Chhath Puja : कमर तक पानी में उतरकर क्यों दिया जाता है अर्घ्य?

छठ पर्व पूर्वोत्तर के बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में खास महत्व रखता है। इन क्षेत्रों के लोगों के लिए यह आस्था का सबसे बड़ा त्योहार है।

छठ पर्व पूर्वोत्तर के बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में खास महत्व रखता है। इन क्षेत्रों के लोगों के लिए यह आस्था का सबसे बड़ा त्योहार है। बिहार में यह किसी राजकीय पर्व से कम नहीं है। जबकि कोलकाता, दिल्ली, मध्य प्रदेश और मुंबई जैसे महानगरों और इनके उपनगरों में भी प्रवासी बिहारी और उत्तर प्रदेश के लोग इस त्योहार को बड़े धूमधाम से मनाते हैं। या यूं कहें कि जहां भी बिहार, यूपी के लोग रहते हैं, वह इस पर्व को जरूर मनाते हैं। छठ व्रत का महत्व इसी से समझा जा सकता है कि इसे मनाने के लिए लोग हर हाल में अपने गृह नगर जाते हैं। या फिर देश-विदेश में जहां भी रहते हैं इस त्योहार को मनाते हैं। इस व्रत को मानने वाले छठी मइया की पूजा करते हैं।

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कमर तक पानी में उतरकर क्यों दिया जाता है अर्घ्य? जानिए……

ग्रहों के राजा सूर्य को भगवान विष्णु का प्रत्यक्ष रूप माना जाता है। कार्तिक मास में भगवान विष्णु जल में निवास करते हैं। मान्यता है कि नदी या तालाब में कमर तक प्रवेश कर अर्घ्य देने से भगवान विष्णु और सूर्य दोनों की पूजा एकसाथ हो जाती है। वहीं यह भी मान्यता है कि पवित्र नदियों में प्रवेश करने से सभी पाप व कष्ट खत्म हो जाते हैं इसलिए जल में अर्घ्य देने की पंरपरा है। नदी व तालाब में प्रवेश करने को लेकर एक और मान्यता यह भी है कि अर्घ्य देते समय जो जल निचे गिरता है, उस जल का छींटा भक्तों के पैरों पर न पड़े इसलिए अर्घ्य पानी में उतरकर दिया जाता है।

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