कृषि काूनन को लेकर केंद्रीय मंत्री ने कही ये बड़ी बात, बोले- कोई ताकत…
कृषि कानून को लेकर एक बार फिर से केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि, बातचीत के जरिए मसले को हल किया जा सकता है. उन्होंने कहा, बातचीत के अगले दिन पता नहीं क्यों किसानों (farmer) के सुर बदल जाते हैं. ऐसे में लगता है कि, कोई अदृश्य ताकत है जो चाहती है कि, ये विवाद खत्म न हो.
कृषि कानून को लेकर एक बार फिर से केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि, बातचीत के जरिए मसले को हल किया जा सकता है. उन्होंने कहा, बातचीत के अगले दिन पता नहीं क्यों किसानों (farmer) के सुर बदल जाते हैं. ऐसे में लगता है कि, कोई अदृश्य ताकत है जो चाहती है कि, ये विवाद खत्म न हो.
वहीं कृषि मंत्री ने किसानों को पूछताछ के लिए एनआईए की तरफ से दिए गए नोटिस को लेकर कहा कि, किसी भी चीज को किसान (farmer) आंदोलन से जोड़कर देखना सही नहीं है. हमारा काम किसानों की समस्याओं को कैसे भी हल करना है. उन्होंने आगे बताया कि, सरकार बातचीत के लिए हमेशा तैयार है. इसके साथ ही सरकार ने ये भी ख्याल रखा है कि, किसानों को इस आंदोलन में किसी तरह से प्रतिष्ठा पर चोट न लगे.
कृषि कानून के खिलाफ विरोध में पिछले 58 दिनों से आंदोलन कर रहे किसान (farmer) 26 जनवरी को दिल्ली के रिंग रोड पर परेड निकालने को लेकर दिल्ली पुलिस को रूट प्लान दे दिया है. किसानों (farmer) ने दिल्ली पुलिस को जो रूट प्लान सौंपा है उसमें तीन मार्गों को लेकर पुलिस और किसानों (farmer) की सहमति बन गई है.
सिंघु बॉर्डर से जो रैली निकलेगी वह संजय गांधी ट्रांसपोर्ट, कंझावला, बवाना औचन्दी बॉर्डर होते हुए हरियाणा में चली जाएगी. टिकरी बॉर्डर से परेड नांगलोई, नजफगढ़, झड़ौदा, बादली होते हुए केएमपी एक्सप्रेस पर चली जाएगी. वहीं गाजीपुर यूपी गेट से ट्रैक्टर परेड अप्सरा बॉर्डर गाजियाबाद होते हुए डासना यूपी चली जाएगी.
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किसानों (farmer) की सरकार के साथ कई दौर की बैठक हो चुकी है. लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला है. वहीं 11वें दौर की बैठक के बाद सरकार की तरफ से कोई भी अगली तारीख नहीं दी गई है. केंद्रीय कृषि मंत्री ने बैठक में कहा था कि, अब इससे अच्छा प्रस्ताव सरकार नहीं दे सकती है. सरकार ने किसानों (farmer) को अपने प्रस्ताव में कहा था कि, कानूनों को 18 महीने के लिए होल्ड किया जा सकता है. इस बीच इसपर विस्तार से चर्चा की जाएगी और जो कमियां होंगी उन्हें दूर की जाएंगी.
लेकिन किसानों ने इस प्रस्ताव को भी ठुकरा दिया था. किसानों (farmer) का कहना है कि, ये आंदोलन संसोधन या फिर कानूनों को टालने के लिए नहीं बल्कि वापसी के लिए चल रहा है. ऐसे में कानूनों के वापस होने पर ही वो घर वापस जाएंगे.
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