पूर्व पीएम स्व. चंद्रशेखर जी की जयंती : आज हर घर में याद आएंगे कन्याकुमारी से नई दिल्ली तक पदयात्रा करने वाले पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर

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देश की राजनीति में युवा तुर्क के नाम से मशहूर पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर जी की जयंती आज पूरा देश मना रहा है. पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर जी सभी दलों के नेता माने जाते थे इसीलिए आज सभी दलों में चंद्रशेखर जी की जयंती मनाई जा रही है. फिर चाहे वो समाजवादी पार्टी हो भारतीय जनता पार्टी हो या फिर अन्य कोई पार्टी हो. सभी पार्टियों ने पूर्व प्रधानमंत्री की जयंती को मनाया है. सपा के नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी ने कार्यकर्ताओं से एक दिन उपवास रखने की घोषणा की है। वहीं अन्य संगठनों और चंद्रशेखर के लोगों ने भी अलग-अलग घोषणाएं की है।

आजमगढ़ में पूर्व पीएम चंद्रशेखर की जयंती पर आज MLC यशवंत सिंह ने माल्यार्पण किया। आजमगढ़ के जहानगंज में आयोजित कार्यक्रम में एमएलसी यशवंत सिंह ने लोगों से घर में रहकर जयंती मनाने की अपील की और पूर्व पीएम चंद्रशेखर के आदर्शों पर चलने का संकल्प लिया।

पूर्व कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश सिंह ने आज पूर्व प्रधानमंत्री स्व0 चंद्रशेखर जी की जयंती पर अपने आवास पर श्रद्धा सुमन अर्पित की।

साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए, अपने क्षेत्र में लोगो के लिए अन्न का उचित प्रबंध कराया गया।

हमारा यही प्रयास, भूखा न रहे कोई आस पास।

समाज सेवक हिमांशु सिंह और कुँवर सुरेश सिंह ने भी अपने आवास पर पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर जी की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित करते हुए उनकी जयंती मनाई।

देश की राजनीति में युवा तुर्क के नाम से मशहूर पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर जी ने अपनी वैचारिक अडिगता और साहस के लिए जाने जाते थे। कांग्रेस में रहते हुए उन्होंने आपातकाल का मुखर विरोध किया था। 1971 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का विरोध किया, लेकिन पार्टी कार्यसमिति का चुनाव लड़ा और विजय हासिल की। उनकी समाजवादी विचारधारा की मजबूती का श्रेय प्रयागराज को भी जाता है, जहां पढ़ाई के दौरान उनको आचार्य नरेंद्र देव का सान्निध्य मिला।

दस नवंबर, 1990 से 21 जून, 1991 तक प्रधानमंत्री रहे चंद्रशेखर समाजवादी आंदोलन से निकली इकलौती ऐसी शख्सियत थे, जिन्हें प्रधानमंत्री पद तक पहुंचने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के इब्राहिमपट्टी गांव में 17 अप्रैल 1927 को किसान परिवार में जन्मे चंद्रशेखर के पास प्रधानमंत्री बनने से पहले मुख्यमंत्री तो क्या किसी राज्य या केंद्र में मंत्री पद का भी कोई अनुभव नहीं था। जेपी नारायण स्मारक प्रतिष्ठान के व्यवस्थापक अशोक कुमार सिंह बताते हैं कि प्रधानमंत्री बनने से कहीं ज्यादा महत्व उनकी उस लंबी राजनीतिक यात्रा का है, जिसमें तमाम ऊबड़-खाबड़ रास्तों से गुजरने के बावजूद वह समाजवादी विचारधारा से पल भर को भी अलग नहीं हुए।

 

दस नवंबर, 1990 से 21 जून, 1991 तक की बेहद अल्प अवधि में भारत के प्रधानमंत्री रहे स्वर्गीय चंद्रशेखर के नाम एक बड़ा ही अनूठा कीर्तिमान दर्ज है: वे भारत के समाजवादी आंदोलन से निकली इकलौती ऐसी शख्सियत हैं, जिसे प्रधानमंत्री पद तक पहुंचने का सौभाग्य प्राप्त हुआ.

 

हां, उत्तर प्रदेश के ऐतिहासिक जिले बलिया के इब्राहिमपट्टी गांव में एक किसान परिवार में जन्मी और ‘क्रांतिकारी जोश’ व ‘गर्म स्वभाव की’ बताई जाने वाली इस ‘आदर्शवादी’ शख्सियत से जुडा एक रोचक तथ्य यह भी है कि प्रधानमंत्री बनने से पहले उसके पास मुख्यमंत्री कौन कहे, किसी राज्य या केंद्र में मंत्री पद संभालने का भी कोई ‘अनुभव’ नहीं था.

 

अलबत्ता, वह 1977 से 1988 तक जनता पार्टी के अध्यक्ष पद पर आसीन रहे थे:-

दूसरी ओर इस कीर्तिमान के उलट उनके द्वारा गठित समाजवादी जनता पार्टी की उत्तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष अशोक श्रीवास्तव कहते हैं, ‘चंद्रशेखर जी के प्रधानमंत्री बनने से कहीं ज्यादा महत्व उनकी उस लंबी राजनीतिक यात्रा का है, जिसमें तमाम ऊंचे-नीचे व ऊबड़-खाबड़ रास्तों से गुजरने और परिस्थितियों के एकदम अनुकूल न रह जाने पर सीमाओं में बंधते जाने के बावजूद वे समाजवादी विचारधारा से पल भर को भी अलग नहीं हुए.

नेता के तौर पर अपनी जनता को सच्चा नेतृत्व देने के लिए उन्होंने लोकप्रियतावादी कदमों से परे जाकर अलोकप्रिय होने के खतरे तो उठाये ही, अपने समूचे राजनीतिक जीवन में अपनी ही हथेलियों पर कांटे चुभो-चुभोकर गुलाब उकेरते रहे.’

इस सिलसिले में वे चंद्रशेखर द्वारा 6 जनवरी, 1983 से 25 जून, 1983 तक देशवासियों से मिलने एवं उनकी महत्वपूर्ण समस्याओं को समझने के लिए की गई अपने वक्त की बहुचर्चित ‘भारत यात्रा’ की भी याद दिलाते हैं.

इस यात्रा में उन्होंने दक्षिण में कन्याकुमारी से नई दिल्ली में राजघाट तक लगभग 4,260 किलोमीटर की मैराथन पदयात्रा की थी. प्रसंगवश, किसी भी भारतीय नेता द्वारा की गई यह अब तक की सबसे बड़ी पदयात्रा है.

तब केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात, उत्तर प्रदेश एवं हरियाणा सहित देश के विभिन्न भागों में लगभग पंद्रह भारत यात्रा केंद्रों की स्थापना की गई थी.

हमारी आज की पीढ़ी के बहुत कम सदस्य जानते होंगे कि चंद्रशेखर समाजवाद के भारत विख्यात मनीषी आचार्य नरेंद्रदेव के शिष्य थे और इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अपने छात्र जीवन में ही समाजवादी आंदोलन से जुड़ गए थे.

राजनीतिक में उनकी पारी सोशलिस्ट पार्टी से शुरू हुई और संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी व प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के रास्ते कांग्रेस, जनता पार्टी, जनता दल, समाजवादी जनता दल और समाजवादी जनता पार्टी तक पहुंचकर खत्म हुई.

पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर जी को अपना आदर्श मानते हैं ये राजनीति के धुरंधर :-

उत्तर प्रदेश की राजनीति में जो आज दिशा दिखाने का काम कर रहे हैं वे पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर को ही अपना आदर्श मानते हैं. इनमें समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता राम गोविंद चौधरी, पूर्व कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश सिंह, विधानपरिषद सदस्य यशवंत सिंह सहित कई वरिष्ठ नेताओं का नाम शामिल है. पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर जी किसी पार्टी या किसी व्यक्ति विशेष से बंधे हुए नहीं थे यही कारण है कि वे पक्ष, विपक्ष से लेकर अन्य सभी दलों के चहेते राजनेता थे.

 

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