‘सरकारी खजाने की लूट मची है और झूठे आंकड़ों पर मुख्यमंत्री जी वाहवाही लूट रहे हैं’
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार के नियंत्रण में कुछ भी नहीं है। न कोरोना के संक्रमण पर रोक लग रही है, ना अपराध कम हो रहे हैं।
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार के नियंत्रण में कुछ भी नहीं है। ना कोरोना के संक्रमण पर रोक लग रही है, ना अपराध कम हो रहे हैं। विकास के काम ठप्प हैं और भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेंस मजाक बनकर रह गया है। सरकारी खजाने की लूट मची है और झूठे आंकड़ों पर मुख्यमंत्री जी की प्रशंसा केन्द्र करता रहता है। जनता देख रही है कि भाजपा सरकार किस कदर विफल साबित हो गई है। अब जनता की उम्मीदें सन् 2022 में होने वाले आम चुनावों पर लगी है जब भाजपा की जगह समाजवादी सरकार बनेगी।
स्वच्छ भारत का नारा देने वाली भाजपा सरकार में इस समय राजधानी लखनऊ सहित प्रदेश के अधिकतर शहरों की हवा जहरीली है। अब तक कुल 5.28 लाख लोग प्रदेश में संक्रमित हो चुके हैं जिनमें 7,582 लोगों की जानें जा चुकी हैं। स्वास्थ्य सेवाओं के चौपट हो जाने से स्थितियां दिन पर दिन बिगड़ती जा रही हैं। अस्पतालों में मरीजों के इलाज में लापरवाही की तमाम शिकायतें आ रही हैं। सरकार भी सुस्त होती जा रही है बस मुख्यमंत्री जी के निर्देश और अस्पताली सेवाओं में बढ़त के फर्जी बयान ही जनता को बहकाने के लिए सरकारी प्रचार तंत्र से जारी हो रहे हैं।
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भ्रष्टाचार के खिलाफ भाजपा सरकार का रिकार्ड दागदार होता जा रहा है। जौनपुर में भाजपा सरकार का खुले शौच से मुक्त अभियान (ओडीएफ) भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया है। एक सर्वेक्षण में पता चला कि वहां 1960 घरों में शौचालय बनवाए ही नहीं गए लेकिन शहर को ओडीएफ घोषित कर दिया गया है। यही हालत कई जनपदों में है। बहुत जगह बने शौचालयों का उपयोग जानवरों का चारा रखने या दूसरे कामों में हो रहा है। शौचालयों में पानी की व्यवस्था ठीक न होने से भी उनका उपयोग नहीं हो पा रहा है।
सच तो यह है कि प्रदेश प्रदूषण की गिरफ्त में है। राज्य सरकार बेपरवाह है। न स्वच्छ वायु है ना ही स्वच्छ वातावरण है। माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने भी बेकाबू होते जा रहे हालात पर चिंता जताई है और राज्य सरकारों से भी तत्काल जरूरी कदम उठाने की जरूरत पर बल दिया है। आशंका है कि नवम्बर से बदतर हालात दिसम्बर में होंगे। इस संकट के समाधान की दिशा में भाजपा सरकार सक्रिय नहीं दिखाई देती है। वह ठोस कदम उठाने के बजाय जनता को भटकाने के काम में ज्यादा दिलचस्पी लेती है।
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