आरम्भ को तैयार है अयोध्या : सीय राममय सब जग जानी। करउँ प्रनाम जोरि जुग पानी॥
आरम्भ को तैयार है अयोध्या : सीय राममय सब जग जानी। करउँ प्रनाम जोरि जुग पानी॥
construction of Shri Ram temple लखनऊ : रामनगरी अयोध्या आज परम पुलकित है, अयोध्या के मन की परिकल्पना आज साकार होने जा रही है। 492 वर्षों की लम्बी प्रतीक्षा के बाद पावन भूमि पूजन के साथ ही श्रीराम मंदिर निर्माण का श्रेष्ठतम पुनीत कार्य आज से आरम्भ हो जाएगा। रामनगरी अयोध्या इस आरम्भ के लिए पूरे मनोयोग से तैयार है। रामनगरी का परमानन्द गोस्वामी तुलसीदास की इन चौपाइयों में निहित है
आकर चारि लाख चौरासी। जाति जीव जल थल नभ बासी॥ सीय राममय सब जग जानी। करउँ प्रनाम जोरि जुग पानी॥
भावार्थ:-चौरासी लाख योनियों में चार प्रकार के (स्वेदज, अण्डज, उद्भिज्ज, जरायुज) जीव जल, पृथ्वी और आकाश में रहते हैं, उन सबसे भरे हुए इस सारे जगत को श्री सीताराममय जानकर मैं दोनों हाथ जोड़कर प्रणाम करता हूँ॥
construction of Shri Ram temple पहले भक्त हनुमान के दर्शन फिर भगवान श्रीराम मंदिर का भूमि पूजन
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- राम मंदिर के भूमि पूजन के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज को अयोध्या पहुंचेंगे।
- प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी पहली बार अयोध्या पहुंच रहे हैं।
- यहां वह सबसे पहले हनुमानगढ़ी के दर्शन करेंगे।
- इसके बाद रामजन्मभूमि परिसर पहुंचकर भूमि पूजन कार्यक्रम में शामिल होंगे।
- पीएम मोदी मंदिर निर्माण के लिए शिलान्यास भी करेंगे।
- भव्य समारोह के लिए अयोध्या में सारी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं।
- देश भर के पवित्र स्थानों की मिट्टी और पावन नदियों का जल यहाँ आ चुका है.
- पूरे देश से पूजा हेतु भेजी गया विशुद्ध गौमाता का घृत, प्राकृत नैवेद्य और अन्यान्य पूजन सामग्री भी यहां पहुँच चुकी है।
अलौकिक आनंद का सुअवसर, सम्पूर्ण जगत आनंदित
- श्री राम जन्मभूमि मंदिर भव्यता और दिव्यता की अद्वितीय कृति के रूप में विश्व पटल पर उभरेगा।
- आज इस परम पावन, श्रीराम मंदिर निर्माण भूमि पूजन समारोह के साथ ही मंदिर निर्माण कार्य प्रारम्भ हो जाएगा।
- रामनगरी अयोध्या, उत्तर प्रदेश अथवा भारत देश ही नहीं, पूरी दुनिया, पूरा जगत, अपितु सम्पूर्ण ब्रम्हांड आज अलौकिक आनंद में है।
- गांव-गांव, नगर-नगर, देश से लेकर विदेशों तक प्रभु श्रीराम के अनुयायी, और वैदिक संस्कृति के मांनने वाले, तन प्रफुल्लित मन प्रफुल्लित और यह जीवन प्रफुल्लित जैसे भाव में झूम रहे हैं।
- भजन-कीर्तन, राम-कथा और यज्ञ-हवन जैसे कार्यक्रम भारत देश और पूरी दुनिया में आयोजित हो रहे हैं।
‘राम सबमें हैं और राम सबके साथ हैं’ सबकी उनमे अगाध श्रद्धा है:-
- कोई किसी मत का भी हो, रामलला के भाव-प्रभाव, उनकी महिमा, उनके तेज और कृपा से अनजान नहीं है।
- देश-दुनिया के ान मुद्दों पर बड़ा मतान्तर रखने वाले राजनीतिक दलों को भी प्रभु श्रीराम की महिमा का बखूबी ज्ञान है.
- राम सबके हैं और सबकी उनमे अगाध श्रद्धा है, तभी तो सत्तारूढ़ राजनैतिक दल की सबसे बड़ी प्रतिद्वंदी कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा कि ‘राम सबमें हैं और राम सबके साथ हैं।’
- इसके साथ ही प्रियंका ने कहा कि रामलला के मंदिर के भूमिपूजन का कार्यक्रम राष्ट्रीय एकता, बंधुत्व और सांस्कृतिक समागम का अवसर बने।
ईश्वर का नगर है अयोध्या, रामनगरी की तुलना स्वर्ग से की गयी:-
- अयोध्या को ईश्वर का नगर कहा जाता है और इसकी तुलना स्वर्ग से की गयी है।
- वस्तुतः सरयू के किनारे बसी अयोध्या केवल सूर्यवंशी सम्राटों की राजधानी ही नहीं है.
- अपितु प्रत्येक हिन्दू के हृदय में बसे भगवान श्रीराम की जन्मभूमि भी है।
- इसलिए अथर्ववेद ने आठ चक्रों एवं नौ इन्द्रियोंवाले मनुष्य-शरीर को ही अयोध्या कहा है।
- अथर्ववेद में यौगिक प्रतीक के रूप में अयोध्या का उल्लेख है।
अष्टचक्रा नवद्वारा देवानां पूरयोध्या। तस्यां हिरण्मयः कोशः स्वर्गो ज्योतिषावृतः।।
अर्थात् देवपुरी अयोध्या सदृश इस पावन शरीर में एक हिरण्यमय कोश। है जो कि ज्योति से आवृत स्वर्ग है। यह मस्तिष्क ही स्वर्ग है, जो ज्योति का लोक है और देवों का स्थान है।
प्राचीनतम इतिहास में निहित है अयोध्या का महत्त्व और माहत्म्य:-
- रामायण के अनुसार अयोध्या की स्थापना मनु ने की थी।
- ऐसा माना जाता है कि प्रारम्भ में ही यह नगरी सरयू के तट पर बारह योजन (लगभग 144 किमी) लम्बाई और तीन योजन (लगभग 36 किमी) चौड़ाई में बसी थी।
- कई शताब्दी तक यह नगर सूर्यवंशी राजाओं की राजधानी रहा।
- अयोध्या मूल रूप से हिंदू मंदिरो की नगरी है।
- यहां आज भी हिंदू धर्म से जुड़े अनेक अवशेष देखे जा सकते हैं।
- इसका महत्व इसके प्राचीन इतिहास में निहित है, क्योंकि भारत के प्रसिद्ध एवं प्रतापी क्षत्रियों (सूर्यवंशी) की राजधानी यही नगर रहा है।
- उक्त क्षत्रियों में दशरथ पुत्र श्री रामचन्द्र अवतार और इष्टदेव के रूप में पूजे जाते हैं।
- पहले यह कोसल जनपद की राजधानी था।
- प्राचीन उल्लेखों के अनुसार तब इसका क्षेत्रफल 96 वर्ग मील था।
- यहाँ पर सातवीं शाताब्दी में चीनी यात्री हेनत्सांग आया था।
- उसके अनुसार यहाँ 20 बौद्ध मंदिर थे तथा 3000 भिक्षु रहते थे।
वैदिक अनुयाइयों के साथ जैनों की भी आराध्य तीर्थस्थली:-
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- जैन मत के अनुसार यहां चौबीस तीर्थंकरों में से पांच तीर्थंकरों का जन्म हुआ था।
- क्रम से पहले तीर्थंकर ऋषभनाथ जी, दूसरे तीर्थंकर अजितनाथ जी, चौथे तीर्थंकर अभिनंदननाथ जी, पांचवे तीर्थंकर सुमतिनाथ जी और चौदहवें तीर्थंकर अनंतनाथ जी।
- इसके अलावा जैन और वैदिक दोनों मतो के अनुसार भगवान रामचन्द्र जी का जन्म भी इसी भूमि पर हुआ।
- उक्त सभी तीर्थंकर और भगवान रामचंद्र जी सभी इक्ष्वाकु वंश से थे।
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