कृषि कानून: आंदोलन को तेज करने के लिए इन राज्यों के किसानों ने किया दिल्ली कूच, अब…

केंद्र सरकार ने कुछ दिन पहले कहा था कि, कृषि कानून का विरोध सिर्फ कुछ राज्यों के किसान कर रहे हैं. इस बात को लेकर अब दिल्ली कूच के लिए अलग-अलग राज्यों से किसान निकल पड़े हैं.

केंद्र सरकार (Government) ने कुछ दिन पहले कहा था कि, कृषि कानून का विरोध सिर्फ कुछ राज्यों के किसान कर रहे हैं. इस बात को लेकर अब दिल्ली कूच के लिए अलग-अलग राज्यों से किसान निकल पड़े हैं. आंध्र प्रदेश, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के बाद अब केरल के किसान भी दिल्ली पहुंचने वाले हैं. संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि, सरकार (Government) सुप्रीम कोर्ट में किसान आंदोलन को बदनाम करने और कुछ राज्यों तक सीमित बताकर आंदोलन को कमजोर करने की कोशिश कर रही है.

कोर्ट के फैसले पर किसान संगठनों ने असहमति जताई है. किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि देश के किसान कोर्ट के फैसले से निराश हैं. अशोक गुलाटी की अध्यक्षता में कमेटी ने सिफारिश की थी. गुलाटी ने ही कृषि कानूनों की सिफारिश की थी. राकेश टिकैत ने ट्वीट किया, माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित कमेटी के सभी सदस्य खुली बाजार व्यवस्था या कानून के समर्थक रहे है. अशोक गुलाटी की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने ही इन कानून को लाये जाने की सिफारिश की थी. देश का किसान इस फैसले से निराश है. राकेश टिकैत ने कहा कि किसानों की मांग कानून को रद्द करने व न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानून बनाने की है. जब तक यह मांग पूरी नहीं होती तब तक आंदोलन जारी रहेगा. माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का परीक्षण कर कल संयुक्त मोर्चा आगे की रणनीति की घोषणा करेगा.

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अदालत में हरीश साल्वे की ओर से कहा गया कि 26 जनवरी को कोई बड़ा कार्यक्रम ना हो, ये सुनिश्चित होना चाहिए. जिसपर चीफ जस्टिस ने कहा कि दुष्यंत दवे की ओर से पहले ही कहा जा चुका है कि रैली-जुलूस नहीं होगा. हरीश साल्वे ने इसके अलावा सिख फॉर जस्टिस के प्रदर्शन में शामिल होने पर आपत्ति जताई और कहा कि ये संगठन खालिस्तान की मांग करता आया है. चीफ जस्टिस ने कहा कि वो ऐसा फैसला जारी कर सकते हैं जिससे कोई किसानों की जमीन ना ले सके.

कृषि कानून को लेकर सरकार (Government) और किसाान के बीच चल रहे टकराव के मसले को सुलझाने के लिए कमेटी का गठन कर दिया गया है. इस कमेटी में कुल चार लोग शामिल होंगे, जिनमें भारतीय किसान यूनियन के जितेंद्र सिंह मान, डॉ. प्रमोद कुमार जोशी, अशोक गुलाटी (कृषि विशेषज्ञ) और अनिल शेतकारी शामिल हैं.

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