यूपी का रण : बीजेपी लाई अपना पुराना ‘ब्रह्मास्त्र’, योगी बाबा के विकास की नहीं होगी बात !

लेकिन एन चुनाव के मौके पर बीजेपी वापस अपने पुराने हथियार को भाँजने लगी। इसका आरंभ किया गृह मंत्री अमित शाह ने कैराना से। पश्चिम के इस इलाके में हिंदुओं के कथित पलायन के मुद्दे को बीजेपी ने धार दी और बहुसंख्यक मतों का धुव्रीकरण किया।

लखनऊ : यूपी की राजनीति पर नजर डालें तो, पिछले दो लोकसभा चुनाव और एक विधान सभा चुनाव में मतदान के बाद ये देखने को मिल कि बीजेपी ने सफलतापूर्वक बहुसंख्यक और छोटे जाति समूहों को अपने पाले में मजबूती से खड़ा कर लिया। यूपी में बीजेपी का वनवास समाप्त हुआ और योगी आदित्यनाथ सूबे के सीएम बने। 5 साल तक विकास की बात हुई। लेकिन एन चुनाव के मौके पर बीजेपी वापस अपने पुराने हथियार को भाँजने लगी। इसका आरंभ किया गृह मंत्री अमित शाह ने कैराना से। पश्चिम के इस इलाके में हिंदुओं के कथित पलायन के मुद्दे को बीजेपी ने धार दी और बहुसंख्यक मतों का धुव्रीकरण किया।

अब एक बार फिर यहां से शाह ने चुनावी जंग को तेज कर दिया है। बाकी का काम योगी और संगीत सोम जैसे नेता करने वाले हैं। चुनावी लाभ के लिए इलाके में एक बार फिर जाट-मुस्लिम के रिश्तों को तार-तार किया जाएगा।

पश्चिम का समीकरण

इलाके में करीब 70 प्रतिशत हिस्सेदारी के चलते यहां कि राजनीति में जाट, मुस्लिम और दलित जातियों का दबदबा था। इसके बाद जब बीजेपी की कमान मोदी-शाह के हाथों में आई तो 2014 के चुनाव में बीजेपी ने अल्पसंख्यक मुसलमानों के खिलाफ बहुसंख्यकों का ध्रुवीकरण किया, साथ ही हिंदुओं में भी जाटव के खिलाफ अन्य दलित समूहों का भी ध्रुवीकरण किया।

लोकसभा चुनाव और उसके बाद हुए 17 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी नेताओं ने इस इलाके में जमकर आग उगली, और नतीजे सबके सामने थे। बीजेपी नेताओं से आप बात करते हैं तो वो योगी सरकार के विकास कार्यों और कानून व्यवस्था के कसीदे पढ़ने लगेंगे। लेकिन शाह के जरिए बीजेपी अपना पुराना अचूक हथियार म्यान से निकाल चुकी है। बीजेपी के लिए ये करना मजबूरी भी है। ऐसा इसलिए है क्योंकि किसान आंदोलन के चलते इस इलाके में बीजेपी का काफी विरोध है।

गोलबंदी में जुटी बीजेपी

बीजेपी में पश्चिम की 108 सीटों पर जो उम्मीदवार खड़े किए हैं उनमें 64 गुर्जर, सैनी, कहार-कश्यप, वाल्मिकी बिरादरी से हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि सैनी बिरादरी जहां 10 तो वहीं गुर्जर दो दर्जन सीटों पर चुनाव जिताने की स्थति में हैं। वहीं कहार-कश्यप 10 सीटों पर शक्तिशाली हैं।

क्या है रणनीति

बीजेपी ने अपनी चुनावी रणनीति में बदलाव किया और वो इस इलाके में सुल्तान बन गई। इसे आप ऐसे समझ सकते हैं कि इस इलाके में लगभग हर सीट पर कश्यप, वाल्मिकी, ब्राह्मण, त्यागी, सैनी, गुर्जर, राजपूत की संख्या इतनी है कि जिसके पक्ष में एकमुश्त वोट कर दे वो जीता ही जीता। पिछले 2 लोकसभा और एक विधान सभा चुनाव में बीजेपी ने इस तकरीबन 30 प्रतिशत मतदाता वाले जातियों को अपने पाले में खड़ा कर लिया था।

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