वाइल्डलाइफ एसओएस और भारतीय वन्यजीव संस्थान ने पशुचिकित्सकों के लिए किया कार्यशाला का आयोजन

 भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) और वाइल्डलाइफ एसओएस ने एनजीओ के आगरा स्थित भालू संरक्षण केंद्र और मथुरा स्थित हाथी संरक्षण और देखभाल केंद्र में उत्तराखंड वन विभाग के 25 सेवारत पशु चिकित्सा अधिकारियों के लिए वन्यजीव स्वास्थ्य प्रबंधन कार्यशाला का आयोजन किया।

 भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) और वाइल्डलाइफ एसओएस ने एनजीओ के आगरा स्थित भालू संरक्षण केंद्र और मथुरा स्थित हाथी संरक्षण और देखभाल केंद्र में उत्तराखंड वन विभाग के 25 सेवारत पशु चिकित्सा अधिकारियों के लिए वन्यजीव स्वास्थ्य प्रबंधन कार्यशाला (Workshop) का आयोजन किया।

वन्यजीव संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए एक सहयोगी पहल में, वाइल्डलाइफ एसओएस और भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई), देहरादून ने शनिवार को उत्तराखंड वन विभाग के 25 पशु चिकित्सा अधिकारियों के लिए कार्यशाला (Workshop)  का आयोजन किया। पशुचिकित्सा अधिकारियों को विभिन्न वन्यजीव स्वास्थ्य मुद्दों, स्वास्थ्य निगरानी प्रक्रियाओं, बचाव अभियान के क्षेत्र में उन्नति, वन्यजीव फोरेंसिक, देखभाल और संकट में जानवरों के प्रबंधन पर समझ प्रदान की गई।

बूढ़े हाथियों को वक़्त रहते सही उपचार मिल सके

वाइल्डलाइफ एसओएस के पशु चिकित्सकों द्वारा विशेषज्ञ विवरण के बाद, टीम ने भारत के पहले और एकमात्र हाथी अस्पताल का दौरा किया, जो वाइल्डलाइफ एसओएस ने उत्तर प्रदेश वन विभाग के सहयोग से 2018 में स्थापित किया था।

अस्पताल में वायरलेस डिजिटल एक्स-रे, पैथोलॉजी लैब, लेजर थैरेपी ट्रीटमेंट, डेंटल एक्स-रे, हाइड्रोथेरेपी पूल, थर्मल इमेजिंग और अल्ट्रासोनोग्राफी जैसी आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं जिससे घायल, बीमार और बूढ़े हाथियों को वक़्त रहते सही उपचार मिल सके।

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टीम ने मथुरा में हाथी संरक्षण और देखभाल केंद्र का भी दौरा किया, और कार्यशाला (Workshop)   आगरा स्थित भालू संरक्षण केंद्र के दौरे के साथ संपन्न हुई, जो कि स्लॉथ भालू के लिए दुनिया का सबसे बड़ा पुनर्वास केंद्र है।

हाथियों के रख-रखाव पर ध्यान केंद्रित किया गया

कार्यशाला में निजी एवं सार्वजनिक भागीदारी के माध्यम से वन्यजीव कल्याण, आजीवन देखभाल में भालुओं के प्रबंधन और सकारात्मक प्रशिक्षण के तहत हाथियों के रख-रखाव पर ध्यान केंद्रित किया गया।

विभिन्न वन्यजीव प्रबंधन तकनीकों से अवगत

भारतीय वन्यजीव संस्थान के साइंटिस्ट – ई , डॉ. बिलाल हबीब, ने कहा, “हर साल, हम पशु चिकित्सकों के अनुभव को बढ़ाने के लिए वाइल्डलाइफ एसओएस के संरक्षण केंद्रों का फील्ड टूर आयोजित करते हैं।

जिसमे उन्हें वाइल्डलाइफ एसओएस द्वारा उपयोग में लिए गए विभिन्न वन्यजीव प्रबंधन तकनीकों से अवगत कराया जाता है। कार्यशाला (Workshop)   का उद्देश्य बेहतर तकनीकी क्षेत्र की विशेषज्ञता हासिल करना, विभिन्न वन्यजीव स्वास्थ्य मुद्दों की समझ और वन्यजीवों के बचाव अभियान के क्षेत्र में हुई आधुनिक प्रगति पर उन्हें शिक्षा प्रदान करना है। ”

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वाइल्डलाइफ एसओएस के सह-संस्थापक और सीईओ कार्तिक सत्यनारायण ने कहा, “इस तरह की कार्यशालाएँ (Workshop)   विशिष्ट वन्यजीव प्रबंधन और तकनीकी क्षेत्र विशेषज्ञता प्राप्त करने का अवसर प्रदान करती हैं।

जब भी हमारे बचाए गए भालू और हाथियों को लंबे चिकित्सा उपचार प्रदान करने की बात आती है, तो वाइल्डलाइफ एसओएस मानवीय और वैज्ञानिक प्रबंधन विधियों के उपयोग को प्रोत्साहित करता है। हम सकारात्मक तकनीकों का उपयोग करते हैं, जो की जानवर और उनकी देखभाल में लगे लोग, दोनों के लिए तनाव को कम करने में मदद करता है। ”

इसी तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रम की मेजबानी की है

वाइल्डलाइफ एसओएस के डायरेक्टर कंज़रवेशन प्रोजेक्ट्स, बैजूराज एम.वी, ने कहा, “हमें ख़ुशी है की इस प्रशिक्षण कार्यशाला के आयोजन में हम भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) और उत्तराखंड वन विभाग को अपना समर्थन दे सके। पूर्व में भी हमने भारतीय वन्यजीव संस्थान के साथ इसी तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रम की मेजबानी की है।

वाइल्डलाइफ एसओएस के पशु-चिकित्सा सेवा के उप-निदेशक, डॉ. एस. इलियाराजा ने कहा, “पशु चिकित्सा अधिकारी को हमारे केंद्रों में उपयोग की जाने वाली आधुनिक चिकित्सा उपचार एवं तकनीक से अवगत कराया गया। हमें उम्मीद है कि यह कार्यशाला भारत में वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव लाने में मदद करेगी। ”

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