नए भारत की आवश्यकताओं के अनुरूप है शिक्षा नीति : निशंक
केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ़ रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने कहा है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत सभी चुनौतियों का समाधान करने के लिए एक बहुत ही व्यवस्थित और संगठित प्रयास किया गया है
केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ़ रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ (Nishank) ने कहा है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत सभी चुनौतियों का समाधान करने के लिए एक बहुत ही व्यवस्थित और संगठित प्रयास किया गया है ताकि उच्च शिक्षा के क्षेत्र के समग्र पुनर्गठन को नए भारत की आवश्यकताओं के अनुरूप बनाया जा सके।
डॉ़ निशंक (Nishank) ने लंदन के नेहरू सेंटर द्वारा आयोजित एक वेबिनार में आज नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की पहुंच पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत चुनौतियों को अवसर में बदलते हुए इस नीति को लाया है। इस नीति को प्रधानमंत्री से लेकर ग्राम प्रधान तक के सुझावों के बाद लाया गया है। इसकी सराहना सभी ने की है और इसके जैसा सुधार दूसरा इस दौरान देखने को नहीं मिला है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 34 वर्षों के बाद आई है
उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 34 वर्षों के बाद आई है। इन सभी चुनौतियों का समाधान करने के लिए एक बहुत ही व्यवस्थित और संगठित प्रयास किया गया है ताकि उच्च शिक्षा के क्षेत्र के समग्र पुनर्गठन को नए भारत की आवश्यकताओं के अनुरूप बनाया जा सके।
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उन्होनें कहा कि हमारी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 21वीं सदी की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए छात्रों को पूर्णतः और सक्षम करेगी। इसकी मदद से वह अपनी शिक्षा को अधिक अनुभवात्मक, समग्र और एकीकृत, खोज उन्मुख, चर्चा आधारित, लचीला और सुखद बना सकेंगे। पाठ्यक्रम में विज्ञान और गणित के अलावा बुनियादी कला, शिल्प, खेल, भाषा, साहित्य, संस्कृति और मूल्य शामिल होंगे।
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति ज्ञानार्जन के अवसरों के लिए उच्च शिक्षा में अंतरविषयी अध्ययन और एकीकृत पाठ्यक्रम पर जोर देती है, जिसका उद्देश्य मूल्य-आधारित समग्र शिक्षा प्रदान करना, वैज्ञानिक स्वभाव का विकास करना और साथ ही भारत के युवाओं को कौशल प्रशिक्षण प्रदान करना है।
विश्वविद्यालयों को भविष्य के लिए तैयार संस्थान बनाया जाएगा
उन्होनें कहा, “इसके अलावा नई शिक्षा नीति का विज़न भारतीय विश्वविद्यालयों के लिए नए आयाम स्थापित करना और उन्हें साकार करना होगा। यह नीति नया भारत बनाने की दिशा में उच्च शिक्षण संस्थानों एवं विश्वविद्यालयों को उनकी भूमिका फिर से परिभाषित करने की स्वतंत्रता देगी।”
नई नीति के प्रस्तावों को देखते हुए हमारे विश्वविद्यालयों की पुनः कल्पना करने का यह सबसे अच्छा समय है, खासकर तब जब भारत अपने जनसांख्यिकीय लाभांश के रूप में अपने विशाल मानव संसाधनों का इस्तेमाल करने की ओर अग्रसर है। भविष्य की असंख्य चुनौतियों का जवाब देने के लिए विश्वविद्यालयों को भविष्य के लिए तैयार संस्थान बनाया जाएगा।
सभी आयामों के साथ बहु विषयक और बहुभाषी पक्षों को भी लेकर चल रही है
डॉ़ निशंक ने कहा, “अर्थव्यवस्था सहित सभी क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता का रास्ता ‘शिक्षा’ और ‘शिक्षा नीति’ से होकर ही गुजरता है और हमारी नई शिक्षा नीति इंडिया, इंटरनेशनल, इंपैक्टफुल, इंटरएक्टिव और इंक्लूसिविटी के तत्वों को एक साथ समाहित करती है। इस आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और क्वांटम कंप्यूटिंग के दौर में हमारी शिक्षा नीति आधुनिकता के सभी आयामों के साथ बहु विषयक और बहुभाषी पक्षों को भी लेकर चल रही है।”
खेलकूद और मानविकी विषयों पर पर्याप्त जोर देती है
उन्होंने यह भी कहा, “नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति, शिक्षा के सभी क्षेत्रों में सुधारों को परिभाषित करती है। इस नीति के मुख्य उद्देश्यों में से एक स्कूल शिक्षा से उच्च शिक्षा में – तकनीकी शिक्षा को शामिल करना है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति समग्र और बहु-विषयक शिक्षा के साथ साथ अतिरिक्त शैक्षणिक गतिविधियों जैसे कि खेलकूद और मानविकी विषयों पर पर्याप्त जोर देती है।”
डॉ़ निशंक ने कहा कि निश्चित रूप से यह नीति राष्ट्र के मेक इन इंडिया, स्किल इंडिया, स्टार्ट-अप इंडिया औरआत्म निर्भर भारत के मिशन को साकार बनाने के लिए मानवीय मूल्यों के साथ ज्ञान विज्ञान अनुसंधान तकनीकि तथा नवाचार को समाहित करते हुए भारत के विश्वगुरु बनने के संकल्पके में पथ प्रवर्तक साबित होगी।
इस वेबिनार से भारतीय सांस्कृतिक सम्बंध परिषद के अध्यक्ष डॉ़ विनय सहस्त्रबुद्धे, ब्रिटेन के पूर्व मंत्री जो जॉनसन, शिक्षा राज्य मंत्री संजय धोत्रे और लंदन के नेहरू सेंटर के निदेशक एवं प्रसिद्ध लेखक अमिश त्रिपाठी भी जुड़े थे।
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