Toll Tax से बचने के लिए खेला जा रहा अनोखा खेल, NHAI को हर रोज हो रहा लाखों का नुकसान
फास्टैग (Fastag) में फर्जीवाड़े की वजह से नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (National Highway Authority of India) को रोज बड़ा नुकसान हो रहा है। महंगे टोल टैक्स से बचने के लिए...
फास्टैग (Fastag) में फर्जीवाड़े की वजह से नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (National Highway Authority of India) को रोज बड़ा नुकसान हो रहा है। महंगे टोल टैक्स से बचने के लिए गाड़ी चालक एक अनोखा खेल खेल रहे हैं। उनके इस खेल का जब खुलासा हुआ तो टोल प्लाजा (Toll Plaza) और नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) के अफसरों के हाथ-पैर फूल गये। पता चला कि इस खेल में राजस्व का लाखों का नुकसान हो रहा है। टोल प्लाजा के अफसरों ने जब रैंडमली चेकिंग की तो इसका खुलासा हुआ। पता चला कि टोल से पार होने वाली गाड़ी तो कोई और है, लेकिन फास्टैग (FASTag) किसी और ही गाड़ी का लगा हुआ है।
इस फर्जीवाड़े को उत्तर प्रदेश के लगभग हर टोल प्लाजा पर अंजाम दिया जा रहा है। फर्जीवाड़े की कहानी कुछ यूं है। जब से फास्टैग (Fastag) अनिवार्य किया गया है तब से टोल पर पैसा ऑटोमेटिकली कट रहा है। ऐसे में इस सिस्टम का फायदा उठाते हुए बड़ी गाड़ी वालों ने अपने वाहन पर छोटी गाड़ी का फास्टैग लगा कर टोल पार कर लिया। ऐसा करके उन्होंने 300 से 400 रुपये तक की टैक्स चोरी कर ली।
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उन्नाव का नवाबगंज टोल प्लाजा
उन्नाव के नवाबगंज टोल प्लाजा पर ऐसी ही कहानी कुछ दिनों पहले सामने आयी। टोल से गुजरने वाले UP78CT 3838 नंबर वाले टैंकर पर मिनी बस का फास्टैग (Fastag) लगा हुआ था। अब ऐसा करके टैंकर चालक ने प्रति फेरा 135 रुपये की टैक्स चोरी कर ली। टू एक्सेल वाले टैंकर को 260 रुपये देने होते हैं, जबकि मिनी बस का फास्टैग लगाकर उसने सिर्फ 125 रुपये में ही टोल पार लिया। टोल के डीजीएम ऑपरेशन रवि चतुर्वेदी ने बताया कि ऐसे ही एक दूसरे टैंकर ने कई फेरे लगाए, उससे 25 हजार रुपये के नुकसान का पता चला। बाद में इसकी वसूली की गयी।
प्रयागराज में भी मिली शिकायत
दूसरी तरफ प्रयागराज में भी ऐसी ही शिकायत मिली थी। प्रयागराज में नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया के प्रोजेक्ट डायरेक्टर अश्विनी कुमार राय ने बताया कि कई बड़ी गाड़ियां छोटी गाड़ियों का फास्टैग (Fastag) लगाकर टोल पार कर रही थीं। जब जांच में पता चला तो कार्रवाई की गयी। परिवहन विभाग और जिला प्रशासन के अफसरों को इस बारे में सूचित किया गया।
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हैरानी की बात यह है कि यह किस्सा सिर्फ यूपी तक ही नहीं है। बिहार के सासाराम में डाफी टोल प्लाजा के प्रोजक्ट डायरेक्टर कर्नल योगेश गढ़वाल ने बताया कि कुछ दिनों पहले बड़े पैमाने पर ऐसा देखा गया था, लेकिन सख्ती के बाद अब ये फर्जीवाड़ा थम गया है। ऐसा फ्रॉड उन्हीं ट्रक चालकों के द्वारा किया जा रहा था, जो छोटी दूरी के लिए चलते थे और कई कई फेरे लगाते रहते थे। बड़ी दूसरी वाले ट्रक चालकों ने ऐसा फ्रॉड नहीं किया था।
इस फ्रॉड से कितने टैक्स का हुआ नुकसान
टोल प्लाजा पर अलग-अलग गाड़ियों के पार होने के अलग-अलग रेट हैं, जितनी बड़ी गाड़ी उतना ही ज्यादा टैक्स। उदाहरण के लिए उन्नाव के नवाबगंज टोल प्लाजा का रेट देखिये तो पता चल जायेगा कि आखिर ऐसा फर्जीवाड़ा क्यों किया जा रहा था। इस टोल प्लाजा पर कार, जीप, वैन के लिए 75 रुपये है, तो मिनी बस और लाइट कॉमर्शियल वाहनों के लिए 125 रुपये रेट है। वहीं, दो एक्सेल वाले बस और ट्रक के लिए 260, तो तीन एक्सेल वाले वाहनों के लिए 285 रुपया टोल रेट है। चार और छह एक्सेल वाले वाहनों के लिए 410 रुपये अदा करने होते हैं। इससे ऊपर के वाहनों के लिए 500 रुपया रेट है। ऐसे में 500 रुपया टैक्स वाला ट्रक फर्जीवाड़े से सिर्फ 75 रुपये में पास हो रहा था।
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क्यों नहीं थम रहा ये फर्जीवाड़ा…
टोल प्लाजा के अफसरों ने एक सुर में कहा कि इस फर्जीवाड़े के खिलाफ कार्रवाई के लिए उनके पास कोई राइट नहीं है। वो या तो जिला प्रशासन को सूचित करते हैं या फिर पुलिस को दूसरी बड़ी समस्या ये है कि टोल गाड़ियों की भीड़ होने से गहराई से इस बात की जांच नहीं हो पा रही है। मैनुअली जब टैक्स वसूला जाता था तो टोल का कर्मचारी गाड़ी देखकर टोल लेता था। अब ऑटोमेटिक सिस्टम हो जाने के कारण ये समस्या आ रही है। जैसे ही ऐसे किसी फ्रॉड का पता चलता तो हम बैंक से सम्पर्क करके या तो उस गाड़ी का फास्टैग कैंसिल करवाते हैं या फिर उसको गाड़ी के हिसाब से चेंज करवाते हैं।
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