क्या ये है मोदी का जादू, पाकिस्तान में बनेगा कृष्ण मंदिर, जारी किया गया था मंदिर न बनने देने का फतवा

राजधानी विकास प्राधिकरण ने शहर में पहले से प्रस्तावित कृष्णा मंदिर और श्मसान बनाने के लिए हिन्दू समुदाय को अनुमति दे दी है.

पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में हिन्दू कृष्ण मंदिर बनाया जाएगा. यहाँ राजधानी विकास प्राधिकरण ने शहर में पहले से प्रस्तावित कृष्णा मंदिर और श्मसान बनाने के लिए हिन्दू समुदाय को अनुमति दे दी है. इसको लेकर इमरान सरकार के अल्पसंख्यक समुदाय सांसदों ने शहर में पहला नया हिन्दू मंदिर बनाने की दिशा में इसे एक महत्वपूर्ण कदम बताते हुए इसका स्वागत किया है.

बनेगा कृष्ण मंदिर

मिली सूचना के अनुसार, राजधानी विकाश प्राधिकरण की तरफ से एक पत्र जारी करके यह सूचित किया गया कि, मंदिर सामुदायिक भवन और श्मसान बनाने के लिए सशर्त अनुमति दी गई है. ये मंदिर इस्लामाबाद के सेक्टर एच-9-2 में बनाया जाएगा. पत्र में कहा गया कि चारदीवारी के लिए बने जाने वाली दीवारें सात फीट से ज्यादा ऊंची नहीं होनी चाहिए. बता दें कि पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ की सरकार ने वर्ष 2017 में मंदिर निर्माण के लिए हिन्दू समुदाय को इस्लामाबाद के चार मरला में ज़मीन दी थी. जहां हिंदू समुदाय के लोग कृष्ण मंदिर बनाना चाहते थे.

जारी किया था फतवा

बताते चलें कि मन्दिर निर्माण से पूर्व ही कुछ धार्मिक संस्थाओं ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया था. यहाँ तक कि लाहौर में जामिया अशर्फिया मदरसा के मुफ़्ती मुहम्मद जकारिया ने इस मंदिर के खिलाफ फतवा जारी कर दिया था. फतवा जारी करते हुए कहा गया था कि इस्लाम के अनुसार अल्पसंख्यकों के पूजा स्थलों की मरम्मत और रखरखाव किया जा सकता है. लेकिन उन्हें नए पूजा स्थल बनाने की अनुमति नहीं दी जा सकती है.

याचिकाएं खारिज

इसी कड़ी में मंदिर निर्माण का कार्य रोकने के लिए इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी. मंदिर निर्माण रोकने के लिए इस्लामाबाद हाईकोर्ट में तीन याचिकाएं डाली गई थी. इसके पीछे यह तर्क दिया गया कि मंदिर निर्माण इस्लामाबाद के मास्टर प्लान का हिस्सा नहीं था. लेकिन, इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने इन याचिकाओं को प्रभावहीन बताते हुए खारिज कर दिया. और मंदिर निर्माण का रास्ता साफ़ हो गया.

परिषद् ने सुनाया फैसला

इस संबंध में पाकिस्तानी सरकार ने इस्लामिक वैचारिक परिषद का सुझाव भी लिया है. जिस पर परिषद ने भी मंदिर निर्माण के पक्ष में फ़ैसला सुनाया और अपने लिखित फ़ैसले में कहा कि, हिंदू समुदाय को अपने रीति-रिवाज़ मनाने का संवैधानिक अधिकार है. हालांकि इस मामले में भारत सरकार कोई हस्तक्षेप नहीं था. इसे इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने अनुमति दी है.

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