पीएम मोदी अगर संविधान नहीं पढ़ पाए हैं तो किसी पढ़े-लिखे से समझने की कोशिश करें- राहत इंदौरी

राहत इंदौरी ने पीएम मोदी पर तंज करते हुए कहा कि उन्हें किसी पढ़े लिखे शख्स से संविधान पढ़वाकर समझने की कोशिश करनी चाहिए. राहत इंदौरी का यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.

इंदौर: मशहूर शायर राहत इंदौरी ने तंज कसते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कहा है कि उन्हें किसी शिक्षित व्यक्ति से देश का संविधान पढ़वाकर समझने की कोशिश करनी चाहिये कि इसमें क्या लिखा है और क्या नहीं. उन्होंने यह बात संशोधित नागरिकता कानून (सीएए), राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) और राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी (एनपीआर) के खिलाफ पिछले कई दिनों से शहर के बड़वाली चौकी इलाके में जारी विरोध प्रदर्शन के मंच से गुरुवार रात कही. इस मंच से राहत इंदौरी के संबोधन के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं.

 

शाहीन बाग के प्रदर्शन पर राहत इंदौरी ने कही ये बात

 

राहत इंदौरी ने कहा, “मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से दरख्वास्त करना चाहूंगा कि अगर वह संविधान पढ़ नहीं पाये हैं, तो किसी पढ़े-लिखे आदमी को बुला लें और उससे संविधान पढ़वाकर समझने की कोशिश करें कि इसमें क्या लिखा है और क्या नहीं.” उन्होंने सीएए, एनपीआर और एनआरसी के मुद्दों पर दिल्ली के शाहीन बाग और इंदौर के अलग-अलग इलाकों में जारी विरोध प्रदर्शनों का जिक्र करते हुए कहा, “यह लड़ाई भारत के हर हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई की लड़ाई है. हम सबको मिलकर यह लड़ाई लड़नी है.”

 

फैज अहमद फैज की नज्म “हम देखेंगे, लाजिम है कि हम भी देखेंगे” को एक धर्मविशेष के खिलाफ बताये जाने के विवाद की ओर सीधा इशारा करते हुए इंदौरी ने कहा कि कुछ लोगों ने फैज की इस रचना का मतलब ही बदल दिया. उन्होंने कहा, “मुझे फैज की नज्म का मतलब बदले जाने पर अचंभा नहीं हुआ, क्योंकि ऐसा करने वाले लोग कम पढ़े-लिखे हैं. वे न तो हिन्दी जानते हैं, न ही उर्दू.”

 

राहत इंदौरी ने सीएए विरोधी मंच से अपनी अलग-अलग रचनाओं समेत यह मशहूर शेर भी सुनाया, “सभी का खून है शामिल यहां की मिट्टी में, किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है.” उन्होंने कहा कि यह बात अफसोसनाक है कि उनके इस शेर को मीडिया और कुछ लोगों ने केवल मुसलमानों से जोड़ दिया है, जबकि इस शेर का ताल्लुक हर उस भारतीय नागरिक से है जो अपनी मातृभूमि के लिये जान तक कुर्बान करने का जज्बा रखता है.

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