बाँदा : बाढ़ के कहर से जनजीवन अस्त व्यस्त

बाँदा में केन और यमुना नदी में लगातार बढ़ते जलस्तर से अब तक लगभग तीन दर्जन गांव चपेट में आ चुके है ग्रामवासी बढ़ते जलस्तर को देखते हुए।

बाँदा में केन और यमुना नदी में लगातार बढ़ते जलस्तर से अब तक लगभग तीन दर्जन गांव चपेट में आ चुके है ग्रामवासी बढ़ते जलस्तर को देखते हुए। चिंतित है और अपने बाल बच्चों समेत गांव से पलायन को मजबूर हो रहे है ग्रामीणों ने जिला प्रशासन पर अनदेखी का आरोप लगाया है अभी तक प्रशासन खाद्य रसद के अलावा स्वास्थ्य विभाग की टीम भी राहत के लिए नही पहुची है ऐसे में ग्रामीण अपने मासूम नौनिहालों को लेकर नाव के सहारे पलायन कर रहे है या फिर उचे इलाके में जाकर झोपड़ी तैयार कर रहे है जिससे बाढ़ की विभीषिका से निपट सके भारी बारिश और बढ़ते पानी से संक्रमण का खतरा मँडराता दिखाई दे रहा है जिसको लेकर प्रशासन द्वारा की जा रही हील हवाली कही बड़ा रूप न लेले।

बता दे कि बाँदा जनपद में केन और यमुना नदी अपना रौद्र रूप दिखाने को आतुर है केन नदी खतरे के निशान से लगभग दो मीटर नीचे है जबकि यमुना नदी खतरे के निशान को पार कर चुकी है ऐसे में जनपद के पैलानी तहसील के चिल्ला और जसपुरा क्षेत्रों में पानी कई गांवों में आ चुका है जिससे वहां के निवासी लगातार चिंतित है बराबर बढ़ते जलस्तर से ग्रामीणों ने पलायन करना शुरू कर दिया है या फिर गांव के ही ऊंचे स्थान पर झोपड़ी बनाकर वही रुके हुए है हालांकि ग्रामीणों द्वारा जिला प्रशासन पर निष्क्रियता का आरोप लगा जा रहा है और अपने छोटे छोटे नौनिहालों को लेकर सुरक्षित स्थान पर जाकर डेरा डाल लिया है बाढ़ की वजह से घरों में रखा रसद पूरी तरह से नष्ट हो चुका है ऐसे में एक ओर जहाँ बाढ़ की विभीषिका है तो दूसरी ओर भुखमरी की कगार पर ग्रामीण खड़े है हालांकि जिला प्रशासन द्वारा दावा किया जा रहा है कि निगरानी चालू है पर धरातल पर कुछ और ही नजारा है रात होते ही कीड़े मकोडों का डर और सक्रमण का खतरा लगातार बना हुआ है अगर ऐसे ही नदी का जलस्तर बढ़ता रहा तो स्तिथि औऱ भी भयावह हो सकती है पता नही कब जिला प्रशासन की आंख खुलेगी औऱ ग्रामीणों की मदद के लिए शासन इंतजाम करेगा बता दे कि कई गांवों का सड़क द्वारा संपर्क टूट गया है वहाँ आवागमन के लिए या तो नाव द्वारा जाया जय या फिर तैरते हुये।

Report-इल्यास खान

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