क्या अटल का जन्मदिन और क्रिसमस का केक दूर करेगा किसानों की कड़वाहट ?
अमृतसर में 27 सितंबर से शुरू हुआ किसान आंदोलन अब पूरे देश में फैल चुका है।
– फैसला आने तक सरकार इन कानूनों को ठंडे बस्ते में डाल दे।
– सरकार किसानों को थकाना चाहती है लेकिन हम नहीं थकेंगे।
अमृतसर में 27 सितंबर से शुरू हुआ किसान आंदोलन अब पूरे देश में फैल चुका है। वैसे तो किसान दिवस पर किसानों ने सरकार को अपना लिखित जवाब देकर भले ही कड़वाहट दूर करने की नाकाम कोशिश की है, लेकिन उनके तेवर की गर्मी इस ठिठुरती ठंड में भी पसीना ला रही है। वहीं संयुक्त किसान मोर्चा ने नया पत्र लिखकर सरकार के अबतक के सभी प्रस्तावों को नकारते हुए नए सिरे से पुख्ता प्रस्ताव की उम्मीद जताई है। दो दिनों की बैठक के बाद संयुक्त मोर्चा ने नये सिरे से नई तारीख पर बातचीत की ओर इशारा किया है।
क्या कहते हैं किसान
संयुक्त मोर्चा की ओर से योगेंद्र यादव ने कहा है कि हम बातचीत के लिए राजी हैं। सरकार अपनी बात साफ कहे नया और ठोस प्रस्ताव लाए पुराने संशोधन मान्य नहीं है उन्होंने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानूनी गारंटी की ओर इशारा करते हुए कहा कि हमें दाम चाहिए, दान नहीं। मध्यप्रदेश के किसान नेता और संयुक्त मोर्चा के सक्रिय सदस्य शिवकुमार कक्का ने सुप्रीम कोर्ट की ताजा टिप्पणी की ओर इशारा करते हुए कहा है कि फैसला आने तक सरकार इन कानूनों को ठंडे बस्ते में डाल दे। पहले बातचीत का माहौल बनाए, फिर बात बनेगी वामपंथी नेता हन्नान मोल्लाह ने कहा कि संशोधन मंजूर नहीं। सरकार किसानों को थकाना चाहती हैं लेकिन हम थकने वालों में से नहीं हैं।
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जानें सरकार का पक्ष
किसान दिवस पर सुबह पीएम मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने ट्वीट कर किसानों के प्रति हमदर्दी दिखाई। सरकार की ओर से किसान हित का भरोसा दिलाया गया और बताचीत से हल निकलने की उम्मीद जगाई गई है। उधर, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किसानों को ट्रैक्टर वितरित किया। योगी बोले, विपक्ष किसानों को बरगला रहा है। भाजपा प्रवक्ता संवित पात्रा ने किसान आंदोलन को वामपंथियों द्वारा हाईजैक करने का आरोप मढ़ा और केरल का खासतौर से जिक्र किया। हालांकि संवित पात्रा के वामपंथ के आरोपों को योगेंद्र यादव ने खारिज किया।
दोनों का ये है पक्ष
किसानों के जवाब पर अब सरकार की ओर से फिर एक प्रस्ताव भेजा जा सकता है। इसके लिए 25 दिसंबर खास रोल निभा सकता है। उस दिन पीएम मोदी देश भर के 9 करोड़ किसानों से सीधा बातचीत करेंगे। उनके खाते में 18 हजार करोड़ की सम्मान निधि भी डाली जाएगी। पीएम आम किसानों प्रति सहानुभूति प्रकट करेंगे लेकिन विपक्ष पर वार जारी रहेगा।
सरकार ने तीनों कानूनों की वापसी की मांग को पहले ही खारिज कर दिया है। ऐसे में अब न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बात आकर अटक रही है। सरकार लिखित गारंटी पहले ही दे चुकी है। न्यूनतम समर्थन मूल्य पर लिखित गारंटी और कानूनी गारंटी के बीच पेच फंसता नजर आ रहा है। ऐसे में सरकार की ओर से 25 दिसंबर को आम किसानों का समर्थन जुटाने का अभियान है, तो उससे एक दिन पहले ही 24 दिसंबर को किसान एकता मोर्चा की ओर से सोशल मीडिया पर 10 लाख लोगों को जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है। इस दौरान लोगों के सवालों के जवाब दिए जाएंगे। दोनों तरफ से दबाव का दौर भी जारी है।
ये हो सकता है सुप्रीम रास्ता
संसद के बाद अब सड़क पर अगर बात बनती नहीं दिखाई देती है तो सुप्रीम कोर्ट ही आखिरी रास्ता निकाल सकता है। हालांकि, अब तक सुप्रीम कोर्ट जाने वाले किसान संगठनों से संयुक्त मोर्चा ने संबन्ध तोड़ कर सरकार के खिलाफ विरोध की आवाज ऊंची कर दी है।
अब दिल्ली जाम के खिलाफ याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पूरी समस्या पर गौर किया। इसमें दोनों पक्षों के लिए संदेश है- बातचीत से हल। सरकार को संदेश- बातचीत और हल तक कानूनों पर अमल नहीं। किसान संगठनों को संदेश- कमेटी बनाएं, बात करें और जरूरत पड़े तो विशेषज्ञ को शामिल करें। यदि आंदोलनकारियों के नुमाइंदे और सरकार के वार्ताकार इस हफ्ते मेज पर बातचीत के लिए जुट पाते हैं, तो सोने पे सुहागा वरना अवकाश के बाद नए साल के पहले हफ्ते में फिर सुप्रीम कोर्ट की दहलीज पर मामला पहुंचेगा और आखिर में ‘सुप्रीम’ रास्ता से ही हल की उम्मीद बचेगी।
ये होगी रणनीति
24 को किसान एकता मोर्चा सोशल मीडिया पर देश के 10 लाख लोगों को जोड़ेगा, देगा सवालों के जवाब
25 को पीएम नरेंद्र मोदी 9 करोड़ किसानों से करेंगे संवाद, खाते में डालेंगे 18 हजार करोड़ सम्मान निधि
कड़वाहट दूर कर सकता है अटल बिहारी वाजपेयी के जन्म दिन और क्रिसमस का ‘केक’
सड़क पर नहीं बनी बात तो सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप से निकल पाएगा आखिरी रास्ता
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