रशासन और सरकारी प्रशासन उन्हें मानसिक रोगी बताने में जुट गए

  • डॉक्टर को बुलाने की मांग करने पर अस्पताल के स्टाफ ने उनके साथ अभद्रता, गाली गलौज और मारपीट की,
  • जिसकी शिकायत उन्होंने लखनऊ डीएम, एडीएम, पुलिस हेल्पलाइन नम्बर सहित तमाम अधिकारियों से की।
  • इसके बावजूद कोई सुनवाई नहीं हुई।
  • अस्पताल प्रशासन और सरकारी प्रशासन मिलकर उन्हें मानसिक रोगी बताने में जुट गए।
  • और उन्हें दूसरे अस्पताल में ट्रांसफर करने के लिए एम्बुलेंस भी बुला ली।
  • इसके बाद एसडीएम सरोजनीनगर प्रफुल्ल त्रिपाठी सहित पुलिसकर्मियों की मौजूदगी में सिक्योरिटी गार्ड ने उनके साथ फिर से मारपीट और गाली गलौज करते हुए करते हुए कोविड वार्ड से बाहर खसीटते ला रहे थे,
  • उन्हें एम्बुलेंस के जरिए जबरदस्ती दूसरे अस्पताल में भेज रहे थे।
  • यही नहीं, इस दौरान एसडीएम ने मरीज को जेल भेजने की धमकी भी दी थी।
  • हालांकि मीडिया कर्मियों के आ जाने के बाद मामला कुछ शांत हुआ,
  • लेकिन एक बार फिर मामला भड़क गया।

पांच मिनट में अस्पताल परिसर तुंरत छोड़ दो

  • इसके बाद मरीज ने अपनी जान माल का खतरा बताते हुए अस्पताल में सुरक्षा की मांग की।
  • इस पर अस्पताल प्रशासन ने पुलिस और प्रशासन की मिलीभगत से उनका रैपिड एंटीजन टेस्ट कराया गया,
  • जिसकी रिपोर्ट निगेटिव आने पर उन्हें तुरंत अस्पताल से डिस्चार्ज करने की कार्यवाही शुरू कर दी।
  • इसके बाद एसडीएम ने मरीज को फिर धमकी दी।
  • कि पांच मिनट में अस्पताल परिसर तुंरत छोड़ दो अन्यथा तुम्हारे साथ वो सलूक किया जाएगा, जो हमेशा याद रखोगे।
  • इसके साथ ही उनके साथ अभिमन्यु वर्मा का भी रैपिड एंटीजन टेस्ट कराया,
  • जिसकी रिपोर्ट भी निगेटिव आई।
  • इसके बाद उसे भी डिस्चार्ज करने की बात करने लगे, लेकिन कुछ देर बाद उसे डिस्चार्ज करने से मना कर दिया और उसे घसीटते हुए फिर से कोविड वार्ड में भर्ती कर दिया,
  • जबकि वह खुद को होम क्वरैंटाइन किए जाने की बात करता रहा, लेकिन अस्पताल प्रशासन ने एक भी नहीं सुनी।

मरीज को रैपिड एंटीजन टेस्ट की रिपोर्ट निगेटिव

ऐसे में सवाल उठता है कि जब एक मरीज को रैपिड एंटीजन टेस्ट की रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद अस्पताल से जबरदस्ती डिस्चार्ज ​कर दिया जाता है तो दूसरे मरीज को क्यों नहीं किया गया है। ये हाल सिर्फ एक मरीज का नहीं है, ​बल्कि अस्पताल में सैंकड़ो ऐसे मरीज हैं, जिनके साथ गलत सुलूक किया जा रहा है।

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