लखनऊ : सरकार के नियमों को नही मानता स्वास्थ्य विभाग, हाई रिस्क नर्सो की लगा दी ड्यूटी!
वैश्विक महामारी कोविड-19 से बचने के लिए जहां सरकार समझाते नहीं थक रही है, हर आम और खास को संक्रमण से बचने का पाठ पढ़ाया जा रहा है, वहीं डॉ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में कर्मचारियों पर ही कोविड संक्रमण की तलवार लटक रही है, ताज्जुब यह है कि यह परिस्थिति बनी नहीं हैं, बनायी गयी हैं।
वैश्विक महामारी कोविड-19 (covid hospital) से बचने के लिए जहां सरकार समझाते नहीं थक रही है, हर आम और खास को संक्रमण से बचने का पाठ पढ़ाया जा रहा है, वहीं डॉ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में कर्मचारियों पर ही कोविड संक्रमण की तलवार लटक रही है, ताज्जुब यह है कि यह परिस्थिति बनी नहीं हैं, बनायी गयी हैं।
आरोप है कि संस्थान में ऐसे कर्मचारियों की भी कोविड अस्पताल में ड्यूटी लगा दी जा रही है, जिन्हें कोविड संक्रमण का हाईरिस्क है, और संस्थान द्वारा गठित मेडिकल बोर्ड ने भी उनकी ड्यूटी कोविड में न लगाने की सलाह दी है।
संक्रमण के खतरे से बचाने के लिए कोविड ड्यूटी से छूट दे दी जाती है
आपको बता दें कि सरकार ने भी यह गाइड लाइन जारी कर रखी हैं कि अगर गर्भवती, सीवियर डायबिटीज, सीवियर अस्थमा, गर्भवती महिलायें, इम्युन डिजीज जैसी गंभीर प्रकार की बीमारी है तो उसे संक्रमण के खतरे से बचाने के लिए कोविड ड्यूटी से छूट दे दी जाती है, उसकी बीमारी इस लायक है कि नहीं इसके लिए अस्पतालों द्वारा अपने-अपने स्तर पर एक मेडिकल बोर्ड गठित किया गया है, जो भारत सरकार द्वारा तय किये मानकों के अंतर्गत तय करता है कि कर्मचारी की ड्यूटी लगे या नहीं। लोहिया संस्थान में भी 21 अगस्त, 2020 के आदेश में मुख्य चिकित्सा अधीक्षक की ओर से कहा गया है कि अस्पताल द्वारा गठित मेडिकल बोर्ड ड्यूटी से छूट देने या न देने की बात जांच के बाद तय कर सकता है।
कोविड संक्रमण का खतरा है उनकी बह लगा दी जा रही है ड्यूटी
मुख्य चिकित्सा अधीक्षक और डिप्टी नर्सिंग सुपरिन्टेन्डेंट (डीएनएस) पर आरोप है कि उनके द्वारा जानबूझकर यहां के नर्सिंग स्टाफ की ड्यूटी लगाने में मनमानी की जा रही है, जो नर्स ऐसी गंभीर बीमारियों से पीडि़त हैं जिसमें कोविड संक्रमण का खतरा है, और मेडिकल बोर्ड ने भी ड्यूटी न लगाने की सलाह दी है, उनकी भी ड्यूटी लगा दी जा रही है। जिन नर्स की ड्यूटी नियम विपरीत लगायी गयी है, उनमें सीटीवीएस विभाग में तैनात पुरुष स्टाफ नर्स को ऑटो इम्यून डीसीज है, मेडिकल बोर्ड ने भी बीमारी की पुष्टि की है, 17 सितंबर को विशेषज्ञों की टीम ने कोविड हॉस्पिटल में तीन माह तक ड्यूटी न लगाने की छूट दी। लेकिन इसके बावजूद ड्यूटी लगा दी गई।
इसी प्रकार न्यूरो सर्जरी विभाग की ओटी में तैनात एक स्टाफ नर्स अस्थमा से पीड़ित है। मेडिकल बोर्ड ने 24 सितंबर को जांच में नर्स में बीमारी की पुष्टि की। फिर भी अफसरों ने बीमार नर्स की कोविड हॉस्पिटल में ड्यूटी लगा दी।
नर्सिंग एसोसिएशन के महामंत्री अमित शर्मा ने आरोप लगाया कि बुधवार को मुख्य चिकित्सा अधीक्षक द्वारा जारी रोस्टर में भी ऐसी चार नर्स शामिल हैं जो बीमार हैं, और नियमानुसार उन्हें कोविड ड्यूटी से छूट है। उन्होंने कहा कि इन कर्मचारियों की ड्यूटी यहां जनरल अस्पताल में लगा दें, कोविड अस्पताल में न लगायें, वहां की जरूरत दूसरी नर्सों से पूरी कर लें, इसके लिए जरूरत पड़ी तो दोबारा ड्यूटी भी की जा सकती है। उनका कहना है कि इस बात पर निदेशक भी सहमत थीं, लेकिन फिर भी मुख्य चिकित्सा अधीक्षक ने 30 सितम्बर को जारी ड्यूटी रोस्टर में बीमार नर्सों का नाम शामिल कर दिया है।
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