रोजाना चबाएं नीम के पत्‍ते और पाएं इन बीमारी से छुटकारा

नीम की पत्‍तियों का सेवन करने से शरीर कई बीमारियों से बचा रह सकता है।यह शरीर में सूजन को कम करने में मदद करती हैं, लिवर और हृदय को स्‍वस्‍थ्‍य रखती हैं और इम्‍यून सिस्‍टम को मजबूत बनाती हैं।

नीम की पत्‍तियों का सेवन करने से शरीर कई बीमारियों से बचा रह सकता है।यह शरीर में सूजन को कम करने में मदद करती हैं, लिवर और हृदय को स्‍वस्‍थ्‍य रखती हैं और इम्‍यून सिस्‍टम को मजबूत बनाती हैं। बहुत से लोग नीम की पत्‍तियों को उसके कड़वे स्‍वाद की वजह से नहीं खाते। मगर आयुर्वेद के अनुसार रोज सुबह खाली पेट नीम का सेवन करने से शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता तो बढ़ती ही है साथ ही शारीरिक विकारों को दूर करने में भी मदद मिलती है।

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जब ब्रश और मंजन नहीं होते थे तो मुंह की देखभाल के लिए नीम के पत्‍तों, टहनियों का ही उपयोग किया जाता था। आज भी गांवों में तमाम लोग नीम के ही दातून करते हैं। आयुर्वेद की मानें तो नीम से मुंह के समस्‍त रोगों का उपचार किया जा सकता है।

इसके अलावा, छाल का उपयोग मलेरिया, पेट और आंतों के अल्सर, त्वचा रोग, दर्द और बुखार के लिए किया जाता है। नीम में ऐसे रसायन होते हैं जो रक्त शर्करा के स्तर को कम करने, पाचन तंत्र में अल्सर को ठीक करने, बैक्टीरिया को मारने और मुंह में प्लाक के निर्माण को रोकने में मदद कर सकते हैं।

प्रारंभिक शोध से पता चलता है कि नीम के पत्तों का अर्क दांतों और मसूड़ों पर 6 सप्ताह तक रोजाना लगाने से प्लाक बनना कम हो सकता है। यह मुंह में बैक्टीरिया की संख्या को भी कम कर सकता है जो दांतों की मैल यानी डेंटल प्‍लाक का कारण बनता है। यदि अर्क नहीं मिलता है तो आप नीम के पत्‍तों को ही अच्‍छी तरह से धोकर सुबह-सुबह चबा सकते हैं। हालांकि, 2 सप्ताह तक नीम के अर्क से कुल्ला करने पर प्‍लाक या मसूड़े की सूजन को कम करने के कोई प्रमाण नहीं मिलते हैं।

कुछ शोध बताते हैं कि नीम की छाल का 30-60 मिलीग्राम अर्क 10 सप्ताह तक दिन में दो बार लेने से पेट और आंतों के अल्सर को ठीक करने में मदद मिलती है। हालांकि इसका प्रयोग करने से पहले आप किसी आयुर्वेदिक चिकित्‍सक की सलाह जरूर लें।

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