…तो इतने दिनों में कमेटी सौंपेगी सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट, फिर…

सुप्रीम कोर्ट की तरफ से बनाई गई कमेटी अपनी रिपोर्ट अगले दो महीने के अंदर कोर्ट को सौंपेगी. इस कमेटी में कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी अंतरराष्ट्रीय नीति अनुसंधान संस्थान के प्रमोद के. जोशी, शेतकारी संगठन के अनिल घनवंत और भारतीय किसान यूनियन के भूपिंदर सिंह मान शामिल हैं.

सुप्रीम कोर्ट की तरफ से बनाई गई कमेटी (commitee) अपनी रिपोर्ट अगले दो महीने के अंदर कोर्ट को सौंपेगी. इस कमेटी में कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी अंतरराष्ट्रीय नीति अनुसंधान संस्थान के प्रमोद के. जोशी, शेतकारी संगठन के अनिल घनवंत और भारतीय किसान यूनियन के भूपिंदर सिंह मान शामिल हैं. यह कमेटी (commitee) जबतक अपनी रिपोर्ट कोर्ट को नहीं सौंपेगी तबतक कृषि कानूनों को केंद्र सरकार लागू नहीं कर पाएगी. इसके साथ ही अगले आदेश तक एमएसपी भी जारी रहेगी. कमेटी (commitee) की पहली बैठक आज से 10 दिनों के भीतर होगी.

वहीं एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा है कि, मुझे उम्मीद है कि, अब केंद्र सरकार और किसानों के बीच ठोस बातचीत की शुरुआत होगी. शरद पवार ने कोर्ट के आदेश पर गठित हुई कमेटी (commitee) को लेकर ट्वीट किया है और लिखा है कि, तीनों कृषि कानूनों के अमल पर रोक लगाए जाने और मुद्दे को हल करने के लिए चार सदस्यीय कमेटी गठित किए जाने का सुप्रीम कोर्ट का आदेश स्वागत योग्य है. शरद पवार ने अपने दूसरे ट्वीट में कहा कि, किसानों के लिए ये एक बड़ी राहत है और मुझे उम्मीद है कि, किसानों के फायदे और कल्याण का ख्याल रखते हुए केंद्र सरकार और किसानों के बीच अब ठोस बातचीत शुरू होगी.

सुप्रीम कोर्ट की तरफ से गठित की गई कमेटी (commitee) के सामने पेश होने को लेकर किसान संगठनों ने इंकार कर दिया है. किसान संगठनों का कहना है कि, कमेटी में उन्हीं लोगों को शामिल किया गया है जो पहले से ही कृषि कानूनों की वकालत करते रहे हैं. ऐसे में उनके सामने पेश होकर कोई भी चर्चा नहीं की जाएगी. किसान सगंठनों ने कहा है कि, उनका आंदोलन जारी रहेगा और आने वाली 26 जनवरी को शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन किया जाएगा.

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भारतीय किसान यूनियन (आर) बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा, “हमने कल ही कहा था कि हम ऐसी किसी समिति (commitee) के समक्ष उपस्थित नहीं होंगे. हमारा आंदोलन हमेशा की तरह आगे बढ़ेगा. इस समिति के सभी सदस्य सरकार समर्थक हैं और सरकार के कानूनों को सही ठहरा रहे हैं.”

केंद्र सरकार ने कुछ दिन पहले कहा था कि, कृषि कानून का विरोध सिर्फ कुछ राज्यों के किसान कर रहे हैं. इस बात को लेकर अब दिल्ली कूच के लिए अलग-अलग राज्यों से किसान निकल पड़े हैं. आंध्र प्रदेश, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के बाद अब केरल के किसान भी दिल्ली पहुंचने वाले हैं. संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि, सरकार सुप्रीम कोर्ट में किसान आंदोलन को बदनाम करने और कुछ राज्यों तक सीमित बताकर आंदोलन को कमजोर करने की कोशिश कर रही है.

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