बरेली के आयुष ने बढ़ाया देश का मान, इस पर्वत पर पहुंचकर लहराया तिरंगा…

बरेली के मूल निवासी आयुष खरे ने देश का नाम रोशन किया है। उन्होंने अफ्रीका के किलिमंजारो पर्वत पर पहुंचकर तिरंगा फहराया है।

बरेली के मूल निवासी आयुष खरे ने देश का नाम रोशन किया है। उन्होंने अफ्रीका के किलिमंजारो पर्वत पर पहुंचकर तिरंगा फहराया है। यह उनकी दूसरी बड़ी उपलब्धि है इससे पहले भी आयुष ने देश के स्टोक कांगड़ी शिखर पर पहुंचकर तिरंगा लहराया था।

अपनी काबिलियत के बल पर देश के स्टोक कांगड़ी शिखर पर पहुंचकर तिरंगा लहरा कर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड को अपने नाम करने वाले मर्चेंट नेवी के कैडेट आयुष खरे ने फिर एक बार ना सिर्फ अपने माता-पिता का नाम रोशन किया है बल्कि उन्होंने बरेली के साथ-साथ प्रदेश और देश का भी नाम रोशन कर दिया है दरअसल आयुष खरे मर्चेंट नेवी में बतौर कैडेट अभी अपना प्रशिक्षण कर रहे हैं ऐसे में उन्होंने फिर एक बार खुद को साबित करके दिखाया है हम आपको बता दें कि आयुष खरे के पिता रेलवे के डीजल सेड में सीनियर टेक्नीशियन हैं, जबकि माता गृहिणी हैं,परिवार में एक छोटा भाई भी है। आयुष की इस कामयाबी पर परिवार में जहां खुशी का माहौल है वहीं जानने वालों और रिश्तेदारों का तांता भी बधाई देने के लिए लगा हुआ है।

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आयुष के पिता का कहना है कि उन्हें जब यह पता चला कि उनका बेटा अफ्रीका के किलिमंजारो पर्वत पर विषम परिस्थितियों में तिरंगा फैरा चुका है तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं था आयुष के पिता विनय खरे ने बताया कि वह लोग काफी डरे हुए थे लेकिन उनके पुत्र ने यह सिद्ध कर दिखाया कि असफलता से सबक लेकर आगे बढ़ना ही जिंदगी है और उनके बेटे ने मुझे कर दिखाया पिता का कहना है कि आयुष और मैं कक्षा 11 में एक बार असफल हो गए थे लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और फिर लगातार आगे बढ़ते रहे।

आयुष की माता पारुल खरे का कहना है कि वह उनके काफी करीब हैं और जो भी उनके मन में होता है अपनी मां से जरूर शेयर करते हैं आयुष की माता ने बताया कि बेटे ने जब उन्हें इस टास्क के बारे में बताया था तो वह काफी डर गई थी लेकिन बेटे की जीत के सामने वह कुछ बोल नहीं पाए और भगवान से प्रार्थना पूरा परिवार करता रहा।

वहीं आयुष के छोटे भाई स्पर्श का कहना है कि उनके भाई ने ना सिर्फ किलिमंजारो पर्वत पर तिरंगा फहराया बल्कि इसके अलावा भी उनकी पेंटिंग से लेकर साइकिलिंग में भी काफी रुचि रही है मर्चेंट नेवी मैं बतौर कैडेट अपने कैरियर को संवारने में जुटे आयुष खरे की इस कामयाबी से परिवार खुद को भी गौरवान्वित महसूस कर रहा है ।

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