लखनऊ : कचरे का ऐसा किया इस्तेमाल की बन गया रिकॉर्ड

कूड़े कचरे से गांव खेत में खाद बनाना आम बात है,लेकिन यदि शहरी पाश कालोनी में ऐसा हो तो हैरत होनी लाजिमी है।पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर में कचरा प्रबंधन के लिए यही हो रहा है।

कूड़े कचरे से गांव खेत में खाद बनाना आम बात है,लेकिन यदि शहरी पाश कालोनी में ऐसा हो तो हैरत होनी लाजिमी है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर में कचरा प्रबंधन के लिए यही हो रहा है। वहां शास्त्रीनगर एच ब्लाक की जयहिंद सोसायटी के घर घर में किचन के कचरे से उम्दा कम्पोस्ट बनाई जाती है।अतः घरों से निकलने वाले कचरे में आधे से अधिक का समुचित निपटान हो जाता है।

आम के आम गुठलियों के दाम..

फल,फूल व सब्जियों के छिलके या बचा हुआ खाना पशुओं के मुंह लग जाए तो चारा बन जाता है,लेकिन शहर में यह मुमकिन नहीं होता।अतः किचन का कचरा प्रायः बेतरतीब ढंग से कूड़े में जाता है और गन्दगी बढ़ाता है।
उदगम पर कूड़े का सही निपटारा होने से उसके संग्रहण, सड़ने,उठाने,ले जाने,डलाव पर ढेर लगाने व गन्दगी बढ़ाने की समस्या खत्म हो जाती है और किचन का कचरा करीब 3 माह में सड़ कर एक तिहाई खाद में बदल जाता है।

लाभ

तैयार खाद का उपयोग किचन गार्डन,गमले व क्यारियों में ऑर्गेनिक फल फूल व सब्जियों आदि उगाने में किया जाता है।
प्रधानमंत्री जी के स्वच्छता अभियान के तहत चल रही इस मुहीम का श्रेय कालोनी के उन 15 वरिष्ठजनो को जाता है,जिन्होंने व्यस्त व स्वस्थ रहने के लिए क्लब 60 के नाम से अपना एक संगठन बना कर सर्वहित के कई काम अपने हाथों में ले रखे हैं।
दरअसल इस सोसायटी के पार्क की घास पत्तियों का शीघ्र व नियमित उठान न होने से कूड़े के ढेर लगे रहते थे। अतः क्लब 60 के संस्थापक महेश रस्तोगी व उनके मित्र हरि विश्नोई के मन में पुनः चक्रण का विचार आया।उन्होने नेशनल सेंटर फॉर ऑर्गेनिक फार्मिंग से सम्पर्क करके वेस्ट डिकम्पोजर हासिल किया व उससे गार्डन वेस्ट को वैदिक कम्पोस्ट में बदलने की सस्ती सरल तकनीक व कामयाबी हासिल की।
अब टैगोर पार्क में वैदिक कम्पोस्ट बनाने की 10 यूनिट हैं।गार्डन वेस्ट के निपटारे का यह आसान व किफायती तरीका देख कर मेरठ के बहुत से अन्य पार्कों व स्कूल कालेजों आदि ने भी अपने यहाँ वैदिक कम्पोस्ट यूनिट लगाई हैं।
क्लब 60 की यह अनूठी पहल देख कर मेरठ की मंडल आयुक्त ने इन्हें नगर निगम से  3 लाख रुपए के 200 एरोबिक होम कम्पोस्टर दिलाए। इनके लगने से जयहिंद आवासीय सोसायटी  प्रदेश मे पहली ऐसी सोसायटी बन गई , जिसके घर घर में किचन के कचरे को रिसाइकिल करने हेतु व्यक्तिगत कम्पोस्टर लगे हुए हैं। क्लब 60 का लक्ष्य अपनी कालोनी को जीरो कचरा व जीरो प्लास्टिक करने का है।कम्पोस्टिंग के बाद इस क्लब योजना सोलर लाइट, ओपन जिम लगवाने तथा ओषधीय पौधे उगाने की है।

मिले सम्मान

कम्पोस्ट बना कर कूड़े की समस्या से निपटने व अन्यों को प्रेरित करने के लिए नगर आयुक्त,डीएम व मंडल आयुक्त क्लब 60 को  प्रशस्तिपत्र दे चुकी हैं। सामुदायिक स्वच्छता में उत्कृष्ट योगदान के लिए क्लब 60 को पिछले दिनों उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य एवं नगर विकास मंत्री ने सम्मानित भी किया था।

आसान तरीका

किचन के कचरे से कम्पोस्ट बनाना कठिन नहीं है।इसके लिए 3 गमले,18 ली वाली बाल्टी या कंटेनर में नीचे व चारों ओर हवा के लिए सुराख करें।तली में अखबार बिछा कर रोज किचन का कचरा उसमे डाल कर 1मुठी बुरादा ऊपर से डाल कर उस पॉट को किसी शीट से ढक दें।हर तीसरे दिन उसे पलटें।10 दिन बाद आधा चम्मच माइक्रोब्स या कम्पोस्ट उसमे मिला दें।करीब 30 दिन में जब 1 पॉट भर जाए तो कचरा दूसरे में ,फिर तीसरे में डालें।जब तक तीसरा भरेगा तब तक पहले पॉट में खाद बन चुकी होगी।स्वच्छ सर्वे में गत 4 वर्षों से देश में सबसे स्वच्छ आ रहे इंदौर के 55 हजार घरों में यही होम कम्पोस्टर लगे हैं। मेरठ नगर निगम ने 75 हजार घरों में होम कम्पोस्टर से खाद बनाने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए क्लब 60 के सहयोग से प्रस्तावित प्रोत्साहन योजना में बढ़ावा दिया जाएगा।इसके तहत  अपने गमलों या क्यारी में बेह्तर उपयोग करने वाले 10 जनों को 10- 10 हजार रु व 100 जनों को 1-1 हजार रु के इनाम नगर निगम द्वारा दिए जाएंगे।उम्मीद है कि यह अभियान जल्द ही प्रदेश व्यापी बनेगा।

 

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