कृषि कानून: सरकार ने किसानों को पत्र लिखकर फिर से दिया बातचीत का न्योता, MSP को लेकर…

किसान संगठनों को सरकार ने चिट्ठी भेजकर कहा है कि वह सभी मुद्दों पर बात करने को तैयार है. सरकार ने ये भी कहा है कि तीनों कानूनों में एमएसपी की बात नहीं है.

किसान संगठनों को सरकार ने चिट्ठी भेजकर कहा है कि वह सभी मुद्दों पर बात करने को तैयार है. सरकार(government) ने ये भी कहा है कि तीनों कानूनों में एमएसपी की बात नहीं है, सरकार पहले ही सरकार इसे लेकर वर्तमान व्यवस्था चालू रहने के लिए लिखित आश्वासन देने को तैयार हो चुकी है, ऐसे में कानून से बाहर जाकर इसकी कोई मांग तर्कसंगत नहीं है. आवश्यक वस्तु एक्ट में संशोधन पर बात संभव है। विद्युत अधिनियम और पराली पर अभी सिर्फ प्रस्ताव ही लाया गया है. सरकार(government) ने किसानों से वार्ता की तारीख और समय पूछा है.

केंद्र सरकार(government) के बनाए गए तीन कृषि कानूनों का किसान पिछले एक महीने के कर रहे हैं. किसान दिल्ली के बॉर्डर पर डेरा जाले हुए हैं और उनका कहना है कि, जब तक मोदी सरकार(government) कानूनों को वापस नहीं लेती है तब तक वो वापस नहीं जाएंगे. वहीं हरियाणा में भी किसानों का प्रदर्शन उग्र होता जा रहा है.

हरियाणा के जींद जिले के उचाना में किसानों ने डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला के लिए बनाए गए हेली पैड को खोद डाला और चौटाला के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. बनाए गए हेली पैड पर दुष्यत चौटाला का चॉपर उतरने वाला था. लेकिन उससे पहले ही किसानों ने पहुंचकर हेली पैड को फावड़े से खोद डाला.

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किसानों के विरोध को देखते हुए डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला को अपना दौरा रद्द करना पड़ा. किसानों ने ऐलान किया है कि, जब तक डिप्टी सीएम किसानों का समर्थन नहीं करेंगे उन्हें यहां पर घुसने नहीं दिया जाएगा. इसके साथ ही किसानों ने ये भी शर्त रखी है कि, दुष्यंत चौटाला इस्तीफा देकर किसानों से मिलने आएंगे तभी किसान बात करेंगे. किसानों ने चेतावनी देते हुए कहा है कि, जो भी नेता यहं पर आएगा उसका इसी तरह से विरोध किया जाएगा.

इससे पहले सीएम मनोहर लाल खट्टर के काफिले को भी किसानों ने रोक लिया था और काले झंडे दिखाए थे. जिसको लेकर पुलिस की तरफ से कड़ी कार्रवाई की गई और 13 किसानों के खिलाफ दंगा और हत्या का प्रयास करने के मामले में मुकदमा दर्ज किया गया है.

बता दें कि, किसान पिछले 29 दिनों से आंदोलन कर रहे हैं. सरकार के साथ कई दौर कीबैठक होने के बाद भ कोई नतीजा अब तक नहीं निकला है. बुधवार को केंद्र सरकार की तरफ से प्रस्ताव भेजा गया था जिसको लेकर किसानों ने सिंघु बॉर्डर पर बैठक करने के बाद प्रस्ताव को ठुकरा दिया था. उनका कहना था कि, प्रस्ताव में कानून वापस लेने की कोई बात नहीं की गई थी. जबकि किसानों की मांग है कि, संसोधन नहीं बल्कि कानून वापस होने चाहिए.

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