झाँसी: गैर जिम्मेदार विद्युत विभाग की उदासीनता से बेसहारा बच्चे भूख से व्याकुल

तीन बच्चों के भरण-पोषण के लिए करीब 100000 से अधिक की राशि उनको प्रदान की गई। दरअसल अनाथ बच्चों का पिता विद्युत विभाग का कर्मचारी था।

सरकारी विद्युत विभाग इतना लापरवाह हो चुका है कि उसे किसी की परवाह नहीं। मऊरानीपुर से एक ऐसा ही विद्युत विभाग की संवेदनहीनता का मामला फिर से सामने आया है।

मां और पिता की मौत के बाद बेसहारा हो चुके बच्चों की कहानी को करीब 2 वर्ष पहले दिखाया था । खबर का असर यह हुआ कि कुछ ही समय बाद शासन प्रशासन तक बात पहुंची तो विद्युत विभाग भी हरकत में आया।

अनाथ बच्चों का पिता विद्युत विभाग का कर्मचारी

तत्कालीन उप जिलाधिकारी महोदय के द्वारा मामले का संज्ञान लेते हुए विद्युत विभाग से बात की गई तो वहीं विभाग द्वारा आर्थिक मदद के तौर पर अनाथ हो चुके तीन बच्चों के भरण-पोषण के लिए करीब 100000 से अधिक की राशि उनको प्रदान की गई। दरअसल अनाथ बच्चों का पिता विद्युत विभाग का कर्मचारी था।

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बच्चे भूख से व्याकुल है 2 साल पहले उनको जो राशि मिली

जिसकी नौकरी के दौरान मृत्यु करीब 4 साल पहले हो गई थी। 2 साल पहले बच्चों की खबर चलने के बाद सहायता राशि मिली थी। लेकिन उसे अब 2 साल से अधिक व्यतीत हो चुके हैं और विद्युत विभाग भी फिर से अपने लापरवाही वाले रवैये पर कायम है। एक सोचने वाली बात है कि 2 साल बीत जाने के बाद भी अभी तक दोबारा कोई राहत राशि इन बच्चों को उपलब्ध नहीं कराई। इसके बाद एक बार फिर से बच्चे भूख से व्याकुल है 2 साल पहले उनको जो राशि मिली थी।

व्याकुल बच्चे पड़ोसियों की मदद पर निर्भर

वह लगभग खाने-पीने और माता पिता के इलाज के लिए लिए गए कर्ज में खत्म हो चुकी है। फिर से वही स्थिति बन चुकी है अब भूख से व्याकुल बच्चे पड़ोसियों की मदद पर निर्भर है। दो वक्त की रोटी के लिए फिर से संपन्न लोगों का मुंह ताक रहे हैं। बड़ी बेटी रोशनी ने बताया कि पैसे खत्म हो जाने के बाद अब कोई उनकी मदद को तैयार नहीं है।

ना तो किराना वाला उन्हे उधाार सामान देने को राजी है ना ही दूध वाला। कई दिनों से वह सब्जी नहीं खरीद पा रहे हैं। जब इस बात की जानकारी हमारे संवाददाता को हुई तो वह पीड़ित बच्चों से मिलने उनके घर पहुंचे और उन्होंने पूछताछ की तो पता चला कि वाकई में बच्चों की कई शिकायतों के बाद भी उदासीन विभाग अपना रवैया बदलने को तैयार नहीं हैं।

एक बार फिर इसी उम्मीद के साथ कि शायद फिर से जिले के अधिकारी इन बच्चों पर रहम खाएं और गैर जिम्मेदार विद्युत विभाग बच्चों को राहत देने की पहल करे उन्होने प्रशासनिक तंत्र से बात की है।

फिलहाल अब देखने वाली बात होगी कि विभाग क्या दोबारा नींद से जगाने के लिए कोई जिम्मेदार अधिकारी काम करेगा। या फिर विद्युत विभाग खुद आगे आकर अपनी जिम्मेदारी निभाऐगा।

रिपोर्ट- राजीव दीक्षित

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