आगरा : कार के बोनट में फसा अजगर, वाइल्डलाइफ एसओएस ने सुरक्षित बचाया !
आगरा के असोपा हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के सामने स्थित एल.आई.सी कॉलोनी से वाइल्डलाइफ एसओएस रैपिड रिस्पांस यूनिट ने एक हैचबैक कार के बोनट लॉक में बुरी तरह फसे चार फुट लंबे अजगर को बचाया।
आगरा के असोपा हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के सामने स्थित एल.आई.सी कॉलोनी से वाइल्डलाइफ एसओएस रैपिड रिस्पांस यूनिट ने एक हैचबैक कार के बोनट लॉक में बुरी तरह फसे चार फुट लंबे अजगर को बचाया। बाद में सांप को सुरक्षित रूप से वापस जंगल में छोड़ दिया गया।
गुरुवार की सुबह गैलाना रोड स्थित एल.आई.सी कालोनी में रहने वाले एक परिवार के लिए काफी डरावनी रही, जब उन्होंने अपनी कार के बोनट में एक अजगर को देखा l सांप उनकी गाड़ी के बोनट लॉक की संकीर्ण जगह में बुरी तरह से फस गया था और वहाँ से निकल पाने में असमर्थ था।
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वाइल्डलाइफ एसओएस के हेल्पलाइन (+ 91-9917109666) पर परिवार ने तुरंत एनजीओ से संपर्क कर, उनसे सहायता का अनुरोध किया। वन्यजीव संरक्षण संस्था से दो-सदस्यीय टीम स्थान पर पहुची और करीब आधे घंटे तक चले बचाव अभियान के बाद उन्होंने सांप को सावधानी से बाहर निकाला।
वाइल्डलाइफ एसओएस को कॉल करने वाले कार मालिक, गुरमीत सिंह सोढी ने कहा, “हम अपनी कार के इतने संकरे स्थान पर अजगर को देखकर घबरा गए थे। हम वाइल्डलाइफ एसओएस टीम के आभारी हैं, जिन्होंने तुरंत पहुच कर बचाव अभियान को काफी कुशलता से अंजाम दिया। ”
वाइल्डलाइफ एसओएस के सीईओ और सह-संस्थापक, कार्तिक सत्यनारायण ने कहा, “हमें ख़ुशी है की वाइल्डलाइफ एसओएस रैपिड रिस्पांस यूनिट वक़्त रहते सकुशल मुसीबत में फसे जानवरों और लोगों की मदद कर रहा है। हमारा लक्ष्य साँपों के बारे में फैली गलत धारणाओं को ख़त्म करना है जिससे ऐसी स्थिति में लोग घबराएं नहीं और उन्हें मारे नहीं बल्कि उनके प्रति संवेदनशीलता दिखाएं। ”
वाइल्डलाइफ एसओएस के डायरेक्टर कंज़रवेशन प्रोजेक्ट्स, बैजूराज एम.वी, ने कहा, “तापमान में गिरावट के साथ, ये सांप शहरी स्थानों में आश्रय लेने के लिए मजबूर हैं। इस तरह के संवेदनशील बचाव अभियान को अंजाम देने के लिए यह आवश्यक है की प्रशिक्षित बचाव दल ही इन्हें पूरा करे। यह सुनिश्चित करने के लिए की सहायता के लिए आई ऐसी कोई भी कॉल अधूरी नहीं रह जाए हमारी रेस्क्यू टीम चौबीसों घंटे जनता की सेवा के लिए तत्पर है। ”
इंडियन रॉक पायथन एक गैर विषैली सांप की प्रजाति है। यह आमतौर पर भारत, पाकिस्तान, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश और श्रीलंका के जंगलों में पाए जाते हैं। इस प्रजाति को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची I के तहत संरक्षित किया गया है।
REPORT- yogesh
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