मथुरा: श्रद्धालुओं ने गौमाता गुड दलिया खिला कर मनाया नववर्ष

नये साल को लोग अपने-अपने तरीकों से मनाते हैं। ऐसे में कई व्यक्ति नववर्ष की शुरूआत आध्यात्मिक तरह से करते हैं। ऐसा ही कोसी-होडल बॉर्डर पर स्थित गौ सेवा धाम हाँस्पीटल में देखने को मिला

नये साल को लोग अपने-अपने तरीकों से मनाते हैं। ऐसे में कई व्यक्ति नववर्ष की शुरूआत आध्यात्मिक तरह से करते हैं। ऐसा ही कोसी-होडल बॉर्डर पर स्थित गौ सेवा धाम हॉस्पिटल में देखने को मिला जहां हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी भजन-कीर्तन तथा हवन-यज्ञ के साथ नये साल 2021 के पहले दिन का यहाँ स्वागत किया गया।

मीठा दलिया, हरा चारा, गुड़, गन्ना आदि का भंडारा आयोजित

गौवंश की उपस्थिति, कीर्तन करते हुये श्रद्धालुगण, तथा यज्ञ आहुति के मंत्रोच्चारण से समस्त वातावरण भक्तिमय हो गया। दिन के मध्य में गौमाता तथा गौंवश हेतू मीठा दलिया, हरा चारा, गुड़, गन्ना आदि का भंडारा आयोजित किया गया। समस्त आयोजन में आस-पास के प्रदेशों से भी आगन्तुक आये हुये थे जिनके लिये भी भोजन प्रसाद का भी प्रबंध था।

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आगन्तुकों में से कोई गाय को हरा चारा खिला रहा था तो कोई इस कड़ाके की सर्दी में गौसेवा धाम में उपचाराधीन बीमार गौवंश को रजाई उढा कर मानसिक शांति प्राप्त कर रहा था। छोटे बच्चे गाय के बछड़ों के साथ सेल्फी लेकर खुश थे।

नववर्ष का प्रारंभ गौमाता के साथ ही क्यों ?

वर्तमान में जहाँ भारतीय, पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव में आकर पब, होटल और महंगे क्लबों में जाकर नया साल मनाते हैं तो वहीं दूसरी तरफ अधिकतर भारतीय अपनी संस्कृति के अनुरूप नये साल का स्वागत जरूरतमदं को सहयोग कर, गौमाता की सेवा करके भी मनाते हैं।

प्रसिद्ध कथा वाचिका तथा गौसेवा धाम हॉस्पिटल  की संचालिका देवी चित्रलेखा जी ने अपने नववर्ष संदेश में बताया कि आज के युवा को आधुनिकता और आध्यात्मिकता में संतुलन रखना आवश्यक है। वर्तमान में पाश्चात्य जगत के लोग भारतीय संस्कृति को अपना रहे हैं और भारतीय खुद अपनी संस्कृति से दूर होते जा रहे हैं। देवी जी ने कहा कि इस नये साल पर हम जरूरतमंद की मदद करना, असहाय एवं मूक जीवों पर दया करना, पानी को व्यर्थ न बहाना, पेड़-पौधे लगाना एवं उनकी देखभाल करना आदि जैसे कई छोटे-छोटे संकल्प ले सकते हैं।

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