कृषि मंत्री का दावा किसान आंदोलन में एक भी किसानों की नही हुई मौत

सरकार ने संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान किसान आंदोलन में जान गंवाने वाले किसानों के परिवारों को सहायता देने से इनकार कर दिया है।

सरकार ने संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान किसान आंदोलन (Farmer Protest) में जान गंवाने वाले किसानों के परिवारों को सहायता देने से इनकार कर दिया है। विपक्षी समूहों ने आंदोलन में मारे गए किसानों के परिवारों को वित्तीय सहायता देने का आह्वान किया, जिस पर सरकार ने जवाब दिया कि आंदोलन (Farmer Protest) में मौतों का कोई रिकॉर्ड नहीं है, इसलिए सहायता नहीं जा सकती। सरकार ने कहा, “कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के पास मामले का कोई रिकॉर्ड नहीं है और इसलिए कोई सवाल ही नहीं उठता।”

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विपक्षी नेताओं और किसान संगठनों ने कहा है कि केंद्र के तीन विवादास्पद कृषि कानूनों के खिलाफ महीनों से चल रहे विरोध प्रदर्शन में 700 से अधिक किसान अपनी जान गंवा चुके हैं। किसान संगठन लगातार मृत किसानों के मुआवजे की मांग कर रहे हैं। राज्यसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने “न्यूनतम मूल मूल्य की कानूनी गारंटी और आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के परिवारों को वित्तीय सहायता प्रदान करने पर चर्चा” की मांग की थी और व्यवसाय निलंबन नोटिस जारी किया था। इस पर सरकार ने प्रतिक्रिया दी है।

राजद नेता ने रखी थी ये मांग

संसद के शीतकालीन सत्र से पहले, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता मनोज झा ने मांग की थी कि सरकार कृषि उत्पादों के न्यूनतम मूल मूल्य (एमएसपी) के लिए कानूनी गारंटी प्रदान करने के लिए एक विधेयक लाए। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को संसद के दोनों सदनों में आश्वासन देना चाहिए कि किसानों पर लगे आरोप वापस लिए जाएंगे और आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा दिया जाएगा।

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