कोयले की कमी से देश में गहराया बिजली संकट, दिल्ली-पंजाब समेत कई राज्यों पर पड़ेगा इसका असर
देश में कोयले का संकट गहराता जा रहा है. .कई राज्यों में बिजली प्लांट बंद होने के कगार पर पहुंच गए हैं। दिल्ली में सिर्फ एक दिन का कोयला बचा है जिसके चलते दिल्ली में ब्लैकआउट की चेतावनी जारी कर दी गई है।
देश में कोयले का संकट गहराता जा रहा है. .कई राज्यों में बिजली प्लांट बंद होने के कगार पर पहुंच गए हैं। दिल्ली में सिर्फ एक दिन का कोयला बचा है जिसके चलते दिल्ली में ब्लैकआउट की चेतावनी जारी कर दी गई है। वहीं उत्तर प्रदेश में आठ संयंत्र अस्थाई तौर पर ठप हो गए हैं। पंजाब और आंध्र प्रदेश ने पॉवर प्लांट में कोयले की कमी जाहिर की है। ऐसे में केंद्र के सामने राज्यों की मांग को पूरा करना एक चुनौती बन गया है।
केंद्र सरकार ने कहा है की ऊर्जा मंत्रालय के नेतृत्व में सप्ताह में दो बार कोयले के स्टॉक की समीक्षा की जा रही है। कई राज्यों में शनिवार को जरूरत के मुकाबले आधी बिजली का उत्पादन ही हो सका, जिसकी वजह से छह घंटे तक कटौती करनी पड़ी। जम्मू-कश्मीर में भी छह घंटे बिजली कटौती हुई है। झारखंड के ग्रामीण क्षेत्र में आठ से दस घंटे की कटौती हो रही है।
वहीं गुजरात, राजस्थान, और तमिलनाडु सहित कई अन्य राज्यों में बिजली उत्पादन प्रभावित हुआ है। सबसे ज्यादा चिंताजनक स्थिति राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर तुरंत समस्या का समाधान निकालने की अपील की है।
उन्होंने पत्र में उन बिजली संयंत्रों में कोयले की उपलब्धता की जानकारी दी है, जिनसे दिल्ली को बिजली मिलती है। उन्होंने कहा कि नियम के अनुसार संयंत्रों के पास कोयले का लगभग 20 दिन का भंडार होना चाहिए, लेकिन यह कम होकर एक दिन का रह गया है।
इस कारण गैस आधारित बिजली संयंत्रों पर निर्भरता बढ़ी है, लेकिन उनके पास भी पर्याप्त गैस नहीं है। उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय से इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है। इस बीच, टाटा पावर दिल्ली डिस्टि्रब्यूशन लिमिटेड ने उपभोक्ताओं को एसएमएस भेजकर संभावित बिजली कटौती को लेकर सचेत किया है।
वहीं ऊर्जा मंत्रालय ने बताया कि कोरोना से जूझती अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए बड़ी मात्रा में फैक्ट्रियों व कंपनियों को संचालित किया गया। इससे बिजली की मांग और खपत बढ़ती चली गई। देश में बिजली की दैनिक खपत बढ़कर चार अरब यूनिट हो गई। यह मांग 65 से 70 प्रतिशत कोयले से चलने वाले संयंत्रों से पूरी की जा रही है। कोयले के स्टॉक की निगरानी के लिए ऊर्जा मंत्रालय ने 27 अगस्त को एक कोर मैनेजमेंट टीम का गठन किया है.
ये टीम हफ्ते में दो बार कोल स्टॉक की निगरानी और प्रबंधन का काम देखती है. इस कमेटी में ऊर्जा मंत्रालय, सीईओ, पोसोको, रेलवे और कोल इंडिया लिमिटेड के अधिकारी हैं. इस कमेटी ने हाल ही में 9 अक्टूबर को मीटिंग की थी.
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