रियल लाइफ बालिका वधु: सिर्फ दो साल की उम्र में कर दी गयी थी शादी और अब ….
कुछ साल पहले टीवी पर एक सीरियल शुरू हुआ था बालिका वधू। .... जिसने आते ही लोगों के दिलों में राज कर दिया था। बालिका वधु के किरदार में आनंदी और पति जगिया अब तक लोगों को याद होगा।
कुछ साल पहले टीवी पर एक सीरियल शुरू हुआ था बालिका वधू। …. जिसने आते ही लोगों के दिलों में राज कर दिया था। बालिका वधु के किरदार में आनंदी और पति जगिया अब तक लोगों को याद होगा।
मगर हम आपको उस टीवी सीरियल के बारे में नहीं बल्कि असल ज़िंदगी की बालिका वधु के बारे में बताने जा रहे है। दरअसल, सनसिटी जोधपुर में 18 साल पहले हुए एक बाल विवाह को कोर्ट ने शून्य घोषित कर बालिका वधू को न्याय दिया है।
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कोर्ट ने बालिका वधू के बचपन में की गयी शादी को निरस्त कर रूढ़िवादी प्रथाओं को कड़ा संदेश दिया है। जोधपुर की एक दो साल की बच्ची को शादी जैसे बंधन में बांध दिया गया था। कोर्ट ने इस शादी को अमान्य करार देते हुए न्याय दिलाया है।
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ये है असल ज़िंदगी की बालिका वधु की कहानी
जोधपुर जिले के बाप तहसील स्थित चिमाना गांव की रहने वाली नींबू को दो साल की उम्र में शादी जैसे बंधन में बांध दिया गया था। जब उसे शादी जैसे बंधन का मतलब भी नहीं पता था। उसका विवाह मई 2002 में बीकानेर जिले के रहने वाले एक बच्चे के साथ कर दिया गया।
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जब मासूम नींबू की शादी हुई थी तब उसकी उम्र सिर्फ 2 साल थी और दूल्हे की उम्र सिर्फ 6 साल की थी। उसकी बचपन में शादी कर दी गयी थी और अब उस पर दबाव बनाया जाने लगा था। अब जब वह बड़ी हो गयी और पढाई पूरी कर ली है तो उस पर उसी शादी को निभाने का दबाव बनाया जा रहा था। लेकिन बालिका वधु ने कानूनी लड़ाई लड़कर आखिरकार बाल विवाह के बंधन की बेड़ियों से आज़ाद हो गयी। इस लड़ाई में बालिका वधु अकेली नहीं थी। इस लड़ाई में उसका साथ नींबू का साथ दिया सारथी ट्रस्ट की कृति भारती ने।
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कृति ने नींबू के बाल विवाह को निरस्त करवाने के लिए जोधपुर परिवारिक न्यायालय में वाद दायर किया था। न्यायालय में नींबू के बाल विवाह व उसे संबंधित सबूत पेश कर बाल विवाह निरस्त करने की मांग रखी थी। आखिरकार डेढ़ साल की सुनवाई के बाद गुरुवार को परिवारिक न्यायालय संख्या-1 के न्यायाधीश महेंद्र सिंह सिंहल ने नींबू के बाल विवाह को निरस्त करने के आदेश दे दिए।
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