कृषि कानून: 40 किसान संगठनों को फिर वार्ता के लिए सरकार ने बुलाया, किसानों ने किया ये बड़ा ऐलान…
केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर कड़के की ठंड में दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसानों का आंदोलन लगातार 25वें दिन जारी है।
केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर कड़के की ठंड में दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसानों का आंदोलन लगातार 25वें दिन जारी है। वहीं, सरकार दावा कर रही है कि ये कानून किसानों (Farmers) के हित में हैं। सरकार का कहना है कि कानून में ठोस समस्याओं का समाधान कर दिया गया है और अन्य परेशानियों का भी हल निकालने के लिए बातचीत करने को तैयार है। दूसरी ओर किसान नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े हैं और उसे वापस लेने के सिवा मानने को तैयार नहीं हैं। किसान यूनियनों से जुड़े नेताओं का साफ कहना है कि जब तक सरकार कृषि कानूनों को वापस नहीं लेगी, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।
इसी बीच सोमवार को किसानों (Farmers) ने सरकार को खुला पत्र लिखते हुए भूख-हड़ताल का ऐलान कर दिया है। इसके साथ ही 25 से 27 दिसंबर तक हरियाणा में राजमार्गों पर टोल वसूली को भी मुफ्त करने की घोषणा की है। वहीं, भारतीय किसान यूनियन नेता राकेश टिकैत ने 23 दिसंबर यानि किसान दिवस के दिन लोगों से अपील की है कि 23 दिसंबर को एक दिन का उपवास रखें।
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वहीं, दूसरी ओर सरकार ने भी 40 किसान संगठनों के नाम पत्र लिखकर उन्हें एक बार फिर वार्ता के लिए बुलाया है।
सिंघू बॉर्डर पर स्वराज इंडिया के प्रमुख योगेंद्र यादव ने कहा कि ‘सोमवार को सभी प्रदर्शन स्थलों पर किसान एक दिन की क्रमिक भूख हड़ताल करेंगे। इसकी शुरुआत यहां प्रदर्शन स्थलों पर 11 सदस्यों का एक दल करेगा।’ उन्होंने देशभर में कृषि कानूनों का विरोध कर रहे लोगों से प्रदर्शन स्थलों पर एक दिन की भूख हड़ताल करने का आह्वान किया है।
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आपको बता दें कि केंद्र सरकार (center government) ने किसानों को पत्र लिखकर बातचीत करने की अपील की है। किसानों संगठनों को लिखे पत्र में सरकार की तरफ से किसानों के विचार और समय को भी बताने के लिए कहा गया है। किसान संगठनों को इससे पहले भी मोदी सरकार ने प्रस्ताव भेजे थे, जिसे किसानों ने ठुकरा दिया था और कहा था कि ये आंदोलन तब तक नहीं रुकेगा, जब तक तीनों कानून वापस नहीं होंगे।
बता दें कि, यह पत्र केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय में संयुक्त सचिव विवेक अग्रवाल ने क्रांतिकारी किसान यूनियन, पंजाब के प्रेसीडेंट डॉ. दर्शनपाल लिखा है और उसकी प्रतिलिपियां अन्य 39 संगठनों को भेजी गई है।
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सरकार की ओर से भेजे गए इस पत्र में नए कृषि कानून को लेकर पंजाब में शुरू हुए किसान (Farmers) संगठनों के विरोध-प्रदर्शन से लेकर दिल्ली की सीमाओं पर बीते तीन सप्ताह से ज्यादा समय से चल रहे प्रदर्शन के दौरान सरकार की ओर से समस्याओं के समाधान की दिशा में की गई पहलों और प्रदर्शनकारी किसान संगठनों द्वारा उठाए गए कदमों का बिंदुवार जिक्र किया गया है।
पत्र में किसान नेता दर्शनपाल से उनके द्वारा 16 दिसंबर को भेजी गई ईमेल के संबंध में सवाल किया गया है कि ईमेल में प्रेषित संदेश संक्षिप्त है और स्पष्ट नहीं है कि यह उनका अपना विचार या सभी संगठनों का भी मत यही है। साथ ही, सरकार की ओर से नौ दिसंबर को भेजे गए प्रस्तावों को अस्वीकार किए जाने के कारण स्पष्ट नहीं होने की बात कही गई है।
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सबसे पहले अक्टूबर में पंजाब के किसान संगठनों के नेताओं के साथ 14 अक्टूबर को कृषि सचिव से वार्ता हुई थी। इसके बाद 13 नवंबर को यहां विज्ञान-भवन में केंद्रीय मंत्रियों के साथ उनकी वार्ता हुई, जिसमें केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, रेलमंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य एवं उद्योग राज्यमंत्री सोमप्रकाश मौजूद थे।
इस बैठक के बाद किसानों के साथ एक दिसंबर, तीन दिसंबर, और पांच दिसंबर को विज्ञान भवन में हुई थी, जिसमें तीनों मंत्री, नरेंद्र सिंह तोमर, सोमप्रकाश और पीयूष गोयल मौजूद थे, लेकिन इस बैठक में भी कोई हल नहीं निकला था। जिसके बाद 9 दिसंबर को सरकार(center government) की तरफ से किसानों (Farmers) को एक प्रस्ताव भेजा गया था, जिसे किसानों ने ठुकरा दिया था। अब फिलहाल एक बार फिर से सरकार ने मसले को सुलझाने के लिए कदम आगे बढ़ाया और गेंद किसानों के पाले मं डाल दी है।
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