आजमगढ़ :पूर्वमंत्री राम आसरे विश्वकर्मा ने ज्ञानी जैल सिंह के चित्र पर माल्यार्पण कर दी श्रद्धांजलि

आजमगढ़ भारत के पूर्व राष्ट्रपति एवं विश्वकर्मा समाज के गौरव स्व०ज्ञानी जैल सिंह की पुण्यतिथि आजमगढ़ नरौली स्थित विश्वकर्मा भवन सभागार में मनाई गयी।

आजमगढ़ भारत के पूर्व राष्ट्रपति एवं विश्वकर्मा समाज के गौरव स्व०ज्ञानी जैल सिंह की पुण्यतिथि आजमगढ़ नरौली स्थित विश्वकर्मा भवन सभागार में मनाई गयी। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अखिल भारतीय विश्वकर्मा शिल्पकार महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्वमंत्री राम आसरे विश्वकर्मा ने ज्ञानी जैल सिंह के चित्र पर माल्यार्पण कर श्रध्दांजलि अर्पित किया।

ये भी पढ़ें – बॉयफ्रेंड को कमरे में बुलाकर गर्लफ्रेंड कर रही थी ये काम, जब घरवालों ने देखा तो पैरों के नीचे से खिसक गयी जमीन

श्रद्धांजलि समारोह को सम्बोधित करते हुए श्री विश्वकर्मा ने कहा कि ज्ञानी जैल सिंह पंजाब के एक गरीब बढई विश्वकर्मा परिवार में पैदा होकर अपने संघर्ष के बल पर पंजाब के मुख्यमंत्री देश के गृहमंत्री और देश के राष्ट्रपति बने थे। उन्होंने यह सिद्ध कर दिया कि यदि ब्यक्ति के मन में दृढ इच्छाशक्ति हो और नेतृत्व के प्रति सच्ची निष्ठा लगन हो तो ब्यक्ति संघर्ष के बल पर देश के बडे से बडे पद पर पहुंच सकता है। विश्वकर्मा समाज के लोगो को अपने मन से हीनता निकालनी होगी और अपनी पहचान के साथ कर्म करना होगा। ज्ञानी जैल सिंह एक समाजवादी विचारक स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी महान देशभक्त और संघर्षशील नेता थे।देश की आजादी की लडाई में अंग्रेज़ों से लडते हुए बार बार जेल में जाने के कारण उनका नाम जैल सिंह पडा। ज्ञानीजी गरीबों और पिछडो वंचितो के लिये आजीवन कार्य करते रहे।राष्ट्रपति जैसे महत्वपूर्ण संवैधानिक पद पर रहते हुये भी राष्ट्रपति भवन में विश्वकर्मा समाज के लोगों के लिये एक अलग कार्यालय बनाया था जिसका प्रभारी श्री परमानंद पांचाल को बनाया था।

ज्ञानी जैल सिंह हिन्दी प्रेमी होने के कारण अपना सरकारी कामकाज हिन्दी में करते थे।एक बार संघ लोक सेवा आयोग की आएएएस की प्रतियोगी परीक्षाओं में हिन्दी को लागू करने के प्रश्न पर जब विपक्षी दलों द्वारा धरना दिया जा रहा था तो ज्ञानी जी पूर्व राष्ट्रपति होने के बाद भी प्रोटोकॉल तोडकर लोक सेवा आयोग के सामने धरने पर बैठे थे। गांव के गरीब पिछडे किसान के लडके हिन्दी माध्यम से परीक्षा देकर आइएएस बन सके। राष्ट्रपति रहते हुये वह कभी रबर स्टैंप नही बने। उन्हे देश के एक सशक्त राष्ट्रपति के रूप में उन्हें याद किया जाता रहा है। 25 दिसम्बर 1995 को एक सडक दूर्घटना में उनकी मौत हो गयी। अखिल भारतीय विश्वकर्मा शिल्पकार महासभा पूरे देश में 25 दिसम्बर को प्रतिवर्ष ज्ञानी जैल सिंह की पुण्यतिथि मना कर उन्हें याद करती है।श्री विश्वकर्मा ने कहा कि आज सभी विश्वकर्मा समाज के लोग अपने पूर्वज ज्ञानी जैल सिह के ब्यक्तित्व और कृतित्व को याद करे और उनके आदर्शों पर चलने का संकल्प लें यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। इस अवसर पर अखिल भारतीय विश्वकर्मा शिल्पकार महासभा जिलाध्यक्ष वीरेन्द्र विश्वकर्मा, कार्यवाहक जिलाध्यक्ष राम प्रकाश विश्वकर्मा, जिला महासचिव दिनेश विश्वकर्मा, नगर अध्यक्ष सुनील दत्त विश्वकर्मा, विश्वकर्मा ब्रिगेड जिलाध्यक्ष शशिकान्त विश्वकर्मा, जिला महासचिव मनीष विश्वकर्मा विश्वकर्मा ब्रिगेड नगर दीपक विश्वकर्मा, महात्मा विश्वकर्मा, रजनीश विश्वकर्मा, अरुण विश्वकर्मा, जयश्याम विश्वकर्मा, एडवोकेट कैलाश विश्वकर्मा, डा श्रीराम विश्वकर्मा, हरिकेश विश्वकर्मा, अम्बिका शर्मा, अनूप विश्वकर्मा एडवोकेट, राम प्रकाश शर्मा सहित आदि लोग श्रद्धांजलि अर्पित की।

Related Articles

Back to top button