अभिजीत भट्टाचार्य: ‘बनना चाहते थे सीए, बन गए सिंगर’, कुछ ऐसी है ‘तुम्हें जो मैंने देखा’ गाने वाले सिंगर की कहानी

'तुम अगर सामने आ भी जाया करो', 'तौबा तुम्हारे ये इशारे', 'तुम्हें जो मैंने देखा' और 'सुनो ना-सुनो ना' जैसे गाने अगर कहीं चल रहे हों, तो सबसे पहला नाम आपके ज़ेहन में किसका आएगा?

मुस्कान आज़मानी

‘तुम अगर सामने आ भी जाया करो’, ‘तौबा तुम्हारे ये इशारे’, ‘तुम्हें जो मैंने देखा’ और ‘सुनो ना-सुनो ना’ जैसे गाने अगर कहीं चल रहे हों, तो सबसे पहला नाम आपके ज़ेहन में किसका आएगा? जी हां, ये 90’s के दशक में शाहरुख खान की आवाज बने सिंगर ‘अभिजीत भट्टाचार्य’ के ही गाने हैं। जिनकी पाकीज़ा आवाज़ के तले सिर्फ़ जज़्बात बसते हैं। इनका नाम बॉलीवुड के शानदार प्लेबैक सिंगर्स की लिस्ट में शुमार है। अपने करियर की शुरुआत इन्होंने ‘आनंद’ फिल्म से की थी।

अभिजीत का जन्म एक बंगाली ब्राह्मण परिवार में 30 अक्टूबर 1926 को कानपुर में हुआ था। घर में सबसे छोटे होने के कारण ये सबके लाड़ले और शरारती थे। अभिजीत को बचपन से ही गाने का शौक़ था। वो न मौका देखते थे, न दस्तूर। बस, गाना शुरू कर देते थे।स

प्लेबैक सिंगिंग के लिए बड़ा रिस्क लिया

क्राइस्ट चर्च कॉलेज से ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद अभिजीत सीए बनने सन् 1981 में मुंबई निकल पड़े। कुछ वर्ष तैयारी करने के बाद ‘माया नगरी’ ने इन्हें सीए छोड़ प्लेबैक सिंगर बनने का सपना दिखाया। घर के सबसे लाड़ले और छोटे होने के कारण सब ने इनका हमेशा साथ दिया।

3 साल के बाद भेजा पहले ऑडियो

सीए की पढ़ाई छोड़ प्लेबैक सिंगर बनने की चाहत में अभिजीत की पहली मुलाकात उस वक्त के महान म्यूजिक डायरेक्टर आरडी बर्मन से हुई।

अभिजीत ने एक इंटरव्यू के दौरान यह किस्सा बताते हुए कहा कि बर्मन जी अभिजीत की रिकॉर्डेड आवाज सुनना चाहते थे जिसके लिए इन्होंने पैसे बटोर कर ‘रेडियो जिम’ में अपनी पहली रिकॉर्डिंग करवाई। रिकॉर्डिंग करवाने के बाद डरते हुए इन्होंने 3 साल बाद अपनी इस ऑडियो को आरडी बर्मन को सुनाया। उनसे तारीफ सुनने के बाद भी अभिजीत को दो महीनों तक उन्होंने कोई ब्रेक नहीं दिया।

करीब 2 महीने तक कोई रिस्पांस ना मिलने के कारण अभिजीत मुंबई छोड़ कानपुर निकल रहे थे, तभी बर्मन ने कॉल कर उनको स्टूडियो बुलाया और अभिजीत को आनंद फिल्म में गाने का मौका दिया। जिसमें उनको अपने आइडियल किशोर कुमार, लता मंगेशकर, और आशा भोसले के साथ गाने का मौका मिला। लेकिन, यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर ना रिलीज होने के बराबर चली। मगर, तब तक अभिजीत बॉलीवुड में अपनी जगह बना चुके थे।

फिल्मी दौर

असल में इनका करियर 1991 में ‘बागी’ से शुरू हुआ। 15 से ज्यादा भाषाओं के गायक अभिजीत 1991 से सभी म्यूजि़क डायरेक्टर्स की पसंद बन चुके थे। कुमार सानू, उदित नारायण और अलका याग्निक के साथ अब अभिजीत भी लोगों के दिलों में अपनी जगह बनाने लगे।
इन्होंने 1994 में ‘ओले-ओले’, ‘राजा बाबू’ और ‘मैं खिलाड़ी तू अनाड़ी’ जैसी फिल्मों में शानदार गाने गाए, जो उस दौर के हिट गाने थे।

शाहरुख खान की बनी आवाज़

अभिजीत ने शाहरुख खान की ‘बादशाह’, ‘चलते-चलते’ और ‘मैं हूं ना’ जैसी कई बड़ी फिल्मों को हिट करने में अपनी आवाज़ का अहम योगदान दिया। इनको 1997 में फ़िल्म ‘बॉस’ के लिए ‘फिल्मफेयर बेस्ट प्लेबैक सिंगर’ का अवॉर्ड भी मिला।

लेकिन, बाद में उन्होंने शाहरुख खान की किसी भी फिल्मों में काम करने से इंकार कर दिया। इंटरव्यू के दौरान उन्होंने बताया कि ‘जो इंसान आवाज़ के दम पर बादशाह, खिलाड़ी और बॉस बना उसने कभी अभिजीत को अपनी फिल्मों का अहम हिस्सा नहीं समझा और ना ही सम्मान दिया।’

बदलते ट्रेंड ने किया अभिजीत को बॉलीवुड से दूर

कुछ सालों से अभिजीत इंडस्ट्री में कम एक्टिव हैं। बदलते म्यूजिक ट्रेंड पर उनका मानना है कि इस नए दौर की गायिकी सीखने के लिए उनको अपना पुराना सीखा हुआ सब भूलना पड़ेगा। एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने बताया कि ‘पहले आवाज़ सुनकर गायक का पता चलता था, लेकिन अब चीखने-चिल्लाने वाले सिंगर खुद को रॉकस्टार समझते हैं।’

अभिजीत पर सबसे ज्यादा कॉन्ट्रोवर्सी तब हुई, जब उन्होंने नए सिंगर्स की गायिकी की तुलना कुत्तों से कर दी थी। उस पर पूरी इंडस्ट्री ने अपने बयानों से उनका घेराव भी किया था।

भले ही अभिजीत आज इंडस्ट्री से दूर हैं, लेकिन इनके कुछ गाने लोग 1990 से लेकर आज तक गुनगुनाते हैं। ‘चलते-चलते’, ‘जरा सा झूम लूं मैं’ जैसे एक से बढ़कर एक बॉलीवुड हिट्स देकर, ये आज भी लोगों की पसंद बने हुए हैं।

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