आखिर क्यों हैं पत्रकारों को अखिलेश का इंतज़ार ?

The UP Khabar 

आज तीन साल बीत जाने के बाद भी योगी सरकार ने पत्रकारों के लिए कुछ भी यादगार नहीं किया। उत्तर प्रदेश की पूर्वर्ती सरकार ने यानी की अखिलेश सरकार ने वर्तमान सरकार के नारे “सबका साथ सबका विकास” को पूरा किया है. ऐसा हम नहीं बल्कि आकड़ें बोलते हैं. अखिलेश सरकार ने जनता से किये हुए अपने सभी वायदे भी पूरे किये थे. इतना ही नहीं पूर्व की अखिलेश सरकार ने मीडिया बंधुओं के लिए भी कई उत्कृष्ट कार्य किये। अखिलेश यादव यू हीं नहीं कहते कि “काम बोलता है” उन्होंने हकीकत में भी धरातल पर काम किये हैं. आइये जानते हैं उनके द्वारा पत्रकार बंधुओं के लिए किये गए कुछ महत्वपूर्ण कार्य:-  

पत्रकारों के लिए किये गए महत्वपूर्ण कार्य :-

मान्यता प्राप्त पत्रकारों को एसजीपीजीआई में मुफ्त इलाज:-

वर्ष 2013 में उत्तर प्रदेश सरकार की अखिलेश सरकार ने राज्य मुख्यालय से मान्यता प्राप्त पत्रकारों को एसजीपीजीआई में मुफ्त इलाज की सुविधा देने का निर्णय लिया था।

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति तथा उत्तर प्रदेश जर्नलिस्ट्स असोसिएशन समेत अनेक पत्रकार संगठन खबरनवीसों को एसजीपीजीआई में मुफ्त चिकित्सा सुविधा देने की मांग काफी पहले से कर रहे थे।
उत्तर प्रदेश मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति ने उत्तर प्रदेश मंत्रिपरिषद द्वारा लिए गए फैसले को ऐतिहासिक करार देते हुए उम्मीद जताई थी कि भविष्य में भी प्रदेश सरकार पत्रकारों के हित में आवश्यक कदम उठाएगी।

पत्रकार हेल्पलाइन:- 

साल 2016 में अखिलेश सरकार को पत्रकारों की मदद के लिए एक मीडिया हेल्पलाइन शुरू की थी. मीडिया के लिए शुरू हुई इस हेल्पलाइन 1880–1800–303 का उद्देश्य पत्रकारों को सुरक्षा और संरक्षण देना था. इस तरह उत्तर प्रदेश पत्रकारों के लिए कोई हेल्पलाइन लॉन्च करने वाला पहला राज्य बन गया था. इस हेल्पलाइन को लागू करने का जिम्मा राज्य के सूचना एवं जनसपंर्क विभाग को दिया गया था. पूर्वर्ती सीएम अखिलेश यादव ने जनसुनवाई पोर्टल भी लांच किया था। 

पत्रकारों से पूर्व सीएम अखिलेश यादव को था ज्यादा लगाव :-

यूपी में सपा सरकार के समय जन्माष्टमी के मौके पर अखिलेश यादव ने लखनऊ के पत्रकारों को अपने घर लंच पर बुलाया था. इस मीटिंग में ना तो कैमरा और ना ही मोबाइल ले जाने की इजाजत थी. करीब घंटे भर तक पत्रकारों से अखिलेश ने बातें की. कुछ पत्रकारों ने अपने मन की बात की तो कुछ ने अखिलेश यादव को अच्छे काम की बधाई भी दी.

पत्रकारों ने कहा अगर घर मिल जाए तो जिंदगी आसान हो जाएगी, जबकि कुछ पत्रकारों ने पेंशन की योजना लागू करने की मांग भी की थी. अखिलेश यादव ने भी ऐलान कर दिया था कि, ‘आप सबको लखनऊ में फ्लैट दिया जाएगा. मैंने अफसरों से कह दिया है, अगले पंद्रह दिनों में नियम भी बना दिए जायेंगे. मगर फिर सरकार बदलने के बाद ये योजना फाइलों में कहीं दबकर रह गयी.

सभी पत्रकारों के लिए सपा सुप्रीमों अखिलेश ( ex cm Akhilesh yadav) रखते हैं बड़ा दिल :- 

सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव सभी के लिए मसीहा के तरह थे. अपनी सरकार रहते हुए अखिलेश यादव ने किसी भी पत्रकार फिर वो चाहे मान्यता प्राप्त हो या गैर मान्यता प्राप्त के आकस्मिक निधन पर 25 लाख रुपये की आर्थिक मदद देने का भी प्रावधान शुरू किया था. अखिलेश यादव सभी पत्रकारों के सुख दुःख के बराबर के सहभागी थी.  शायद यही कारण था कि कोई भी पत्रकार उनसे अपने दिल की बात करने में झिझकता नहीं था.    

सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के समय में भी पत्रकारों का रखा गया था ख्याल :-

गौरतलब है कि सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के वक्त भी पत्रकारों को रहने के लिए जमीन दी गई थी. लखनऊ स्थित गोमती नगर का पत्रकारपुरम समाजवादी पार्टी संरक्षक मुलायम सिंह यादव के द्वारा ही बसाया गया था। सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव की सरकार के समय दो फेस में पत्रकारों को प्लाट दिए गए. लखनऊ स्थित जिलाधिकारी आवास के पास पत्रकारों के लिए प्रेस क्लब को भी नेता जी ने ही बनवाया था.

फिर भी क्यों चुप है पत्रकारों की कलम ? :-

अखिलेश सरकार के समय जो सुविधाएँ पत्रकारों को बिना किसी तकलीफ और संघर्ष से मिल जाया करती थीं उसके मुकाबले आज कुछ भी न पाकर आखिर क्यों चुप हैं पत्रकार बंधु। 

आज के दौर में कुछ ऐसे पत्रकार भी हैं जिन्होंने अखिलेश सरकार द्वारा पत्रकारों दी जारी सेवाओं का सबसे ज्यादा लाभ लिया है और आज वही पत्रकार आये दिन सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर अखिलेश यादव के खिलाफ कुछ न कुछ लिखते रहते हैं। आखिर ऐसा क्यों ? 

आखिर आज क्यों बदहाल है पत्रकार ? :-

उत्तर प्रदेश में पूर्व में आयीं सरकारों में पत्रकारों को अलग ही महत्वता दी जाती थी और उनका सम्मान किया जाता। परन्तु आज के समय में न ही पत्रकारों का सम्मान बचा है और न ही उनको अहमियत दी जा रही है. फिर भी पत्रकार साथी ये सब चुपचाप सह रहे हैं क्यों ?                                                                                                     

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