सब जन शिवाय

सब जन शिवाय इसे सही साबित किये यूपी के अमेठी जिले के पीढ़ी गांव निवासी बकरीदी और कृष्णदत्त तिवारी ने।  यह मंजर तब सजता है जब लंबी सफेद दाढ़ी और सिर पर इस्लामी टोपी पहने बकरीदी शिव मंदिर में आते हैं। यह मंदिर बकरीदी और कृष्णदत्त तिवारी ने मिल कर बनाया है।इसलिए चाहे सावन हो या शिवरात्रि बकरीद मदरसे से छुट्टी लेकर यहां शिव की सेवा में हमेशा तत्पर रहते है। ऐसा कोई भी मौका न हो जहां कबीर जी शिव का रसपान करते नजर आते है।

कृष्णदत्त भी बकरीदी के साथ ईद आदि त्योहारों की शिरकत  करते हैं। यह दोस्ती 75 साल पुरानी है। 82 साल के बकरीदी और 85 के कृष्णदत्त की दोस्ती का लोग  मिसाल  देते है । ये बालसखा साझा संस्कृति की उस विरासत की झलक देते हैं, जिस पर विश्व  टिका हुआ है। श्रद्धालुओं के सहयोग और इस वयोवृद्ध जोड़ी की मेहनत से गांव के प्राचीन तपेश्वरनाथ स्थान पर आज भव्य मंदिर खड़ा है। कृष्णदत्त इसकी देखभाल करते हैं। वैसे तो बकरीदी यहां गाने बजने आते रहते हैं, लेकिन खास मौकों पर वह अनिवार्य रूप से मौजूद होते हैं।

महाशिवरात्रि हो या सावन हो  बकरीदी बरबस सभी भक्तों का खास ध्यान  रहते हैं। जो लोगों  ध्यान खींच लेते हैं।बकरीदी का अंदाज सूफियाना है। एक ओर वह मंदिर के सभी  आयोजन में शामिल रहते हैं तो वहीं  दूसरी ओर रायबरेली के सलोन स्थित इदार-ए-अशरफिया में बच्चों को दीनी ज्ञान  देते हैं। वह भी  मुफ्त। घर पर पत्नी के साथ इकलौती बेटी  के बच्चे रहते हैं।  सबकी जिम्मेदारी  बकरीदी करते हैं। यह मेहनत की कमाई पर भरोसा है, जिसके लिए बुढ़ापे में भी सक्रिय रहते हैं।

मजहबी रस्मो-रिवाज संपन्न कराने के एवज में जो कुछ मिल जाता है, उसी से घर चलता है। इसी कमाई का कुछ हिस्सा जोड़कर उन्होंने कृष्णदत्त के साथ मिलकर शिव मंदिर का निर्माण कराया।हम हैं तो हिंद … इन दिनों नागरिकता  के नाम पर नेता  हिंदू- मुस्लिम के बीच नफरत की दीवार खड़ी करने में लगे  हैं। बकरीदी और कृष्णदत्त इस पर खेद  जताते हुए प्रदर्शन के नाम पर हो रही हिंसा को उग्रवाद बताते हैं।

कहते हैं, यह सब नेतावों  की साजिश है। मज़हब के नाम पर आग लगा कर ये नेता  अपनी – अपनी सियासी रोटी सेंकने की कोशिश हो रहे  है। जरुरी है कि लोग इनके बहकावे में न आएं। दीन, धर्म या दुनिया से इनका कोई लेना-देना नहीं है। धर्म और दीन की पहली सीढ़ी मुहब्बत है, जिसमें हिंसा के लिए कोई स्थान नहीं। अपनी दोस्ती पर दोनों कह पड़ते हैं- हम हैं हिंद

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