1200 किमी० साइकिल चलाकर अपने घायल पिता को घर लाने वाली ज्योति ने खोली पिछले 70 सालों के विकास की पोल
आज देश में हर तरफ 1200 किमी साईकिल चलाकर ज्योति गुरुग्राम (हरियाणा) से अपने घर दरभंगा (बिहार) पहुँची ज्योति के ही चर्चे हैं। हो भी क्यों ना जब विश्व के सबसे ताकतवर देश के प्रथम नागरिक राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बेटी इवांका ट्रंप ने ज्योति कि तारीफ जो की है। इस पर देश की सभी राजनीतिक पार्टियां फूली नहीं समा रही हैं। खासतौर पर जिला प्रशासन। मगर क्या किसी ने ये सोचा कि इवांका ने ज्योति के साहस की सराहना तो की ही परन्तु उसके साथ साथ सत्तर साल के विकास के ढोल को भी फोड़ दिया है।
क्या पिछले सत्तर साल में यही विकास हुआ कि एक बेटी को अपने घायल पिता को साईकिल पर बिठा कर आठ दिन में बारह सौ किलो मीटर का सफ़र तय करना पड़ा? ये अब तक की सभी सरकारों के विकास के दावों पर भी बड़ा सवाल खड़ा कर रहे हैं। दूसरी तरफ अब तक अाई सरकारों की सबसे बड़ी नाकामी पर दुःख भी होता है।
साईकिल पर उसके घायल पिता भी पीछे बैठे थे। ज्योति के अभूतपूर्व साहस की तारीफ अमेरिकी राष्ट्रपति की बेटी इवांका ट्रम्प ने भी की है और साइकिलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया ने ट्रायल ऑफर भी दिया है।
अब इस लड़की की जांबाजी पर खुश होना चाहिए या सरकारों की नाकामी पर दुःखी, ये सोचने का विषय है लेकिन इसकी ये प्यारी मुस्कान अनमोल है। भगवान ये मुस्कान हमेशा बनाये रखे।
1200 किमी साईकिल चलाकर अपने घायल पिता को घर लाने वाली ज्योति पर गर्व कर रहे देश की राजनीतिक पार्टियों को क्यों नहीं आ रही शर्म, क्या यही है 71 साल में किया गया विकास?
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