लखनऊ : दम तोड़ते इंसानों के प्रति उत्तर प्रदेश की पुलिस और प्रशासन की इंसानियत भी मर चुकी है-सपा प्रमुख अखिलेश यादव
लखनऊ : समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि आपदा के समय अपने भाग्य पर छोड़ दिए गए मजदूर अपने परिवार की महिलाओं और मासूम बच्चों के साथ जिन दर्दनाक हालत से गुजर रहे हैं वह सबूत है भाजपा सरकार के मानवता विरोधी रवैये का। हजारों मील चलने से श्रमिकों के पैरों में छाले पड़ गए हैं, भोजन के भी लाले हैं। मासूम बच्चें धूप और भूख में तड़प रहे हैं। दम तोड़ते इंसानों के प्रति उत्तर प्रदेश की पुलिस और प्रशासन की इंसानियत भी मर चुकी है।
ट्रकों में लाचार मजदूर ठसाठस भरें है, मुख्यमंत्री जी के निर्देश पर कि कोई ट्रकों पर नहीं चलेगा से पुलिस को अन्याय करने का, ठोकने का परमिट मिला हुआ है। सरकार ट्रकों को बंद कर रही है तो सरकार ने दस हजार से ज्यादा रोडवेज बसों द्वारा सुरिक्षत और सम्मान जनक तरीके से मजदूरों को गंतव्य स्थानों तक पहुंचाने में देरी क्यों की है? झांसी में यूपी एमपी सीमा पर 10 किलोमीटर जाम में मजदूरों के वाहन फंसे है। मजदूर बसों में बैठने को तैयार नहीं है। हजारों मजदूरों को सड़क पर रोके रखना क्या मानवीय है? झांसी में ही आज पति-पत्नी श्रमिक पैदल पहुंचते ही गर्भवती पत्नी को बच्चा पैदा हुआ जो मर गया उसी में पत्नी की भी मौत हो गयी। बाद में सदमें के कारण पति की मौत हो गयी। ऐसा ही एक दर्दनाक हादसा उन्नाव में लखनऊ आगरा एक्सप्रेस-वे पर बिहार आॅटो से जा रहा परिवार की टक्कर लोडर से हो गयी, इसमें दम्पत्ति की मौत हो गयी। उनका 5 वर्षीय बेटा अनाथ हो गया।
उत्तर प्रदेश के औरैया जनपद में सड़क हादसे में 24 से ज्यादा गरीब प्रवासी मजदूरों की मौत दिल दहला देने वाली घटना है। दो ट्रकों की टक्टर में लाशें बिछ गईं। सड़क खून से लाल हो गई, लेकिन औरैया में थानाध्यक्ष ने कफन का इंतजाम न कर शर्मनाक काम किया है। मुख्यमंत्री जी संवेदना प्रकट करने की औपचारिकता से कब तक काम चलाएंगे?
समाजवादी पार्टी दुःख की इस घड़ी में मजदूरों के साथ है। समाजवादी पार्टी प्रदेश के प्रत्येक मृतक परिवार को एक लाख रूपए की मदद पहुंचाएगीं हादसों की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए भाजपा सरकार को मृतक आश्रितों को 10-10 लाख रूपए की आर्थिक मदद करनी चाहिए। अपनी रोजी-रोटी गंवाकर बेबसी और बदहाली में सिसकते हुए गरीबों की जान भी भाजपा सरकार में सस्ती हो गई है। इनकी जान बचाने में भाजपा सरकार नाकाम हैं। क्वारंटीन सेंटर गोण्डा में सांप काटने से मौत पर व्यक्ति के परिजन को एक लाख की समाजवादी पार्टी द्वारा सहायत दी गयी है।
मुख्यमंत्री जी की अक्षमता के कारण अधिकारी अपनी मनमानी कर रहे हैं। सड़कों पर श्रमिकों की भीड़ है। सरकारी बसों में भी उनसे वसूली हो रही है। कानपुर के काकादेव थाना क्षेत्र में भूख से बिलबिलाते बच्चे को देखकर एक व्यक्ति ने फांसी लगा ली। राहत कार्य में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों पर नाम मात्र की कार्यवाही हो रही है।
यह भी एक और अमानवीय कृत्य पुलिस का है। बरेली में फलों का ठेला से उठाकर 12 वर्ष के एक बच्चे को पुलिस ने डंडों से इतना मारा कि वह लहूलोहान हो गया, उसका हाथ भी टूट गया। इस बेरहम सरकार में पीड़ितों की सुनने वाला कोई नहीं।
विपक्ष के तौर पर समाजवादी पार्टी आवाज उठाती है तो मुख्यमंत्री जी का रवैया इतना नकारात्मक है कि वह इसे दर किनार कर मनमानी पर उतारू हो गये है, उन्हें लोकतंत्र में सकारात्मक सुझाव सुनना भी गवांरा नहीं है। समाजवादी पार्टी ने शुरू से ही अपनी विपक्षी जिम्मेदारी निभाते हुए तमाम समस्याओं के समाधान के सुझाव दिए लेकिन सरकार अपनी प्रशासनिक जड़ता से उबर नहीं पायी है। लाॅकडाउन के 54 दिन के बाद भी हालात दिन-ब-दिन बिगड़ते जा रहे है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि मुख्यमंत्री जी की टीम इलेवन के नियंत्रण के बाहर अराजकता व्याप्त है और सरकार चैन की बंसी बजाने में व्यस्त है।
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