इ.वि.वि का नाम बदलने के विरोध में समाजवादी छात्रसभा ज़िलाध्यक्ष अखिलेश गुप्ता के नेतृत्व में कई छात्रों ने अपने ख़ून से राष्ट्रपति को अपने रक्त से लिखा पत्र
समाजवादी छात्रसभा ज़िला अध्यक्ष अखिलेश गुप्ता के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी युवजन सभा के प्रदेश उपाध्यक्ष राघवेन्द्र यादव नेहा यादव अविनाश विद्यार्थी पंकज यादव विनोद आशीष सिंह सहीत कई छात्रों ने अपने ख़ून से महामहिम राष्ट्रपति जी को रक्त पत्र लिखकर माँग किये-
सेवा में,
महामहिम राष्ट्रपति,
महोदय : हम इलाहाबाद विश्वविद्यालय के नाम परिवर्तन का विरोध करते हैं।
नीचे हमारा रक्त पत्र सलंग्न हैं. कृपया इस पर ध्यान आकर्षित करें। नहीं तो समाजवादी छात्रसभा इसका कड़ा विरोध दर्ज कराएगी और किसी भी क़ीमत पर बदलाव नहीं होने देगी।
समाजवादी युवजन सभा के प्रदेश उपाध्यक्ष राघवेन्द्र यादव ने कहाँ कि जब एचआरडी मंत्रालय ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय का नाम बदलने का प्रस्ताव भेजा तो इस बात को लेकर बुद्धिजीवियों और शहरवासियों के दिलों में आग लग गयी और विरोध का स्वर फूट पड़ा. हर व्यक्ति विश्वविद्यालय के सुनहरे अतीत को याद कर इसके नामकरण के बदलाव का विरोध प्रारंभ कर दिया.
हम सभी जानते हैं कि सरकार कौन से एजेंडे के तहत ये काम कर रही है और उसकी नीयत क्या है, नाम बदलना बीजेपी का विशुद्ध साम्प्रदायिक राजनीति है, इलाहाबाद पूरी दुनिया में इलाहाबाद के नाम से ही पहचाना जाता है, सभी जगह इलाहाबाद नाम की ही धाक है और इलाहाबाद विश्वविद्यालय तो शहर का ह्दयस्थल है, हम लोग तो शुरू से ही इलाहाबाद विश्वविद्यालय के साथ हैं.
ये सरकार चाहे जितना अन्याय करे इलाहाबाद विश्वविद्यालय से, इलाहाबाद विश्वविद्यालय था, इलाहाबाद विश्वविद्यालय है और इलाहाबाद विश्वविद्यालय ही नाम रहेगा, आज जो लोग विश्वविद्यालय के नाम बदलने को लेकर विरोधी स्वर अख्तियार किए हैं उनसे एक गुजारिश है कि वो ऐसी सरकार को ही बदल दें जो घृणित बदलाव की राजनीति करती है, इलाहाबाद और इलाहाबाद विश्वविद्यालय का गौरव सत्ता जाते ही स्वतः बहाल हो जाएगा।
इससे पूर्व इलाहाबाद विश्वविद्यालय पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष अवनीश कुमार यादव ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय भारत सरकार को इलाहाबाद विश्वविद्यालय का नाम बदलने के संदर्भ में पत्र लिख अपना विरोध व्यक्त करते हुए कहा था इलाहाबाद विश्वविद्यालय हमारी पहचान है, हमारी पहचान के साथ छेड़छाड़ हमें बर्दाश्त नही है नाम बदलने की राजनीति को छोड़कर सुविधा कैसे अच्छी हो इसके बारे में सरकार को सोचनी चाहिए।
इलाहाबाद यूनिवर्सिटी की बड़ी जीत : कार्यपरिषद के 15 में से 12 सदस्य नाम बदलने के खिलाफ।
देश-विदेश की ताजा ख़बरों के लिए बस करें एक क्लिक और रहें अपडेट
हमारे यू-टयूब चैनल को सब्सक्राइब करें :
हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें :