कौशांबी : सूबे में निजाम बदला लेकिन फिर भी नहीं बदला ढलवा कढ़ाई उद्योग की किस्मत
कौशाम्बी जिले के एक गांव में सदियों से चला आ रहा ढलवा कढाई का उद्योग बदहाली का दंश झेल रहा है।
कौशाम्बी जिले के एक गांव में सदियों से चला आ रहा ढलवा कढाई का उद्योग बदहाली का दंश झेल रहा है। हालत यह है कि मंदी और सरकारी उपेक्षा के कारण हुनर मंद कारीगर काम न होने के चलते गाव से पलायन करने को मजबूर है। नतीजा यह है कि ढलवा कढ़ाई के लिए विख्यात जिले का यह लघु उद्योग संसाधनों के अभाव के चले दम तोड़ता नजर आ रहा है। इससे यहां के हुनरमंद कारीगरों के सामने रोजी-रोटी का संकट उत्पन्न हो गया है। कढ़ाई उद्योग को बढ़ावा देने के लिए उद्योग विभाग ने भी कोई सार्थक पहल नहीं की है, लिहाजा इस लघु उद्योग पर बन्द होने संकट के बादल गहराने लगे हैं।
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यह है मंझनपुर तहसील के सरसवां ब्लाक का गुरौली गांव। गुरौली गांव ढलवा कड़ाई के लिए पूरे प्रदेश में विख्यात है। यहां की ढलवा कढ़ाई को खरीदने के लिए लोग चित्रकूट प्रयागराज, प्रतापगढ़, फतेहपुर, मिर्जापुर व अन्य कई जनपदों से आया करते थे। जिससे गुरौली गांव में लोग घर- घर कढाई बना कर अपना जीवन यापन किया करते थे। महगाई और सरकारी अनदेखी के अभाव में जनपद का दूसरा सबसे बड़ा ढलवा कढ़ाई उद्योग अब सिमटता जा रहा है। लघु उद्योगों के विकास का दावा करने वाली केंद्र व राज्य की सरकार भी इस व्यवसाय से जुड़े लोगों की सुध नहीं ले रही है, नतीजन इससे जुड़े कारीगर भुखमरी की कगार पर हैं। दिन-रात मेहनत के बावजूद इनके लिए परिवार का पेट पालना मुश्किल हो रहा है। जिसके चलते अब यह कढ़ाई उद्योग अब बंद होने के कगार में है। यहाँ के अधिकतर कारीगर और मजदूर अब पलायन कर रहे है। यदि जल्द की शासन और प्रशासन ने इस ओर ध्यान नहीं दिया तो यह उद्योग अपना नामो निशान खो देगा।
Report : saif Rizvi
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