मायावती ने एमबीबीएस और दंत चिकित्सा में OBC और दलित स्टूडेंट्स को आरक्षण देने के फैसले को बताया बीजेपी का राजनीतिक स्वार्थ
एक बात तो साफ़ है कि मोदी सरकार के इस फैसले से विपक्षीय पार्टियों को बड़ी मिर्ची लगी है, उनको इस बात का डर है कि कहीं OBC और दलित का वोट बैंक बीजेपी के पाले में न शिफ़्ट हो जाये।
बसपा सुप्रीमो मायावती ने केंद्र सरकार द्वारा एमबीबीएस और दंत चिकित्सा पाठ्यक्रमों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और आर्थिक रूप से कमजोर तबके के लिए आरक्षण का प्रावधान किये जाने के फैसले को बीजेपी का राजनीतिक स्वार्थ बताया। मायावती ने बताया कि यह फैसला चुनावी राजनीतिक स्वार्थ के लिए लिया गया है।
मोदी सरकार ने अखिल भारतीय आरक्षण योजना के अंतर्गत मौजूदा शैक्षणिक सत्र 2021-22 से स्नातक और स्नातकोत्तर चिकित्सा और दंत पाठ्यक्रमों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए 27 प्रतिशत और आर्थिक रूप से कमजोर तबके के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण की गुरुवार को घोषणा की। जिसके बाद विपक्षीय पार्टियों ने मोदी सरकार पे निशाना साधते हुए इसे 2022 के विधानसभा चुनावों को देखते हुए लिया गया फैसला बताया।
मायावती ने ट्वीट करके साधा निशाना
केंद्र सरकार के इस फैसले से बीजेपी को प्रदेश में होने वाले फायदे से मायावती खुश नहीं है इसी के चलते उन्होंने ट्वीट करके कहा कि, ”देश में सरकारी मेडिकल कॉलेजों की अखिल भारतीय स्नातक और स्नातकोत्तर सीटों में ओबीसी आरक्षण की घोषणा काफी देर से उठाया गया कदम है।” उन्होंने ये भी कहा कि, ”केंद्र सरकार अगर यह फैसला पहले ही समय से ले लेती तो इन वर्गों को अब तक काफी लाभ हो जाता, किन्तु अब लोगों को यह चुनावी राजनीतिक स्वार्थ हेतु लिया गया फैसला लगता है।”
2. वैसे बीएसपी बहुत पहले से सरकारी नौकरियों में एससी, एसटी व ओबीसी कोटा के बैकलॉग पदों को भरने की माँग लगातार करती रही है, किन्तु केन्द्र व यूपी सहित अन्य राज्यों की भी सरकारें इन वर्गों के वास्तविक हित व कल्याण के प्रति लगातार उदासीन ही बनी हुई हैं, यह अति दुःखद है।
— Mayawati (@Mayawati) July 30, 2021
इस ट्वीट के बाद उन्होंने एक और ट्वीट किया जिसमे उन्होंने कहा कि,”वैसे बसपा बहुत पहले से सरकारी नौकरियों में एससी, एसटी और ओबीसी कोटा के बैकलॉग पदों को भरने की मांग लगातार करती रही है, किंतु केंद्र व उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों की भी सरकारें इन वर्गों के वास्तविक हित और कल्याण के प्रति लगातार उदासीन बनी हुई हैं, जो बहुत दुखद है।”
एक बात तो साफ़ है कि मोदी सरकार के इस फैसले से विपक्षीय पार्टियों को बड़ी मिर्ची लगी है, उनको इस बात का डर है कि कहीं OBC और दलित का वोट बैंक बीजेपी के पाले में न शिफ़्ट हो जाये।
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