ऐसा योद्धा जो अकेले ही 40 हजार योद्धाओं के बराबर था
ऐसे ही एक योद्धा थे जिनका नाम नेपोलियन बोनापार्ट जोकि फ्रांस के एक महान बादशाह थे।
दुनिया में कई ऐसे योद्धा हुए हैं जिनका नाम इतिहास के पन्नो में हमेशा-हमेशा के लिए अमर हो गया है। तो कई ऐसे योद्धा भी थे जिनका नाम इतिहास के पन्नो में कंही खो गया है। ऐसे ही एक योद्धा थे जिनका नाम नेपोलियन बोनापार्ट जोकि फ्रांस के एक महान बादशाह थे। उन्होंने दुनिया के एक बड़े हिस्से पर राज किया था । 15 अगस्त 1769 को कोर्सिका राज्य के अजाचियो में जन्मे नेपोलियन बोनापार्ट के बारे में ब्रिटेन के महान योद्धा ड्यूक ऑफ वेलिंगटन ने कहा था कि युद्ध के मैदान में वो अकेले ही 40 हजार योद्धाओं के बराबर हैं। एक आम आदमी से बादशाह की गद्दी तक का नेपोलियन की जिंदगी का सफर बेहद ही दिलचस्प था।
नेपोलियन बोनापार्ट का जन्म 15 अगस्त 1769 में फ्रांस के अजैक्यिो शहर में हुआ था।ये शहर कोर्सिका राज्य में पाया जाता है नेपोलियन के चार भाई और तीन बहनें थीं। एक अमीर परिवार में पैदा होने की वजह से नेपोलियन को बचपन में अच्छी शिक्षा मिली थी । उन्हें एक सैनिक ऑफिसर बनने के लिए फ्रांस की सैन्य अकादमी में भर्ती किया गया था और सैनिक स्कूल में शिक्षा के बाद उसने 1784 में तोपखाने से सम्बंधित विषयों की पढ़ाई करने के लिए पेरिस के एक कॉलेज में एडमिशन लिया।
उसके टैलेंट को देखते हुए फ्रांस के राजकीय तोपखाने में उसे सब लेफ्टिनेन्ट की नौकरी मिल गयी और उसे ढाई सिलिंग का रोज वेतन मिला लगा , जिससे वो अपने 7 भाई-बहिनों का पालन-पोषण करता था। उसके व्यक्तिगत गुण और साहस को देखकर फ्रांस के तत्कालीन प्रभावशाली नेताओं से उसका परिचय बढ़ता गया । उसके बाद उसे आन्तरिक सेना का सेनापति भी नियुक्त किया गया।
इसी बीच 9 मार्च 1796 को जोसेफाइन से उनकी शादी हो गयी । नेपोलियन की पहली पत्नी ‘जोसेफिन’ निस्संतान थी इसिलए उसने ऑस्ट्रिया के सम्राट की पुत्री ‘मैरी लुईस’ से दूसरी शादी की और फिर वे पिता बने थे
नेपोलियन ने अपने युद्ध-कौशल से फ्रांस को विदेशी शत्रुओं से मुक्ति दिलाई। अपने अदम्य साहस और वीरता के कारण वो 27 साल की उम्र में फ्रेंच आर्मी ऑफ इटली का सेनापति बनकर सार्डिनिया पर विजय पाने के लिए गयानेपोलियन का अगला विजय अभियान ऑस्ट्रिया पर आक्रमण करके वहां के सम्राट केंपोफोरमियो को सन्धि की अपमानजनक शर्तों को स्वीकार करने के लिए मजबूर करना था। इसके बाद नेपोलियन ने टोलेंन्टिन्ड की सन्धि पर पोप के हस्ताक्षर करवाकर फ्रांस की अधीनता स्वीकारने पर मजबूर कर दिया।
उसके बाद फ्रांस ने नेपोलियन को इंग्लैण्ड पर विजय हासिल करने के लिए भेजा, लेकिन इंग्लिश चैनल की बाधा ने नेपोलियन को पराजित कर दिया ।
नेपोलियन ने मिश्र पर विजय प्रप्त करके पूर्वी एशिया में स्थित ब्रिटिश उपनिवेशों को भी अपने अधीन करने का फैसला कर 1798 में 35 हजार प्रशिक्षित सैनिकों के साथ कूच कर दिया। उसने रास्ते में माल्टा, पिरामिड, सिंकदरिया, नील नदी की सम्पूर्ण घाटी पर कब्जा कर लिया। उसके बाद वो भारत की ओर बढ़ रहा था लेकिन ब्रिटिश नौसेना की शक्ति के आगे नेपोलियन परास्त हो गया।
बाद में फ्रांस की भूमि पर लौटने पर उसने अपनी राजनीतिक कुशलता से नवीन कन्सुलेट सरकार की स्थापना कर खुद को वहां का शासक घोषित कर दिया। फ्रांसीसी जनता ने 15 दिसम्बर 1799 को उसे अपना सम्राट स्वीकार कर लिया। 25 दिसम्बर 1799 को उसने देश का नवीन संविधान लागू कर दिया। 1804 को सीनेट ने अपने प्रस्ताव में नेपोलियन को फ्रांस के सम्राट के रूप में स्वीकृति दे दी थी
माना जाता है कि 1814 तक नेपोलियन ने सम्राट के पद पर रहते हुए कई महत्त्वपूर्ण सुधार कार्य किए। लेकिन लिपिजिंग के युद्ध के पश्चात् उसे फ्रांस के सम्राट का पद त्यागकर देश निकाला मिलने पर एल्बा द्वीप में रहना पड़ा। वहां से भागकर आने पर देशवासियों ने उसे पुन: सम्राट के रूप में स्वीकार किया था।
6 वर्षों का कष्ट भरा जीवन बिताते ने के बाद नेपोलियन ने मृत्यु से पहले अपनी वसीयत में यह लिखा था कि- ‘मुझे सोन नदी के तट पर फ्रांस की जनता के बीच दफनाया जाये, जिससे कि मैं बहुत अधिक प्रेम करता हूं।’ हालांकि नेपोलियन बोनापार्ट की मौत को लेकर इतिहासकारों में मतभेद हैं। लोग मानते हैं कि उसकी मौत पेट के कैंसर की वजह से हुई थी। और कुछ मानते हैं कि ‘वॉटरलू की लड़ाई’ में हार जाने के बाद नेपोलियन को 1821 में ‘सेन्ट हैलेना द्वीप’ से निकल दिया गया था, जहाँ 52 साल की उम्र में उसकी मृत्यु हो गई।
बताया जाता हैं की साल 2001 में फ्रांसीसी विशेषज्ञों ने नेपोलियन के बाल की जांच में पाया कि उसमें ‘आर्सनिक’ नाम का जहर था। ये भी माना जाता है कि हो सकता है सेन्ट हैलेना के तत्कालीन ब्रिटिश गवर्नर ने फ्रांस के काउंट के साथ मिलकर नेपोलियन को मारने की साजिस की थी। लेकिन अमेरिकी वैज्ञानिकों के अनुसार नेपोलियन की बीमारी का जो इलाज किया गया था, उसी ने उसे मार दिया था ।
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