बेसिक शिक्षा विभाग में है घोर अंधेरगर्दी, अब निकले तीन और पुरुष “अनामिका” टीचर

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा विभाग में अब एक अनामिका शुक्ला नहीं, बल्कि उसके जैसे तमाम फर्जीवाड़े सामने आने लगे हैं।  न जाने कितनी गहरी जड़ें हैं इस भ्रष्टाचार की जिसके एक नमूने भर का नाम “अनामिका शुक्ला” है।

सामने आ रहे ऐसे मामलों में किसी की फोटो, किसी की डिग्री और अन्य दस्तावेज लगाकर इन नटवरलालों द्वारा नौकरी हासिल कर ली गयी है। ऐसा लगता है कि सिलसिला काफी पुराना है और इसकी जड़ें काफी गहराई तक घुसी हुयी हैं । बस बेसिक शिक्षा विभाग में फैली इस अंधरेगर्दी के चलते फ्राड के यह मामले अब तक पूरी तरह सामने नहीं आ पा रहे थे।

अनामिका शुक्ला के बाद अब बाराबंकी जिले में फर्जी दस्तावेजों के सहारे नौकरी करते पाए गये तीन मामले सामने आए हैं। इन तीनों मामलों में दस्तावेज किसी और के लगाए गये हैं। और नौकरी कोई और कर रहा है। मामला खुलने के बाद विभाग के अधिकारी अपने बचाव में नौकरी के वक्त पुलिस द्वारा किये गए सत्यापन की रिपोर्ट को अपनी ढाल बना रहे हैं।

जनपद बाराबंकी के बेसिक शिक्षा अधिकारी वीपी सिंह के अनुसार फर्जीवाड़ा के इस मामले में रडार पर आये इन तीनों शिक्षकों को नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया है। बीएसए का कहना है कि बाराबंकी मे जो लोग सहायक शिक्षक पद पर नौकरी कर रहे हैं, उन्होंने किसी दूसरे के शैक्षिक प्रमाण पत्र के सहारे नौकरी पाई है।

कुल मिलाकर सच यह है कि भ्रष्टाचार का अड्डा बने बेसिक शिक्षा विभाग में इस प्रकार के और भी कई मामले अभी सामने आ सकते हैं, बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करने वालों का खेल कितना गहरा है यह सामने आना अभी बाकी है। अब तो ऐसा लग रहा है कि अगर पूरे प्रदेश में सही तरीके से जांच-पड़ताल कराई जाएगी तो सबसे बड़ा फर्जीवाड़ा और सबसे बड़ा घोटाला शिक्षा के नाम पर ही निकल कर आएगा और इसमें कई बड़े चहरे बेनकाब होकर प्रदेश को लूटने के लिए पहचाने जाएंगे।

पैन कार्ड बदलने से खुला फर्जीवाड़ा:-

बेसिक शिक्षा अधिकारी के अनुसार हैदरगढ़ ब्लॉक क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय पट्टी में सहायक अध्यापक पद पर रजत नामक व्यक्ति नौकरी करते हैं। जिस रजत के दस्तावेज लगाकर नौकरी हासिल की गयी है वो रजत तो लखनऊ इंटर कालेज में अध्यापक हैं। ख़ास बात यह है कि यह मामला तब खुला जब बेसिक शिक्षा विभाग में सहायक अध्यापक के पद पर रजन नाम से नौकरी कर रहे व्यक्ति ने तीन बार अपने पेन कार्ड में बदलाव किया। बार-बार पेन कार्ड बदलने पर विभाग को शक हुआ और तहकीकात की गयी तब मालूम पड़ा कि असली रजत कोई और है।

सहायक अध्यापक से प्रधानाचार्य तक पहुँच गया फर्जी शिक्षक:-

इसी तरह के दूसरे मामले में रामनगर के नारायनपुर प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक पर पर तैनात शशिकांत मिश्रा का असली नाम बालेन्द्र मिश्रा है। मामले में पाया गया कि असली शशिकांत मिश्रा तो अम्बेडकर नगर में पढ़ाते हैं। उनके नाम पर नौकरी कर रहे इस व्यक्ति को केवल तनख्वाह ही नहीं, बराबर तरक्की भी मिलती रही।  किसे दूसरे के नाम पर नौकरी पाने वाला यह बालेन्द्र मिश्रा सहायक अध्यापक से भर्ती होकर प्रधानाचार्य पद तक पहुँच गया। परन्तु गजब यह कि बालेन्द्र का कच्चे चिट्ठे वाला फ्राड इतने सालों सामने नहीं आ पाया। निश्चित रूप से यह कहा जा सकता है कि इस फर्जीवाड़े में बालेन्द्र की मदद करने वाले कोई बाहरी नहीं बल्कि विभाग के ही कुछ बड़े नाम भी शामिल रहे होंगे।

असली व्यक्ति की तैनाती दूसरे जिले में:-

अब बात करते हैं फर्जीवाड़े की इस कड़ी के तीसरे मामले पर तो बाराबंकी के ही सीठूमऊ में अभिषेक त्रिपाठी नाम से एक व्यक्ति वर्षों से कार्यरत है, यह व्यक्ति भी जालसाजी करके नौकरी करता पाया गया है। फ्राड करके अध्यापक की नौकरी करने वाला यह शख्स कौन है इसका पता तो नहीं चला पर इस बात का पता जरूर चला कि असली अभिषेक त्रिपाठी संत कबीर नगर के खलीलाबाद में सहायक अध्यापक हैं।

नोटिस के बाद फरार चल रहे हैं तीनों जालसाज:-

जिले में निकले इस चौंकाने वाले मामले पर बेसिक शिक्षा अधिकारी बताते हैं कि दरअसल फर्जीवाड़ा सामने आने पर इन तीनों को को विभाग की ओर नोटिस जारी की गयी थी। अब ये तीनों ही इस नोटिस के बाद से फरार चल रहे हैं। इन लोगों द्वारा विभाग की ओर से मांगे गए स्पष्टीकरण का जवाब भी नहीं दिया गया और न ही कार्यालय में आकर अपना पक्ष प्रस्तुत किया है। ऐसे में इनकी नौकरी से बर्खास्तगी की औपचारिकताएं पूरी कर ली गयी हैं।

अब पुलिस वेरीफिकेशन को ढाल बना रहा विभाग:-

इतनी बड़ी गड़बड़ी के इस मामले में विभाग के अधिकारी अब अपने बचाव में नौकरी देते वक्त हुयी पुलिस सत्यापन रिपोर्ट को ढाल की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं। इनका तर्क है नौकरी देने से पहले विभाग सम्बंधित व्यक्ति का पुलिस सत्यापन कराता है। इसके बाद ही उसे नौकरी दी जाती है। विभाग ने दस्तावेजों के आधार पर पुलिस से सत्यापन कराया और सत्यापन की रिपोर्ट आने के बाद ही इन लोगों को डियूटी ज्वाइन कराई गयी।

बेसिक शिक्षा मंत्री का बयान :-

बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी ने इस पूरे मामले पर बोलते हुए कहा कि इस प्रकरण की गहनता से जांच कराई जा रही है. जो भी दोषी होगा उसे किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जायेगा। योगी सरकार के स्पष्ट दिशा निर्देशों के अनुसार प्रदेश में भ्रष्टाचार को लेकर ज़ीरो टोलरेंस की नीति अपनाई जा रही है. हम इसी के तहत कार्यवाई करेंगे।

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