दिसंबर की इस तारीख से भूलकर भी न करें ये शुभ काम नहीं तो हो जाएंगे कंगाल
खरमास के दौरान अगर कोई भी शुभ कार्य या फिर मांगलिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है तो वह सफल नहीं होता है और इंसान की जिंदगी में समस्याओं का आना शुरू हो जाता है.
हमारे जीवन में ग्रह-नक्षत्रों का बड़ा महत्व होता है चाहे वो पूजा-पाठ को लेकर हो या फिर कोई भी शुभ कार्य करने से संबंधित हो. हम जब भी कोई शुभ कार्य करते हैं तो इसमें ग्रह-नक्षत्रों की दिशा और दशा का खास ख्याल रखते हैं. 15 दिसंबर से सूर्य देव धनु राशि में प्रवेश करने जा रहे हैं जिसके बाद से खरमास(Kharmas) शुरू हो जाएगा. खरमास शुरू होने के बाद सारे शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं ऐसा शास्त्रों में लिखा गया है. खरमास के दौरान अगर कोई भी शुभ कार्य या फिर मांगलिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है तो वह सफल नहीं होता है और इंसान की जिंदगी में समस्याओं का आना शुरू हो जाता है.
तो आइये जानते हैं कि, खरमास(Kharmas) के दौरान किन-किन चीजों से दूरी बनाए रखना है और कार्यों पर विराम लगा देना है. इसके साथ ही खरमास के समय में कौन-कौन से कार्य करने चाहिए जिससे ग्रह-नक्षत्र पर सकारात्मक असर बना रहे.
क्या करें क्या न करें
शास्त्रों में बताया गया है कि, खरमास के समय में सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करके सूर्यदेव को जल अर्पित करें. इसके साथ ही ईश्वर का स्मरण करना लाभदायक होता है. सूर्यास्त के बाद सूर्यदेव को जल चढ़ाएं.
कहा जाता है कि, खरमास(Kharmas) के समय में भगवान विष्णु और कृष्ण की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है. इसलिए इन दोनों का स्मरण जरूर करना चाहिए.
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खरमास के दौरान पवित्र नदियों(rivers) में स्नान करना शुभ माना जाता है. नदी(rivers) में स्नान करने से रोगों से मुक्ति मिलती है और शुभ माना जाता है.
खरमास(Kharmas) में गरीब और बेसहारा लोगों की मदद करनी चाहिए इसके साथ ही साधु-संतों की सेवा करनी चाहिए. ऐसा करने से भाग्य चमकता है.
खरमास के समय विवाह, जनेऊ, गृह-प्रवेश जैसे मांगलिक कार्य करना अशुभ माना जाता है. इसके साथ ही इस महीने में मांस-मदिरा का सेवन करना भी समस्याएं पैदा करता है.
खरमास में धार्मिक यात्रा करने का विशेष महत्व है. इसलिए इस माह में धार्मिक यात्रा पर जरूर जाएं.
इस महीने में प्याज-लहसुन के इस्तेमाल पर पूरी तरह से पाबंदी होनी चाहिए. इससे नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है.
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