माथे पर तिलक लगाने के सिर्फ धार्मिक ही नहीं मनोवैज्ञानिक फायदे भी होते हैं जबरदस्त

हिंदू धर्म में माथे पर तिलक लगाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. धार्मिक शास्त्रों के अलावा तिलक लगाने का मनोवैज्ञानिक दृष्टि से भी फायेदमंद होता है.

हिंदू धर्म में माथे पर तिलक (tilak) लगाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. धार्मिक शास्त्रों के अलावा तिलक (tilak) लगाने का मनोवैज्ञानिक दृष्टि से भी फायेदमंद होता है. कहा जाता है कि, माथे पर तिलक लगाने से सकारात्मत ऊर्जा आती है और मन मस्तिष्क को भी शीतल रखता है. इसके साथ ही ये भी माना जाता है कि, तिलक (tilak) शरीर की पवित्रता का भी प्रतीक होता है. कहा जाता है कि, तिलक बिना स्नान और ईश्वर का ध्यान करने से पहले नहीं लगाया जाता है. वहीं इसका हमारे ऊर्जा केंद्रों पर भी असर पड़ता है.

तिलक (tilak) लगाने को लेकर हिंदू धर्म में मान्यता है कि, हमारे शरीर में जो सात सूक्ष्म ऊर्जा केंद्र हैं जिसमें अपार शक्ति होती है. इन्हें चक्र कहा जाता है. माथे के बीच में जहां पर तिलक लगाते हैं वहां आज्ञाचक्र होता है. ये शरीर का सबसे महत्वपूर्ण स्थान है. इसके साथ ही शरीर की तीन प्रमुख नाड़ियां इड़ा, पिंगला और सुषुम्ना आकर मिलती हैं जिसे त्रिवेणी या फिर संगम भी कहा जाता है. यह स्थान आंख के ऊपर भौहों के बीच में ऊपर होता है.

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ऐसा कहा जाता है कि, यहां पर तिलक (tilak) लगाने से आज्ञाचक्र की गति को बल मिलता है. इसे गुरु स्थान भी कहा जाता है. इसके साथ ही कहा जाता है कि, यहीं से पूरे शरीर का संचालन होता है और ये हमारी चेतना का मुख्य स्थान है. जहां पर पिंगला, इड़ा और सुषुम्ना मिलती हैं उसी स्थान को मन का घर कहा जाता है.

अक्सर लोग चंदन, कुमकुम, मुट्टी, हल्दी, भस्म, रोली, सिंदूर केसर और गोप का तिलक (tilak) लगाते हैं. वहीं अगर आप दिखावा नहीं करना चाहते हैं तो जल का तिलक भी लगाने का शास्त्रों में वर्णन किया गया है. हिंदू शास्त्रों में कहा गया है कि, संगम के किनारे गंगा स्नान करने के बाद तिलक (tilak) लगाने से मोक्ष की प्राप्ति होती.

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